पाकिस्तानी पिल्लों सुन लो, लहू व्यर्थ ना बहने देंगे 

बेतिया, पश्चिमी चंपारण, बिहार:_पहलगाम में हिन्दू पर्यटकों की बर्बरतापूर्ण एवं निर्ममतापूर्वक हत्या के विरुद्ध तथा मृतात्माओं की श्रद्धांजलि हेतु संस्कार भारती, पश्चिम चम्पारण द्वारा आयोजित आक्रोशपूर्ण कवि सम्मेलन का विधिवत प्रारंभ कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ (प्रोफेसर) परमेश्वर भक्त,संस्कार भारती उत्तर बिहार प्रांत के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ दिवाकर राय, कार्यक्रम समन्वयक पाण्डेय धर्मेन्द्र शर्मा, चम्पारण फाउंडेशन के समन्वयक सच्चिदानंद ठाकुर, संस्कार भारती,पश्चिम चम्पारण के निवर्तमान संरक्षक कुंदन शांडिल्य और कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष एवं पारा कॉम्पटीटिव जोन के मुख्य मार्गदर्शक रंजीत कुमार सिंह द्वारा संयुक्त रूप से भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित करते हुए किया गया ।

बेतिया नगर अवस्थित पारा कॉम्पटीटिव जोन के सभागार में दर्शकों की भरपूर उपस्थिति में आयोजित इस कार्यक्रम के प्रथम सत्र में क्रांतिकारी अभिनंदन करते हुए विषय प्रवेश के क्रम में सच्चिदानंद ठाकुर ने कहा कि अब वह समय आ गया है कि हमें अपनी मित्र और दुश्मनों की असली पहचान करनी है। डॉ दिवाकर राय ने अपने संबोधन में उपस्थित सभी लोगों से सोशल मीडिया तथा सार्वजनिक स्थानों पर भी अपना स्वाभाविक आक्रोश प्रकट करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह समय तटस्थ रहने या संकोच करने का नहीं है।

कवि सम्मेलन में विभिन्न कवियों ने अपनी कविता से नापाक आतंकवादियों को कड़ा संदेश दिया। कवि अरुण गोपाल ने ‘ये धरती अपनी माँ है,कायम है इससे वजूद अपना’ सुनाकर कार्यक्रम का शानदार और आक्रोशपूर्ण प्रारंभ किया। बाल कवि अनुराग आशीष ने ‘धर्म के नाम पर मचा है हड़कंप’ सुनाकर खुब सराहना हासिल की। कवि प्रशांत सौरभ ने ‘धर्म पूछकर जान मारते हो’ सुनाकर खूब तालियां बटोरी। युवा कवि बीरबल मौर्य ने ‘गोली से जान गंवाई’ सुनाया तो रजनीश कुमार मिश्रा ने ‘असहाय अब भारत माता’ सुनाकर भारत की वर्तमान परिस्थिति पर जबरदस्त कटाक्ष किया। संस्कार भारती के उत्तर बिहार प्रांत की साहित्य टोली के अखिलेश्वर मिश्र ने ‘सुनो पाक,इस दुनिया में हमसे मत टकराना’ सुनाकर माहौल को और आक्रोशपूर्ण बना दिया। युवा कवि विभांकधर मिश्रा ने ‘चाहे जो रणनीति हो,खत्म यहीं यह किस्सा होगा’ के माध्यम से भारत सरकार को भारतवासियों की वर्तमान मनोस्थिति बताने का भरपूर प्रयास किया। आभाष झा युवा ने ‘शक के घेरे में पहले से हो और कहां तक जाओगे,बम बंदूकों के दम पर धर्म फैलाकर क्या पाओगे’ कविता के माध्यम से इस्लामिक आतंकवाद की पोल खोल कर रख दी। गीतकार नवल प्रसाद ने ‘निकालो अपने दिल से तुम,तेरे अंदर जो काला है’ से दर्शकों का भरपूर उत्साहवर्द्धन किया। श्याम कुमार ने ‘सीधी नहीं जो हो सकती है,वो पूंछ काटकर मारेंगे’ कविता से भारतीय सेना का तेवर बताने का सफल प्रयास किया। जयकिशोर जय ने ‘दुश्मन से हम बदला लेंगे,इस बात पर अड़ जाना है’ सुनाया। चंद्रिका राम ने ‘राष्ट्र की मिट्टी बोल उठी’ सुनाकर सबको देशभक्ति के रस में सराबोर कर दिया। पर्यावरणविद डॉ दुर्गा दत्त पाठक ने अपनी भोजपुरी रचना ‘लेके जायेम खांची में,चंपा हम करांची में’ गाकर पाकिस्तान में भी चंपा का पौधा लगाने की अपनी इच्छा व्यक्त की,जिसे सुनकर दर्शकों ने उनके सुर में सुर मिलाया। प्रसिद्ध गीतकार प्रफुल्ल तिवारी ने अपनी कविता ‘लात का भूत बात माने,वाजिब इंतजाम होना चाहिए’ के माध्यम से नापाक धरती के बाशिंदों को जमकर लताड़ा। अरविन्द गुप्ता ने ‘जंग लगी तलवारों में अब धार बढ़ानी होगी’ सुनाया तो दर्शक वाह-वाह कर उठे। नीटू तिवारी ने वाहिद अली वाहिद की मशहूर कविता ‘फेंक जहाँ तक भाला जाए’ सुनाकर दर्शकों को झुमने पर मजबूर कर दिया। डॉ जगमोहन कुमार की कविता ‘आबरू राष्ट्र की जिससे बढ़ती रहे,आगे बढ़कर करेंगे और कराएंगे हम’ सुनाकर सबको देशभक्ति के रंग में पूरी तरह रंग दिया। कवयित्री शालिनी रंजन ने ‘महासमर की करो तैयारी,अब तो कमर कसना होगा’ सुनाया तो दर्शक झूम उठे ।

संस्कार भारती के उत्तर बिहार प्रांत के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ दिवाकर राय ने जब अपनी कविता ‘पाकिस्तानी पिल्लों सुन लो, लहू व्यर्थ ना बहने देंगे, जब तक जीवित आतंकी एक भी, चैन से ना रहने देंगे’ सुनायी तो पूरा सभागार तालियों से लगातार गूँजता रहा। कार्यक्रम समन्वयक पाण्डेय धर्मेन्द्र शर्मा ने ‘भारत की मर्यादा टूटे,फिर धनुष ही हमको धरना होगा;सौगंध राम की खाते हैं,हर रावण को मरना होगा’ सुनाकर कवियों की सोच से भारत सरकार को अवगत कराने का सफल प्रयास किया। चम्पारण की साहित्यिक हस्ती और वरिष्ठ कवि सुरेश गुप्त ने अपनी कविता ‘हे ! कश्मीर की वादी तुमको क्या लिख दूं,नई नवेली दुल्हन का गहना लिख दूं या सरहद पर खड़े सिपाही की बहना लिख दूं’ सुनाया तो दर्शकों की आँखें डबडबा गईं। बथुआ घराना के प्रसिद्ध गायक हरिशंकर मिश्रा ने ‘माँ मेरे गूंगे शब्दों को आवाज दे’ गीत सुनाई तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ (प्रोफेसर) परमेश्वर भक्त ने अपनी कविता ‘मेरी आवाज सुनो’ सुनाई। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष एवं पारा कॉम्पटीटिव जोन के मुख्य मार्गदर्शक रंजीत कुमार सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन पाण्डेय धर्मेन्द्र शर्मा द्वारा किया गया।

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में उपस्थित सैकड़ों दर्शकों और समस्त कवि समाज द्वारा पहलगाम में हिन्दू पर्यटकों की बर्बरतापूर्ण एवं निर्ममतापूर्वक किए गए नरसंहार में मृतात्माओं की श्रद्धांजलि हेतु मौन सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपस्थित श्रोताओं में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघचालक राजकिशोर प्रसाद, रामकृष्ण विवेकानंद एजुकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष मदन बनिक, सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापिका इंदु कुमारी, प्रसिद्ध नृत्यांगना कुमारी सीमा, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रोफेसर रवीन्द्र शाहाबादी, अवधेश कुमार वर्मा, वार्ड पार्षद प्रतिनिधि ई संदीप कुमार राय, शिक्षक नेता राजेश राज कश्यप, डॉ ब्रजेश कुमार, संदीप राय, मनोज कुमार, नवीन कुमार शुक्ल जैसे अनेक महत्वपूर्ण लोग उपस्थित थे। सह आयोजक के रूप में आरोही कला एवं संस्कृति वेलफेयर ट्रस्ट का सहयोग प्रशंसनीय रहा।

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