




शैक्षणिक व प्रशासनिक सुधार के बलबूते होगा विकास,
भारतीय ज्ञान परम्परा के मानक को अपनाना जरूरी
दरभंगा (विशेष संवाददाता) : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का विकास व राष्ट्रीय पहचान बनाना ही मुख्य ध्येय है। इस दिशा में कई योजनाओं पर लगातार चिंतन, मनन व मंथन किया जा रहा है। कुछेक परिणाम भी सामने आये हैं, जिसमें पीएम उषा योजना के तहत देश के 35 विश्वविद्यालयों में इस विश्वविद्यालय को बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय (मेरू) में शामिल होना प्रमुख है। नैड डिजी लॉकर लागू करने वाला यह बिहार प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है। नैक के ग्रेड में सुधार की पहल भी शुरू कर दी गई है। भारतीय ज्ञान परम्परा के मानक पर भी इस विश्वविद्यालय को लाना है। ये बातें कुलपति प्रो0 संजय कुमार चौधरी ने संवाददाता सम्मेलन में कही।

कुलपति प्रो0 चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक, प्रशासनिक व संरचनात्मक विकास के लिये वे कृत संकल्पित हैं। इस क्रम में विश्वविद्यालय विभागों, कार्यालयों के साथ-साथ कॉलेजों का औचक निरीक्षण भी शुरू किया गया है। इस निरीक्षण के दौरान मिली खामियों व समस्याओं के निदान हेतु आवश्यक निर्देश भी दिये जा रहे हैं। शिक्षण व शोध की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए नवीनतम पुस्तक व पत्रिकाओं के साथ-साथ ई-जर्नल, ई-लर्निंग सम्बन्धी सामग्रियों का क्रय किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं की शिक्षा व परीक्षा सम्बन्धी समस्याओं का त्वरित निष्पादन किया जा रहा है। इस दिशा में किये गये प्रयास का परिणाम है कि एक वर्ष में आयोजित 52 परीक्षाओं का परीक्षाफल वेबसाईट पर प्रकाशित कर दिया गया है। लंबित परीक्षाफल 10 प्रतिशत से नीचे आ गया है, जिसे शून्य करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है।

प्रो0 चौधरी ने बताया कि शिक्षकों एवं कर्मचारियों की प्रोन्नति के मामले में भी सकारात्मक कार्य किया जा रहा है। इस क्रम में 370 शिक्षकेत्तर कर्मियों को वेतनमान सहित उच्चतर पद का प्रभार दिया गया है, जिसका व्यवहारिक लाभ राज्यादेश मिलने पर दिया जाएगा। शिक्षकों की प्रोन्नति की दिशा में अभिलेखीय कार्य किया जा रहा है, जिसका परिणाम शीघ्र आयेगा। कुलपति प्रो0 चौधरी ने कहा कि डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान को राष्ट्रीय मानचित्र पर लाने हेतु प्रयास तेज कर दिया गया है। इसके तहत संस्थान को आधुनिक सुविाध सम्पन्न बनाने के लिए नये पाठ्यक्रमों की शुरूआत तथा राज्य व केन्द्र सरकार से सम्पर्क स्थापित किया जा रहा है। साथ ही संरचनात्मक सुधार की कवायद तेज कर दी गई है। इसी तरह दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में नामांकन शुरू करने के लिए दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो से सम्पर्क करने की योजना को कार्य रूप दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को शोध का दर्जा मिल गया है। इस आधार पर नामांकन शुरू करने की अनुमति मिलने की उम्मीद है। वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन विभाग के अधीन संचालित प्रबन्धन कार्यक्रम भी उनकी दृष्टि से अलग नहीं है। इसके विकास के लिए भी आवश्यक पहल का निर्देश दिया गया है।
इतना ही नहीं कुलपति प्रो0 चौधरी ने बताया कि खेल की दुनिया में भी विश्वविद्यालय ने अपना परचम लहराया है। विश्वविद्यालय की महिला व पुरूष खिलाड़ियों की टीम ने अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता, पूर्वी क्षेत्र अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता एवं खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स प्रतियोगिता में चौदह प्रतियोगिताओं में सफल प्रदर्शन करते हुए कई पदक हासिल किया है। बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा की निधि से 800 सीटों वाले ऑडिटोरियम के निर्माण कार्य की स्वीकृति भी मिल गई है। हरित परिसर बनाने का सपना भी पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत एक हजार वृक्षों को लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि सेवा निवृत्त शिक्षाकर्मियों के पेंशनादि भुगतान के लिए सिंगल ओपन विंडो सिस्टम का कार्यान्वयन किया गया। इससे अबतक 101 पेंशन निर्धारण, 22 पारिवारिक पेंशन और 123 सेवांत लाभ भुगतान का निपटारा किया गया है। कॉलेजों में भी शैक्षणिक, संरचनात्मक व प्रशासनिक बेहतरी के लिये औचक निरीक्षण किया गया है। आगे भी यह क्रम जारी रहेगा। विश्वविद्यालय के शैक्षणिक व प्रशासनिक वातावरण को स्वच्छ, सुंदर व बेहतर बनाने के लिए नियम-परिनियम के कार्यान्वयन व अनुशासन कायम करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। शिकायतों का त्वरित निष्पादन, समस्याओं का निदान, छात्रहितों का ख्याल व शिक्षाकर्मियों के अधिकारों की रक्षा करना उनकी प्राथमिक सूची में शामिल है। प्रो0 चौधरी ने कहा कि सभी के सहयोग व दृढ़ इच्छाशक्ति आधरित कार्यशैली से विश्वविद्यालय निरंतर विकास की ओर अग्रसर है।

