जय भीम लाल सलाम

 

बेतिया:_ भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) द्वारा पश्चिम चंपारण जिले के कई स्थानों पर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 134 वीं जयंती मनाई गई।पार्टी के चनपटिया लोकल कमिटी के सचिव म. वहीद,नौजवान सभा के जिला अध्यक्ष म. सहीम , राजीव कुमार, रामबड़ाई पासवान , नागेंद्र पासवान,अनिरुद्ध पासवान द्वारा छोटा गोपालपुर तथा हरिहरपुर , फत्ते पुर में का. वहीद,सहीम,शिवनाथ राम,विश्वनाथ राम, भरत राम , योगापट्टी प्रखण्ड के बाशोपट्टी में का.मनोज कुशवाहा,कमल राम,विनोद कुशवाहा,अशोक राम,हीरालाल राम आदि दलित पर्चाधारियों ने बाबा साहब भीमराव अमर रहे, जय भीम लाल सलाम का नारा देते हुए गांव में जुलूस निकाला।

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का जन्म 1891 में हुआ था ।वह महार जाति से आते थे। उनकी शिक्षा बडौदा के नरेश गायकवाड़ के द्वारा स्टाइपेन देने से हुआ ।वे 1912 में अर्थशास्त्र तथा राजनीति विज्ञान से बांबे विश्वविद्यालय के एलिफिस्टन कॉलेज से बी ए किए। स्टाइपेन मिलने से ही उच्च शिक्षा लेने के लिए कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिए । वहां एम ए तथा पी एच डी की पढ़ाई की।उसके बाद लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी पढ़ाई की।बैरिस्टर की डिग्री लेकर वे बड़ौदा आ गए।

स्टाइपेन के शर्तों के आधार पर उन्हें बड़ौदा नरेश के यहां ही काम करना था।वे एक हॉस्टल में रह कर काम करने लगे।एक दिन हॉस्टल के लड़कों को पता चला कि अंबेडकर अछूत जाति का है।छात्रावास अधीक्षक ने अंबेडकर को कहीं अन्यत्र मकान ढूंढने का आदेश दिया।मकान नहीं मिलने पर संध्या समय उनके सभी सामान हॉस्टल से बाहर निकाल दिया गया।वे अपनी व्यथा सुनाने रात्री में ही जबरन गायकवाड़ नरेश से मिले।नरेश बिना कोई आदेश दिए वापस महल में चले गए।अंबेडकर को पूरी रात बाहर ही गुजारनी पड़ी।

अंबेडकर ने मनुवादी सोच की उपज वर्णों के आधार पर चलने वाली समाज के विरुद्ध शूद्र जाति के लोगों को गोलबंद करने लगे।उन्हें हिंदू धर्म को छोड़ कर बौद्ध धर्म को अपनाना पड़ा।1947 में देश आजाद होने के बाद महात्मा गांधी के प्रयास से उन्हें संविधान निर्मात्री समिति का अध्यक्ष बनाया गया।बाद जवाहर लाल नेहरू के प्रथम मंत्रीमंडल में विधि मंत्री बनाए गए।

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