दरभंगा आकाशवाणी को मैथिली भाषा का केंद्र घोषित कर यथावत रखी जाय – डा गोपाल जी ठाकुर

दरभंगा आकाशवाणी का प्रशासनिक केंद्र पटना किए जाने पर सांसद ने जताई आपत्ति

दरभंगा आकाशवाणी केंद्र की अस्तित्व की रक्षा के लिए मुखर हुए सांसद

 

दरभंगा:_मिथिला की हृदयस्थली दरभंगा में अवस्थित आकाशवाणी केन्द्र को यथावत रखने एवं मैथिली भाषा का केन्द्र घोषित कर इसके अस्तित्व को बनाए रखने के लिए दरभंगा के सांसद सह लोकसभा में भाजपा के सचेतक डा गोपाल जी ठाकुर ने आज बुधवार को केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव से भेंट कर अपनी बातें रखी तथा इस संदर्भ में एक ज्ञापन देकर विस्तार से चर्चा की।

सांसद डा ठाकुर ने केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री को इस आकाशवाणी केंद्र कि महत्ता बताते हुए कहा कि मिथिला की साढ़े आठ करोड़ मैथिली भाषियों की आत्मा आकाशवाणी केन्द्र दरभंंगा में बसती है। यह केन्द्र वर्ष 1976 से अब तक मैथिली भाषा के विकास,मिथिला संस्कृति का संरक्षण, मैथिली गीत-संगीत का संवर्धन करती आ रही है।

लेकर कुछ दिन पूर्व आकाशवाणी केन्द्र दरभंगा की प्रशासनिक व्यवस्था आकाशवाणी केंद्र पटना के अधीन कर दी गई जो खेदजनक है।

सांसद डा ठाकुर ने मंत्री को बताया कि प्रसार भारती आगामी माह से आकाशवाणी दरभंंगा केंद्र को मात्र रिले केन्द्र बनाने जा रही है और जिसके फलस्वरूप यहाँ से अब कार्यक्रमों का प्रोडक्शन नहीं के बराबर होगा जो साढ़े आठ करोड़ मैथिली भाषियों के भावना को आहत करेगी।

सांसद ने इस केंद्र की भौगोलिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आकाशवाणी दरभंंगा केंद्र के प्रसारण क्षेत्र के अंतर्गत दरभंंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, सीतामढ़ी,शिवहर और बेगूसराय जिला समाहित है।

मैथिली भाषा भारतीय संविधान की अष्टम अनुसूची में सम्मिलित एक संवैधानिक भाषा है इसके साथ ही

मैथिली भाषा भारतीय लोक सेवा आयोग एवं विभिन्न राज्यों के लोकसेवा आयोग की परीक्षा के सिलेबस में शामिल है।

विगत दिनों संविधान दिवस के अवसर पर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने भारतीय संविधान को माँ सीता की भाषा मैथिली भाषा में अनुवादित कर इसका विमोचन किया है इसीलिए इस केंद्र को यथावत बनाए रखना ही श्रेयष्कर होगा।

सांसद डा ठाकुर ने मंत्री श्री वैष्णव को दरभंगा संसदीय क्षेत्र में 10 नए 4G टावर लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि अन्य मोबाइल कंपनियों के महंगा होने के कारण आज भी सुदूर देहाती क्षेत्रों में इसकी प्रासंगिकता ज्यादा है इसलिए मुख्यालय से सत्तर अस्सी किलोमिटर दूर तक के लोगों को हो रही दिक्कतों के निदान के लिए तत्काल यह कदम उठाया जाय।

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