संस्कृत सप्ताह का उद्यापन छात्रों के उद्दीपन में सहायक हो :_ कुलपति

 

संस्कृत को व्यवहार में लाने के लिए संगठित होने की जरूरत :_ क्षेत्र मंत्री
चरित्र का निर्माण करती है संस्कृत :_ प्रो0 झा

कक्षा में बढ़े छात्रों की संख्या :_ डीन डॉ झा

संस्कृत सप्ताह समारोह का हुआ समापन

दरभंगा(नंदू ठाकुर):_कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के अधिषद् कक्ष में 16 अगस्त से जारी संस्कृत सप्ताह समारोह का आज 22 अगस्त को समापन हो गया। इस अवसर पर आयोजित समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 लक्ष्मी निवास पांडे ने संस्कृत के सर्वांगीण विकास एवं लोक व्यवहार में लाने के लिए संस्कृतज्ञों के बीच शास्त्र चर्चा पर विशेष बल दिया। कहा कि इससे संस्कृत का जनमानस में प्रचार – प्रसार तेज होगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत सप्ताह का समापन एक तरह से उद्यापन है । उन्हें पूरा यकीन है कि यह उद्यापन संस्कृत छात्रों के लिए उद्दीपन का कार्य करेगा और उसे संस्कृत सेवा के लिए जरुर प्रेरित करेगा। इसी क्रम में कुलपति ने कहा कि छात्रों की चहुमुखी प्रतिभा को बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय में कला रंजनी प्रकोष्ठ खोला गया है और ललित कला विभाग को भी जल्द जिंदा किया जाएगा। कहा कि शिक्षण को रुचिकर बनाने के लिए प्राध्यापकों को नूतन कौशल का आश्रय लेना चाहिए। अध्यापन रुचिकर होगा तो छात्र दौड़े दौड़े वर्ग कक्ष की ओर आएंगे।
वहीं मुख्य अतिथि संस्कृत भारती, बिहार -झारखंड के क्षेत्र मंत्री प्रो0 श्रीप्रकाश पांडेय ने संस्कृत के प्रचार – प्रसार के लिए सरल शब्दों के प्रयोग को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि खासकर संस्कृतज्ञों को संस्कृत में ही बोल-चाल करना चाहिए। श्रावणी पूर्णिमा एवं संस्कृत सप्ताह आचरण की महत्ता को स्पष्ट करते हुए प्रो0 पांडेय ने कहा कि कर्नाटक, मध्यप्रदेश, गुजरात आदि राज्यों में दो दो संस्कृत ग्राम संघटन के प्रयत्न से व्यवहार भाषा के रूप में संस्कृत का प्रयोग होने लगा है।यहां भी संस्कृत भाषा के पुनरुत्थान के लिए हम सभी को कृतसंकल्पित होकर संगठित होने की जरुरत है।
सारस्वत अतिथि विश्वविद्यालय के भूतपूर्व साहित्य विभागाध्यक्ष प्रो0 लक्ष्मीनाथ झा ने शास्त्र अध्ययन हेतु प्रेरित किया तथा संस्कृत की महत्ता भाषा के साथ-साथ शास्त्र के रूप में भी प्रतिष्ठित है, इसे प्रमाणित किया। साथ ही उन्होंने कहा कि संस्कृत चरित्र का निर्माण करती है और अच्छे-बुरे का ज्ञान कराती है। इसकी सूक्तियाँ हमें जीने की राह बताती हैं। उन्होंने संस्कृत को संस्कृत भाषा में ही अध्ययन- अध्यापन करने पर बल दिया तथा साहित्य की दृढ़ता के लिए संस्कृत भाषा की उपासना को आवश्यक बताया।
वहीं, संस्कृत सप्ताह समारोह कार्यक्रम के अध्यक्ष सह डीन डॉ शिवलोचन झा ने कहा कि संस्कृत में सब कुछ है। सिर्फ इसके उपयोग में लाने की जरुरत है। वर्ग में छात्रों की उपस्थिति नियमित करने के विभिन्न उपायों पर उन्होंने चर्चा की। साथ ही कहा कि ऐसे आयोजन से छात्रों को लाभ मिलता है।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि सभी वक्ताओं ने संस्कृत सप्ताह कार्यक्रम को सराहा एवं छात्रों के हित मे जरूरी कहा। मालूम हो कि डॉ राजेश कुमार सिंह के मंच संचालन में हुए समापन कार्यक्रम में कुलगीत इस सत्र की संयोजिका व्याकरण विभाग की सहायक प्राचार्या डॉ साधना शर्मा ने गाया। स्वागत भाषण डॉ सुधीर कुमार ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ यदुवीर स्वरुप शास्त्री ने किया जबकि वैदिक मंगलाचरण डॉ शम्भू शरण तिवारी ने तथा लौकिक मंगलाचरण डॉ रितेश कुमार चतुर्वेदी ने प्रस्तुत किया।
संस्कृत विश्वविद्यालय, रमेश्वरलता महाविद्यालय एवं संस्कृत भारती के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समापन समारोह में कुलसचिव प्रो0 ब्रजेश पति त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष, प्रॉक्टर प्रो0 पुरेन्द्र वारीक, बजट पदाधिकारी डॉ पवन कुमार झा, सीसीडीसी डॉ दिनेश झा, भूसंपदा पदाधिकारी डॉ उमेश झा, प्रो0 दिलीप कुमार झा, प्रो0 दयानाथ झा, शिक्षा शास्त्र निदेशक डॉ घनश्याम मिश्र, डॉ.रामसेवक झा, डॉ.त्रिलोक झा सहित सभी पदाधिकारी व कर्मी उपस्थित थे।

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