महामना मालवीय मिशन बिहार इकाई द्वारा आगामी 14-15 सितंबर को पटना में होगा अधिवेशन का आयोजन

 

बीएचयू की स्थापना में दरभंगा महाराज का अतुल्यनीय एवं चिरस्मरणीय योगदान- अध्यक्ष विपिन कुमार

 

मिथिला और काशी का रहा है अटूट एवं अकाट्य ऐतिहासिक संबंध- आलोक कुमार

 

अप्रतिम मेधा संपन्न व्यक्तित्व के धनी मालवीय हमारे प्रेरणा पुंज एवं मार्गदर्शक- डॉ चौरसिया

दरभंगा (नंदू ठाकुर):_आकर ही शिक्षाप्रेमी महामना का यज्ञ पूरा हुआ। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी की स्थापना में दरभंगा राज का अतुलनीय एवं चिरस्मरणीय योगदान रहा है। उक्त बातें महामना मालवीय मिशन, बिहार इकाई द्वारा दरभंगा के माधवेश्वर परिसर (श्यामा मंदिर) में पटना में आगामी 14-15 सितंबर को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन की पूर्व तैयारी को लेकर आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए मिशन की बिहार इकाई के अध्यक्ष बिपिन कुमार सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि केवल बीएचयू, वाराणसी में पढ़ने वाले या पूर्व में पढ़े छात्र- छात्रा ही इस मिशन में नहीं हैं, बल्कि भारतरत्न मालवीय के विचारों से प्रभावित कोई भी व्यक्ति इस मिशन से जुड़कर कार्य कर सकते हैं।

विषय प्रवेश कराते हुए मिशन के बिहार इकाई के सचिव आलोक कुमार सिंह ने मिथिला की पुनीत धरती को नमन करते हुए कहा कि इस परिसर में आने मात्र से ही असीम ऊर्जा मिलती है। उन्होंने मिथिला और काशी का अटूट एवं अकाट्य ऐतिहासिक संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि मालवीय जी के जीवन चरित्र पर प्रकाशित वांगमय में श्यामा मंदिर न्यास समिति के उपाध्यक्ष डॉ जयशंकर झा के योगदान पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही बी.एच.यू की स्थापना के शुरुआती दौर में दरभंगा राज की ओर से मिले 5 लाख की राशि को अति महत्वपूर्ण बताया। मिशन से जुड़े आर.के.चतुर्वेदी ने मिशन के आगामी योजनाओं के बारे में, खासकर मालवीय विचारों से प्रेरित विद्यालय खोलने पर बल दिया। स्वागत भाषण के क्रम में श्यामा मंदिर न्यास समिति की सचिव मधुबाला सिन्हा ने कहा कि मैं महामना के मानस पुत्रों को परिसर में पाकर अभिभूत हूँ। डॉ.सोमेश्वर नाथ झा दधिचि के वैदिक मंगलाचरण से शुरू हुए कार्यक्रम का संचालन कला संस्कृति एवं युवा विभाग के राज्य परामर्शदात्री सदस्य सह कार्यक्रम के संयोजक उज्ज्वल कुमार ने किया।

इस अवसर पर विशेष रूप से आमंत्रित डॉ.आर.एन.चौरसिया ने मालवीय जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि उनका जीवन अथाह सागर की तरह है। वे अप्रतिम मेधा संपन्न व्यक्तित्व के धनी थे जो आज भी हमारे प्रेरणा पुंज एवं मार्गदर्शक हैं। मालवीय जी कुशल समाज सुधारक, उच्च कोटि के देशभक्ति, लोकप्रिय शिक्षक तथा विद्वान् राजनीतिक थे, जिनसे हमें सीख लेने की जरूरत है। उन्होंने घोषणा की कि शीघ्र ही मालवीय जी के योगदानों पर एक संगोष्ठी का आयोजन दरभंगा में किया जाएगा।

डॉ.अशोक कुमार सिंह ने मालवीय जी के स्वाधीनता आंदोलन की विशेष रूप से चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने पत्रकारिता को राष्ट्रीय जागरण का साधन बनाया था। प्रो.आनंद मोहन झा ने कहा कि मालवीय जी जिस कार्य को अपने हाथों में लेते थे, उसमें वे मील का पत्थर सिद्ध होते थे। वरिष्ठ पत्रकार विनोद कुमार ने कहा कि महामना पत्रकार, कथाकार, नाटककार, कलाकार, कुशल नेता एवं अच्छे शिक्षाविद् थे, जिनसे विशेष रूप से युवा पीढ़ी को सीख लेनी चाहिए। अधिवक्ता अमर प्रकाश सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। न्यास समिति की ओर सभी आगत अतिथियों को मां श्यामा के आशीर्वाद स्वरूप चुनरी प्रदान की गई। वहीं मिशन की बिहार प्रदेश इकाई द्वारा सभी अतिथियों को महामना मदन मोहन मालवीय का फ्रेमिंग चित्र, दुपट्टा, कलम तथा की-रिंग आदि प्रदान किया गया। विदित हो मालवीय मिशन, बिहार इकाई को 20 वर्षों में पहली बार राष्ट्रीय अधिवेशन करने का सौभाग्य पटना में मिल रहा है।

इस अवसर पर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व एनएसएस समन्वयक डॉ सत्यवान कुमार के आकस्मिक निधन पर सदस्यों द्वारा दुःख व्यक्त करते हुए 2 मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *