राजनीति ऐसी होनी चाहिये जिसमें लोकनीति परिलक्षित हो:- पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी

 

लोकनीति को अपनाकर ही भारत को 2047 तक बनाया जा सकता है विकसित राष्ट्र, बोले पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता

 

बिना लोकनीति लाये हम सशक्त समाज व सशक्त भारत की कल्पना नहीं कर सकते हैं, बोले जननायक अध्ययन पीठ के संरक्षक, प्रो. राम भरत ठाकुर।

 

 इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव के मुख्य संपादन में छपी छात्रोपयोगी व शोधोपयोगी पुस्तक “डेमोक्रेटिक आइडियाज ऑफ डॉ. भीमराव अंबेडकर” का विमोचन किया गया।

 

“जय प्रकाश की नजरों में लोकनीति बनाम राजनीति” विषय पर राजनीति विज्ञान विभाग में आयोजित हुआ एक दिवसीय राज्य स्तरीय विचार गोष्ठी

लनामिवि /दरभंगा:- दिनांक 8 अक्टूबर 2024 को विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग के कौटिल्य कक्ष में भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर अध्ययन पीठ के तत्वाधान में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के स्मृति दिवस पर “जय प्रकाश की नजरों में लोकनीति बनाम राजनीति” विषय पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय विचार गोष्ठी का आयोजन विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव की अध्यक्षता में किया गया। सभी आगत अतिथियों को मिथिला के पारंपरिक परिधान पाग व चादर देकर विभागाध्यक्ष प्रो. यादव ने सम्मानित किया। सभी आगत अतिथियों के साथ विभागाध्यक्ष ने दीप प्रज्ज्वलित कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया। सबसे पहले सभी आगत अतिथियों व उपस्थित शिक्षकों ने लोकनायक जय प्रकाश नारायण के तैलीय चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। तदोपरांत विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव के मुख्य संपादन में छपी छात्रोपयोगी व शोधोपयोगी पुस्तक “डेमोक्रेटिक आइडियाज ऑफ डॉ. भीमराव अंबेडकर” का विमोचन किया गया।

बतौर मुख्य अतिथि बिहार सरकार के पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा जेपी साहब में दूर-दृष्टता थी, वे जनता के भावनाओं से जुड़े हुए थे। उनके अनुसार लोकनीति बनाम राजनीति दो अलग-अलग विषय है। राजनीति राजनीतिक दलों के अंदर का विषय है जबकि लोक नीति का विषय जनता के हितों से जुड़ा हुआ है। राजनीति कैसी होनी चाहिये। राजनीति ऐसी होनी चाहिये जिसमें लोकनीति परिलक्षित हो रहा हो। पूरे संविधान का सार “जनता का, जनता के लिये और जनता के द्वारा” में निहित है लेकिन आज भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में संवेदनशीलता और मानवीय मूल्यों का तीव्रतम ह्रास हुआ है। ठहराव की इस स्थिति में बदलाव के लिए लोकनायक की यह उक्ति सर्वाधिक महत्वपूर्ण है कि जेपी का अंतिम संदेश युवक बचाओ अपना देश। आगे उन्होंने इस पर विस्तार से प्रकाश डाला।

बतौर मुख्य अतिथि बिहार सरकार के पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कहा कि राजनीति में जहां विकृतियां आती है, वहां जेपी को याद किया जाता है। लोकसत्ता और राजनीति के शक्ति का सूक्ष्म अंतर को समझना अनिवार्य है। लोकतंत्र को नियंत्रित करना संचालित और संवर्धित करना लोकसत्ता की जिम्मेवारी है। लोकतंत्र में मतदान जरूरी है लेकिन मतदान की महत्ता को रेखांकित करने के लिए लोक शिक्षण कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है। लोकनायक के विचारों में एक अटूट श्रृंखला दिखाई पड़ती है। उनके दर्शन की गतिशीलता जनमुखी है। उनके सही गतिविधियों के केंद्र में लोक का महत्व सर्वाधिक है। लेकिन आज की राजनीति दो भागों में विभक्त है:- समाजवाद बनाम पूंजीवाद। हमलोग समाजवादी विचारधारा में विश्वास रखनेवाले लोग हैं। भारत विकासशील देश है। जहां आज भी जातियां खंड-खंड में विभक्त है। सामाजिक आधार पर उसमें काफी विषमताएं हैं। जिसे बिना लोकनीति को अपनाये समाज के मुख्य धारा से जोड़ना आज भी चुनौती है। राजनीति के बल हम भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्रों की कतार में नहीं ला सकते हैं लेकिन इसके लिये लोकनीति को अपनाकर ही भारत को 2047 तक बनाया जा सकता है विकसित राष्ट्र।

बतौर विशिष्ट अतिथि जननायक अध्ययन पीठ के संरक्षक सह पूर्व अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष सह सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो. रामभरत ठाकुर ने कहा कि जय प्रकाश नारायण महंगाई, बेरोजगारी जैसी समस्याओं को लेकर ही सम्पूर्ण क्रांति का नारा देकर सत्ता के खिलाफ युवाओं की आवाज बनें। जय प्रकाश के शब्दों में 66% आम आदमी, 4% अरबपति टैक्स देता है जबकि 1% आदमी के पास 42% सम्पत्ति वहीं 50% गरीबों के पास मात्र 3% सम्पत्ति है। 83% युवा बेरोजगार हैं। लोकनीति के ठीक विपरीत है आज की राजनीति। इसमें सुधार व बदलाव की आवश्यकता है, बिना लोकनीति लाये हम सशक्त समाज व सशक्त भारत की कल्पना नहीं कर सकते हैं।

उद्घाटन सत्र का बीज भाषण मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने किया। इस अवसर पर सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. प्रभाष चंद्र मिश्रा, विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव, विभाग के वरीय शिक्षक प्रो. मुकुल बिहारी वर्मा, मिथिला विश्वविद्यालय के उप-परीक्षा नियंत्रक (तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा) डॉ. मनोज कुमार, नीतू कुमारी व रघुवीर कुमार रंजन आदि ने भी अपने-अपने महत्त्वपूर्ण विचार रखे।

मंच संचालन विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन विभाग के वरीय शिक्षक प्रो. मुकुल बिहारी वर्मा ने किया। इस अवसर पर अनेक छात्र नेता प्रेमचंद यादव उर्फ भोलू यादव, डॉ. संतोष गोस्वामी, मो. इमाम, नागमणि यादव, मनीष कुमार व कृष्ण कुमार यादव, शोधार्थी व छात्र-छात्रा डिंपी, अंकू, सिद्धार्थ, रामनाथ शर्मा व प्रदीप कुमार शर्मा सहित लगभग 175 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

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