बेंगलुरु: कर्नाटक की कैबिनेट में जगह बनाने से चूक गए कांग्रेस MLC और कद्दावर नेता बीके हरिप्रसाद ने बगावती रुख अख्तियार कर लिया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को चुनौती देते हुए हरिप्रसाद ने पिछड़े वर्गों से उनके खिलाफ साजिश को जानने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है। इसके साथ ही कर्नाटक कांग्रेस की अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। गांधी परिवार के करीबी हरिप्रसाद का एक भाषण कर्नाटक के मौजूदा सियासी परिदृश्य में महत्वपूर्ण हो गया है। वह शुक्रवार को एक निजी होटल में एडिगा, बिलावा और दिवारा जाति के सामुदायिक नेताओं की बैठक में बोल रहे थे।
लोकसभा चुनाव से पहले मुश्किल में कांग्रेस?
सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच मतभेद सुलझते दिख ही रहे थे कि अब हरिप्रसाद के बगावती तेवरों ने कांग्रेस को लोकसभा चुनाव से पहले चिंता में डाल दिया है। हरिप्रसाद प्रभावशाली एडिगा समुदाय से हैं और विधान परिषद में विपक्ष के नेता हैं। RSS और हिंदुत्व के खिलाफ जोशीले भाषणों के लिए जाने जाने वाले हरिप्रसाद को उम्मीद थी कि उन्हें कैबिनेट में जगह मिलेगी। हरिप्रसाद ने कहा, ‘मुझे कैबिनेट में जगह मिलेगी या नहीं, यह अलग बात है। कांग्रेस के 5 मुख्यमंत्रियों के चयन में मेरी भूमिका रही है। छत्तीसगढ़ के CM मेरे रिश्तेदार नहीं हैं। मैंने पिछड़े वर्ग के नेता को CM बनाया है। मैं अच्छी तरह जानता हूं कि CM कैसे बनाना है और उन्हें गद्दी से कैसे उतारना है।’
बीके हरिप्रसाद ने सिद्धारमैया को चैलेंज किया है।
‘हम पदों के लिए याचना नहीं करते हैं’
हरिप्रसाद ने कहा कि वह पद के लिए भीख नहीं मांगेंगे। उन्होंने परोक्ष रूप से सीएम सिद्धारमैया पर निशाना साधते हुए कहा,’हमारे अपने लोग उनके साथ आते हैं, हमें शोषण नहीं करना चाहिए। एडिगा, बिलावा, दिवारा समुदाय के नेता सामने नहीं आ रहे हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद वे राजनीति में आगे नहीं आ पा रहे हैं। इसे देखकर इस बात पर संदेह पैदा होता है कि कहीं समुदाय के नेता साजिश का शिकार तो नहीं हो रहे हैं। सीएम सिद्धारमैया पिछड़े वर्ग से हैं। हमने एकजुट होने के इरादे से 2013 में उनका समर्थन किया था। समर्थन देने के बाद, हम पदों के लिए याचना नहीं करते हैं।’
‘11 सीटों पर ये समुदाय निर्णायक स्थिति में हैं’
हरिप्रसाद ने आगे कहा, ‘हमने उडुपी जिले के करकला शहर में कोटि चन्नय्या पार्क के लिए 5 करोड़ रुपये का अनुदान मांगा था। CM सिद्धारमैया ने धन उपलब्ध कराने का वादा किया था लेकिन आज तक इसकी इजाजत नहीं दी गयी। वह मेरी राजनीतिक मदद करने की स्थिति में नहीं हैं। पिछड़ा वर्ग किसी एक जाति तक सीमित नहीं है। हम विभिन्न वर्गों और जातियों के अंतर्गत आते हैं। सभी को समान अधिकार मिलना चाहिए। 11 विधानसभा सीटों पर एडिगा, बिलावा और दिवारा समुदाय निर्णायक स्थिति में हैं। मैं चुनाव समिति में भी था। इन समुदायों के चार उम्मीदवार टिकट पाने से चूक गए।’
कर्नाटक कांग्रेस अभी तक डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के मतभेद से जूझ रही थी।
‘हमें संगठित होना होगा, नहीं तो हमारा शोषण होगा’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मंगलुरु उत्तर और दक्षिण सीटों पर अल्पसंख्यकों को टिकट दिए गए। अल्पसंख्यकों को टिकट देने के बहाने हमारे उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट से वंचित कर दिया गया है। भावी पीढ़ी को लाभ मिलना चाहिए। हमें संगठित होना होगा, नहीं तो हमारा शोषण होगा।’ सूत्रों के मुताबिक, हरिप्रसाद के बागी तेवरों ने कांग्रेस नेतृत्व को परेशान कर दिया है क्योंकि पार्टी इस समय आंतरिक कलह झेल पाने की स्थिति में नहीं है। आने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस विधानसभा की शानदार जीत को भुनाना चाहती है लेकिन कलह की हालत में ऐसा कर पाना बहुत मुश्किल होगा। (IANS)