राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में सेमिनार का हुआ आयोजन

 

 

दरभंगा (नंदू ठाकुर) : विज्ञान मानवीय कल्याण का माध्यम है , लेकिन प्रौद्योगिकी व अनुसंधान पर अत्यधिक आश्रित होने से सामाजिक संरचना में विसंगतियों का जन्म हो रहा है। आधुनिक वैज्ञानिक इस तथ्य को भूल गए हैं कि विज्ञान का उपयोग सर्वजन हिताय के लिए होना चाहिए। यही वजह है कि आज हवा, पानी, मिट्टी सब प्रदूषित हो रहा है। ऐसी विषम परिस्थितियों के दौर में अपनी समृद्ध परंपरा का अनुगमन करते हुए वैदिक साइंस का अध्ययन महत्वपूर्ण बन पड़ा है।

ये बातें राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर संबोधन देते हुए वैदिक वैज्ञानिक आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक ने कहीं। वे शुक्रवार को लनामिवि के स्नातकोत्तर रसायन विज्ञान विभाग एवं डॉ.प्रभात दास फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘विकसित भारत के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार’ विषयक पर ऑनलाइन माध्यम से संबोधित कर रहे थे। डॉ नैष्ठिक ने आगे कहा कि वेद विज्ञान है और इसमें वर्णित तथ्य आधुनिक विज्ञान से कहीं ज्यादा आगे हैं। वैदिक विज्ञान प्रकृति के मूल तत्व को उजागर करता है। आधुनिक आविष्कारकों ने हमारे पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है, जिसका दुष्परिणाम प्राकृतिक आपदाओं में लगातार हो रही वृद्धि है। वैज्ञानिकों को यह समझना होगा कि धर्म और विज्ञान में नाभि- नाल का संबंध है। इनके आपसी सामंजस्य से ही मानवीय हितों की रक्षा व संरक्षण संभव है।

सेमिनार के विशिष्ट अतिथि सह- विश्वविद्यालय कुलसचिव
डॉ.ए के पंडित ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि विकसित भारत के स्वप्न को साकार रूप देने के लिए युवाओं का वैज्ञानिक चेतना से लैस होना ज़रूरी है। वर्ष 2047 में सशक्त भारत वैज्ञानिक अनुसंधानों के विकास से ही बन सकेगा। विश्व पटल पर भारतीय युवा ज्ञान का परचम लहराएंगे, तभी भारत विकसित राष्ट्र बनेगा।

आयोजित सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए विज्ञान संकायाध्यक्ष सह -स्नातकोत्तर रसायन विभाग के अध्यक्ष डॉ दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि सी वी रमण की याद में विज्ञान दिवस इसलिए आयोजित होता है कि युवा उनके समर्पण को याद करें। सी वी रमण ने जिस प्रतिबद्धता से सीमित संसाधनों में आविष्कार किया वह आज भी नज़ीर है। प्रो चौधरी ने कहा कि आधुनिक दौर में शोध का मतलब प्रमोशन रह गया है। जिस वजह से नए आविष्कार पर विराम लगा है। सरकार को राज्य स्तर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में वैज्ञानिक गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए। इससे गरीब छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा। सेमिनार के द्वितीय- सत्र में डीआरडीओ के वैज्ञानिक डॉ हिमांशु शेखर ने विज्ञान को बढ़ावा के लिए नई पीढ़ी का आहवान करते हुए उन्हें अनुसंधानात्मक प्रवृत्ति को विकसित करने पर विचार रखा। इसके लिए स्थानीय प्रतिभा के विकास के लिए माहौल बनाना होगा। डॉ शेखर ने बिहार राज्य में डीआरडीओ लैब के सृजित करने की पहल संबंधित बात रखी। दरभंगा के सी एम साइंस कॉलेज के पूर्व छात्र रहे डॉ शेखर ने दरभंगा के छात्रों को सभी प्रकार की शैक्षणिक मदद और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में प्रगति करने के लिए प्रेरित किया।

बता दें, विश्वविद्यालय में विज्ञान दिवस विगत एक सप्ताह से मनाया जा रहा है, जिसमें अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ जिसमें कुल 250 प्रतिभागियों ने भाग लिया।चयनित प्रतिभागियों को प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ आकांक्षा उपाध्याय ने किया, वहीं धन्यवाद ज्ञापन डॉ सोनू रामशंकर द्वारा प्रेषित किया गया । इस सेमिनार में डॉ संजय कुमार चौधरी,डॉ अभिषेक राय,विकास कुमार सोनू,डॉ अंकित कुमार ,डॉ पूजा अग्रवाल ,शशिशेखर झा और प्रभात दास फाउंडेशन के मुकेश कुमार झा के साथ विभाग के छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे।

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