दरभंगा (रविकांत ठाकुर) :_पग-पग पोखर…’ के लिए मशहूर मिथिला के भीषण गर्मी में पेयजल संकट से जूझने पर विद्यापति सेवा संस्थान ने चिंता व्यक्त की है। संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने सोमवार को विज्ञप्ति जारी कर कहा कि जिला प्रशासन एवं नगर निगम द्वारा जल संकट के दौर से गुजर रही जनता के लिए किए जा रहे प्रयास किए जा रहे हैं वह नाकाफी हैं और इसे और भी कारगर बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने आरोप लगाया कि शहर में नल जल योजना के तहत किए गए सभी उपाय फिसड्डी साबित हो रहे हैं और करोड़ों की लागत से बनाए गए जल मीनार और घर घर नल का जल योजना पूरी तरह से फिसड्डी साबित हो रहे हैं। इस सुविधा को बहाल करने के लिए जगह-जगह गड्ढे तो खोदे जा रहे हैं लेकिन दूर दूर तक इसका कोई फायदा मिलता नजर नहीं आ रहा। उन्होंने इस भीषण संकट पर जन प्रतिनिधियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगने को हास्यास्पद बताते हुए जिला प्रशासन एवं नगर निगम के आला अधिकारियों को आगाह किया है कि यदि दस दिनों के अंदर घर घर नल जल योजना का क्रियान्वयन समुचित तरीके से नहीं हुआ तो संस्थान आंदोलन के लिए मजबूर होगा।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि अन्न के लिए अकाल तो पहले भी देखा जाता रहा है, लेकिन पेयजल के लिए अकाल की ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई । इसके चलते हालात ऐसे हैं कि पेयजल को लेकर चारों तरफ मची हाहाकार की स्थिति के बीच शहर के विभिन्न गली मोहल्लों में पेयजल को लेकर लघु गृह युद्ध के दृश्य आम हैं। उन्होंने सरकार एवं प्रशासन से आम जनता को ऐसी स्थिति से उबाड़ने के लिए कारगर कदम उठाने का अनुरोध किया है।
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने बाढ़ प्रभावित इलाके को इन दिनों पेयजल के संकट से जूझने पर आश्चर्य जताते कहा कि भूजल स्तर के समुचित प्रबंधन नहीं होने से भीषण संकट आया है। उन्होंने शहर से लेकर गांव तक के रिहायशी इलाकों में कंक्रीट सड़कों एवं नालों के निर्माण को इसकी एक प्रमुख वजह बताते हुए कहा कि सरकार एवं प्रशासन की इस अदूरदर्शितापूर्ण कार्यवाही के कारण भूजल स्तर का निरंतर क्षय हो रहा है। उन्होंने संकट की स्थिति में जल प्रबंधन पर सरकारी मशीनरी के साथ-साथ आम लोगों को भी जागरूकता दिखाने की अपील की है। वर्तमान जल संकट की स्थिति पर दुर्गानंद झा, प्रो विजय कांत झा, विनोद कुमार झा, चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई, आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स, नवल किशोर झा, मनीष झा रघु, संतोष कुमार झा आदि ने भी सरकारी मशीनरी की लचर व्यवस्था पर क्षोभ व्यक्त किया है।