




आरक्षण,शिक्षा और पोशाक योजनाओं से बेटियों को मिल रही नई पहचान
महिलाओं ने रखी जीविका ड्रेस कोड की मांग,सशक्त पहचान के लिए एकजुट हुईं दीदियाँ

दरभंगा :-दरभंगा जिले में 18 अप्रैल 2025 से लगातार संचालित हो रहे ‘महिला संवाद’ कार्यक्रम के तहत महिलाओं और बालिकाओं के सामाजिक व आर्थिक सशक्तिकरण को लेकर व्यापक जागरूकता और संवाद किया जा रहा है।

कार्यक्रम के माध्यम से गाँव-गाँव की महिलाएं न केवल अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं,बल्कि सामाजिक बदलाव की वाहक भी बन रही हैं। बुधवार के महिला संवाद कार्यक्रम में विभिन्न ग्राम संगठनों की महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु चलाई जा रही योजनाओं और आरक्षण की व्यवस्था पर गहराई से चर्चा की गई।
महिलाओं को पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है,जिससे वे नेतृत्व के क्षेत्र में अपनी प्रभावशाली भागीदारी दर्ज करवा रही हैं। प्रारंभिक शिक्षक भर्ती में भी महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देकर उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में आगे आने का अवसर दिया गया है।
साथ ही इसके अतिरिक्त बिहार पुलिस तथा अन्य सरकारी सेवाओं में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण और खेल विश्वविद्यालयों में नामांकन हेतु 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
सभी पहलों का सीधा असर महिलाओं और बालिकाओं के आत्मविश्वास पर पड़ा है।
कार्यक्रम के दौरान ‘मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना’ का उल्लेख भी किया गया,जिसके अंतर्गत सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत बालिकाओं के बैंक खातों में प्रतिवर्ष पोशाक की राशि हस्तांतरित की जाती है।
इस योजना से छात्राओं की विद्यालयों में उपस्थिति में बढ़ोत्तरी हुई है और सभी के पास समान पोशाक होने से उनके मन में हीन भावना समाप्त हुई है। इससे उनमें आत्मविश्वास भी विकसित हुआ है।
कार्यक्रम में लाभार्थी रिहाना खातून ने अपनी खुशी साझा करते हुए बताया कि उन्हें योजना के अंतर्गत राशि प्राप्त हुई, जिससे उन्होंने नया पोशाक बनवाया और अब वे विद्यालय जाने में गर्व महसूस करती हैं।
संवाद कार्यक्रम में भाग ले रहीं जीविका दीदियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए सुझाव रखा कि जैसे आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का एक विशिष्ट ड्रेस कोड होता है, वैसे ही जीविका दीदियों का भी एक अलग ड्रेस कोड निर्धारित किया जाना चाहिए। इससे उनकी पहचान को और अधिक मजबूती मिलेगी।
उन्होंने यह भी प्रस्तावित किया कि इस ड्रेस को जीविका समूहों द्वारा ही निर्मित कराया जाए,जिससे दीदियों के लिए एक नए जीविकोपार्जन का अवसर भी उत्पन्न हो सके।
साथ ही इसके अतिरिक्त उन्होंने यह मांग भी की कि विद्यालय और आंगनबाड़ी में बच्चों के लिए जो वस्त्र उपलब्ध कराए जाते हैं,उनके निर्माण का कार्य भी जीविका समूहों को ही सौंपा जाए,जिससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति और अधिक सुदृढ़ हो सके।
‘महिला संवाद’ कार्यक्रम महिलाओं के जीवन में एक नया उत्साह और आत्मबल भर रहा है। यह केवल एक संवाद का मंच नहीं,बल्कि वह सशक्त पहल है, जिसके माध्यम से महिलाएं अपने सपनों को आकार देने के साथ-साथ जिले के समग्र विकास की नई कहानी भी लिख रही हैं।
वे अब केवल घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि वे सरकार और प्रशासन के समक्ष अपने विचारों को प्रभावी रूप से रख रही हैं योजनाओं का लाभ ले रही हैं और अपने अनुभवों को साझा करते हुए अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं।
यह कार्यक्रम महिलाओं को जागरूक बना कर उन्हें निर्णय प्रक्रिया में सहभागी बना रहा है और आत्मनिर्भरता व नेतृत्व के पथ पर आगे बढ़ा रहा है।
दरभंगा की धरती पर अब महिलाओं और बालिकाओं के बढ़ते कदमों की आहट स्पष्ट रूप से सुनी जा रही है।

