छात्र सोशल मीडिया को छोड़कर टेस्ट बुक पढ़े, तभी वास्तविक एवं व्यावहारिक ज्ञान की प्राप्ति संभव- डॉ शम्भू यादव,
लोगों में तेजी से बढ़ रहा मोबाइल का लत तथा उसका दुरुपयोग न केवल चिंतनीय नहीं है, बल्कि खतरनाक भी- डॉ चौरसिया,
दरभंगा (ब्यूरो रिपोर्ट) : वीर कुंवर सिंह कॉलेज, दरभंगा की एनएसएस इकाई के तत्वावधान में प्रधानाचार्य की अध्यक्षता में “सोशल मीडिया के लाभ तथा हानि” विषय पर कॉन्फ्रेंस हॉल में एक सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि डा अशोक कुमार सिंह, मुख्य वक्ता डा आर एन चौरसिया, डा राम अवतार प्रसाद, डा अमरनाथ प्रसाद, डा राकेश रंजन, डा अब्दुल बद्दुर, डा अर्चना कुमारी, डा विजय कुमार, डा अभिन्न श्रीवास्तव, डा विनय कुमार साह, डा रिंकी, डा पिंकी तथा डा सुबोध सिंह सहित साठ से अधिक छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
संगोष्ठी का आरंभ दीप प्रज्वलन से किया गया, जबकि समापन राष्ट्रगान के सामूहिक गायन से हुआ। अतिथियों का स्वागत पाग- चादर एवं फूलमाला से किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं अतिथि स्वागत एनएसएस के पदाधिकारी डा अमित कुमार सिन्हा ने, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डा रंजन सिंह ने किया।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य डॉ शंभू प्रसाद यादव ने कहा कि वैसे तो सोशल मीडिया के लाभ और हानि दोनों हैं, परंतु तमाम लाभों के बावजूद भी इसमें फेक न्यूज़ अधिक होते हैं जो हमें काफी भ्रमित भी करते हैं और यह हमें असामाजिक भी बना रहा है। हमें अपने पर नियंत्रण रखते हुए इसका प्रयोग कम से कम समय तक ही करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि छात्र सोशल मीडिया को छोड़कर कोर्स के टेस्ट बुकों को पढ़े तो उन्हें वास्तविक एवं व्यावहारिक ज्ञान की अधिक प्राप्ति होगी तथा परीक्षा में भी अच्छे अंक प्राप्त होंगे। उन्होंने मोबाइल देखने का समय निश्चित करने का आह्वान करते हुए कहा कि यदि लोग कुछ हॉबी जैसे- बागवानी, खेलकूद, गायन, नृत्य, पेंटिंग आदि में रुचि विकसित करें तो सोशल मीडिया का उपयोग स्वत: कम हो जाएगा।
मुख्य वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय के कार्यक्रम समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि लोगों में तेजी से बढ़ रहा मोबाइल प्रयोग का लत तथा उसका दुरुपयोग न केवल चिंतनीय, बल्कि खतरनाक भी है। आज यह एक बड़ी सामाजिक समस्या बन गई है, जिसपर सरकारों, शिक्षकों, अभिभावकों, मनोवैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों आदि द्वारा गहन विचार-विमर्श कर समुचित रास्ता निकालने की जरूरत है। छोटी अवस्था से ही बच्चों की दुनिया मोबाइल में सिमटी जा रही है, जिसके लिए हम अभिभावक भी दोषी हैं।
उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया के अत्यधिक प्रयोग से लोग चिड़चिड़ापन, असुरक्षा, गुस्सा तथा आत्मविश्वास की कमी आदि से जूझ रहे हैं। अभिभावकों का समयाभाव, मनोरंजन के साधनों का अभाव तथा स्कूल- ट्यूशन आदि के दबाव के कारण छात्र मोबाइल को ही अपना दोस्त बनाते जा रहे हैं जो उन्हें मानसिक रूप से अवसाद का शिकार बनाकर पागलपन की हद तक भी ले जाता है और कभी-कभी तो आत्महत्या तक की नौबत आ जाती है।
पूर्व कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार सिंह ने सोशल मीडिया के लाभों की चर्चा करते हुए कहा कि सोशल मीडिया खोलो और पूरी दुनिया देखो। इसके सदुपयोग से हमारा कार्य आसानी से हो सकता है और हमारे जीवन में काफी विकास संभव है। उन्होंने इसकी हानि बताते हुए कहा कि इससे टीनएजर्स पर विशेष को कुप्रभाव पड़ रहा है और अपराध भी बढ़ रहा है। डॉ राम अवतार ने कहा कि आज यह हमारा लाइफस्टाइल बन गया है जो उम्र, लिंग, क्षेत्र, जाति, धर्म आदि से सीमाहीन होकर सबका लोकप्रिय बनता जा रहा है, जिससे कुछ लाभ भी प्राप्त हो रहा है। डॉ राकेश रंजन ने संगोष्ठी के विषय को काफी महत्वपूर्ण एवं समीचीन बताते हुए कहा कि प्राचीन काल में शीलालेखों, सिक्कों, दूतों तथा पशु- पक्षियों आदि के माध्यम से लोगों को सूचना देकर जागरूक किया जाता था।
वहीं डा गुंजन कुमारी ने कोविडकाल में सोशल मीडिया के सदुपयोग की चर्चा करते हुए कहा कि ऑनलाइन माध्यम से वर्ग एवं सेमिनार आयोजन का सफल प्रयोग हुआ। डा अर्चना कुमारी ने इसे लत न बनाकर अधिक से अधिक लाभ उठाने का आह्वान किया। इस अवसर पर स्वयंसेविका- आराध्या, साक्षी, सानिया, संजना, वंदना भारती तथा रुचि सिंह आदि में भी विचार व्यक्त किये।