मेरठ: ज़ाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ हायर एजुकेशन में छात्रों से लाखों की अवैध वसूली, पत्रकार बना शोषण का शिकार

मेरठ, उत्तर प्रदेश:_ज़ाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ हायर एजुकेशन, मेरठ में छात्रों से अवैध वसूली और धमकी देने की गंभीर शिकायतें सामने आई हैं। कॉलेज प्रबंधन पर आरोप है कि वह नामांकन के बाद छात्रों को प्रवेश पत्र देने के नाम पर मोटी रकम वसूल रहा है। मामले का खुलासा तब हुआ जब बिहार से आए एक पत्रकार स्वयं इस शोषण का शिकार हुए।

 

 

तीन नामों से चल रहा एक ही संस्थान- जांच में सामने आया है कि यह शिक्षण संस्थान तीन अलग-अलग नामों से संचालित हो रहा है: कहीं भी संस्थान का नाम और पता नहीं दर्ज जो बाहर से आप देख सकें। 1. ज़ाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ हायर एजुकेशन । 2. मेरठ विद्यापीठ एजुकेशन इंस्टीट्यूट। 3. (एक अन्य नाम जिसकी पुष्टि जांच में होनी बाकी है)

महज दो कर्मचारियों के सहारे यह पूरा सिस्टम संचालित किया जा रहा है, जिससे शैक्षणिक गुणवत्ता और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

 

 

 

छात्रों से मनमानी फीस वसूली का आरोप

 

बीएड कोर्स (सत्र 2024-26):- दावा: प्रथम वर्ष 15,000 रुपये, द्वितीय वर्ष 20,000 रुपये । वास्तविक वसूली: 1 लाख से 1.5 लाख रुपये तक । डीएलएड कोर्स: दावा: प्रथम वर्ष 20,000 रुपये, द्वितीय वर्ष 30,000 रुपये, वास्तविक वसूली: 80,000 से 1 लाख रुपये तक।

 

कॉलेज प्रबंधन छात्रों को डराता है कि यदि पूरी “डिमांड की गई” राशि नहीं दी गई, तो उन्हें न तो प्रवेश पत्र मिलेगा और न ही परीक्षा में बैठने की अनुमति। पत्रकार रूपेश यादव के साथ घटना बनी खुलासा का कारण।बिहार के मुज़फ्फरपुर निवासी और कृषि जागरण के पत्रकार रूपेश कुमार यादव ने जब बीएड (2024–26) में प्रवेश लिया, तब उनसे पहले 15,000 रुपये लिए गए।

बाद में उन्हें बताया गया कि प्रवेश पत्र पाने के लिए 1.3 लाख रुपये और देने होंगे।उन्होंने किश्तों में लगभग 65,000 रुपये का भुगतान करने को कहा गया, जिसमें से 12,000 रुपये कॉलेज प्राचार्य के व्यक्तिगत यूपीआई पर लिए गए। जब उन्होंने शेष राशि देने में असमर्थता जताई, तो कॉलेज ने प्रवेश पत्र रोकने की धमकी दी। अंततः उनसे कहा गया कि “10,000 रुपये और दो, तभी प्रवेश पत्र मिलेगा।” यह मामला तब सामने आया जब रूपेश ने इसे सार्वजनिक किया। इससे पहले अधिकांश छात्र डर के कारण चुप रहते थे।

बिहार और झारखंड के छात्र सबसे अधिक प्रभावित। कॉलेज में सबसे अधिक नामांकन बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के छात्रों का होता है। छात्र स्थानीय न होने के कारण शिकायत करने से डरते हैं। उन्हें डराया जाता है कि शिकायत करने पर नाम काट दिया जाएगा या परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा। कई छात्र कर्ज लेकर फीस भरते हैं और अपने घरवालों को वास्तविक हालात नहीं बता पाते । प्रशासनिक निष्क्रियता और छात्रों का भविष्य संकट में । अब तक न तो शिक्षा विभाग और न ही विश्वविद्यालय की ओर से कोई जांच या कार्रवाई की गई है।

 

कॉलेज तीन नामों से चल रहा है, जिसकी वैधानिकता संदिग्ध है। फीस वसूली के लिए कोई तय मानक नहीं है। निजी खातों में भुगतान कराए जा रहे हैं, जो वित्तीय अनियमितता का संकेत हैं।

छात्रों की मांगें- 1. कॉलेज में उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कर जांच कराई जाए। 2. छात्रों से अवैध रूप से वसूली गई फीस लौटाई जाए। 3. दोषी कर्मचारियों और प्रबंधन के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो। 4. भविष्य में ऐसे संस्थानों पर निगरानी रखने की व्यवस्था हो।

शिक्षा के नाम पर चल रही यह अवैध वसूली न केवल छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है, बल्कि पूरे उच्च शिक्षा तंत्र पर एक प्रश्नचिन्ह है। यदि शीघ्र और सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो ऐसे संस्थानों की मनमानी यूं ही जारी रहेगी। यह पूरी घटना चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ जो नैक से ए++ ग्रेड प्राप्त है उसके अंतर्गत् संचालित महाविद्यालय की है।

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