स्नातकोत्तर व्याकरण विभाग द्वारा कार्यक्रम आयोजित
दरभंगा (नंदू ठाकुर):_कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर व्याकरण विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो. दयानाथ झा की अध्यक्षता में संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी का विषय था पण्डित महावैयाकरण दीनबंधु झा का जीवन चित्रण। मुख्यातिथि प्रो. शशिनाथ झा द्वारा पण्डित दीनबंधु झा का परिचय देते हुए बताया गया कि वे शिव कुमार मिश्र के शिष्य थे। उन्होंने वैयाकरण भूषणसार पर दीपिका टीका भी लिखी। समासशक्ति दीपिका के मंगलाचरण मे तीन अर्थ वैयाकरण, नैयायिक और महामाया को द्योतित करना पंडित दीनबंधु झा की विशेषता बताता है। साहित्य में भी महावैयाकरण द्वारा तीन पुस्तके लिखी गईं। रमेश्वरप्रतापोदयम् मे व्याकरण- प्रयोग अद्वितीय है। धर्मशास्त्र मे भी पुस्तके लिखीं गई जैसे जीवितपुत्रिकानिर्णय, श्राद्धादिकारीनिर्णय, विजयदशमीनिर्णय, बच्चो के लिए बालशिक्षा सोपानम् लिखी गई । मैथिली व्याकरण भी पण्डित दीनबन्धु झा द्वारा लिखा गया।
पूर्वविभागाध्यक्ष प्रो. लक्ष्मीनाथ झा ने कहा कि वे वैयाकरण, साहित्यिक, धर्मशास्त्र समेत सभी विषयों के विद्वान् थे। अलंकारशास्त्र मे उल्लेखालङ्कार की अलग से व्याख्या अद्वितीय थी।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि सारस्वत वक्तव्य में प्रो. सुरेश्वर झा द्वारा कार्यक्रम को प्रासंगिक कहा गया। उन्होंने पंडित दीनबन्धु झा विरचित पाणिनीय व्याकरण तत्त्वप्रदीप के विषय में बताया। विभागाध्याक्ष प्रो. दयानाथ झा ने पण्डित दीनबन्धु झा के परिवार का परिचय भी दिया। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन मे कहा कि पण्डित दीनबन्धु झा ने प्रारम्भ मे व्याकरण का सम्पूर्ण ज्ञान तटुआर ग्रामवासी पण्डित धनुर्धर झा से प्राप्त किया था, उसके पश्चात् वाराणसी में शिवकुमार मिश्र से। घर पर ही विद्यालय खोलकर उन्होंने अनेक शिष्यों को पढ़ाया जिनमें से सभी के सभी शिष्य बड़े बड़े विद्वान हुए। पुत्र वंश के उनके दौहित्र प्रो. विश्वनाथ झा पूर्व कुलपति रहे। दूसरे दौहित्र प्रो. शशिनाथ झा जो स्वयं भी उन्हीं के समान व्याकरण, साहित्य, मैथिली में अप्रतिम प्रतिभा के धनी हैं। इनके द्वारा १५० से अधिक रचनाएं की जा चुकी हैं।
स्नातकोत्तर व्याकरण विभाग की सहायक आचार्य डॉ . साधना शर्मा ने संगोष्ठी का संयोजन किया तथा दीनबन्धु झा के जीवन पर चर्चा की। विभाग की सहायक आचार्य डॉ. एल सविता आर्या ने कहा कि संस्कृत व्याकरण की तरह पंडित दीनबन्धु झा जी द्वारा मैथिली व्याकरण भी सूत्र मे निबद्ध किया गया जिससे मैथिली व्याकरण भी मजबूत हुआ । विभाग के सहायक आचार्य डॉ. यदुवीर स्वरूप शास्त्री ने पण्डितमहावैयाकरण दीनबन्धु झा के महावैयाकरण बनने पर चर्चा की ।