नहीं रहे पद्मश्री राम कुमार मल्लिक, विद्यापति सेवा संस्थान ने जताई शोक संवेदना

दरभंगा (ब्यूरो रिपोर्ट) :  ध्रुपद गायकी के लिए विश्वविख्यात दरभंगा अमता घराना के मजबूत स्तंभ पं राम कुमार मल्लिक का शनिवार की देर रात उनके पैतृक आवास पर निधन हो गया। उनके निधन की सूचना मिलने पर विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने उनके अमता गांव स्थित आवास पर जाकर उनके पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण कर मिथिलावासी की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उनके साथ बेनीपुर के विधायक प्रो विनय कुमार चौधरी सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।

मौके पर विद्यापति सेवा संस्थान की ओर से पद्मश्री राम कुमार मल्लिक के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करते हुए विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित, मिथिला विभूति और मिथिला रत्न सम्मानोपाधि से अलंकृत शास्त्रीय संगीत के प्राचीनतम शैली ध्रुपद धमार के प्रख्यात गायक पं राम कुमार मल्लिक मिथिला की शान थे। उनके निधन से मिथिला और शास्त्रीय संगीत क्षेत्र की अपूर्णीय क्षति हुई है।

उन्होंने कहा कि एक उत्कृष्ट शास्त्रीय संगीतज्ञ होने के साथ साथ अपनी विरासत के प्रति उन्हें गहरा लगाव था। जीवन पर्यन्त प्रयोग धर्मी रहने वाले पं राम कुमार मल्लिक का विद्यापति सेवा संस्थान से लगातार 52 वर्षों का अटूट नाता रहा। यही कारण था कि मिथिला विभूति पर्व समारोह के 52 साल के सफर में वे कभी गैरहाजिर नहीं रहे। विद्यापति संगीत के उन्नयन में उनका महत्वपूर्ण योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा।

मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने संगीत के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से नवाजे जाने को संपूर्ण मिथिला का सम्मान बताया। प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि अपनी चंहुमुखी गायकी के लिए शास्त्रीय संगीत की दुनिया में पं राम कुमार मल्लिक अलग पहचान रखते थे। गुरू शिष्य परंपरा के तहत उन्होंने दरभंगा अमता घराने की 500 वर्षों की गौरवशाली परंपरा और उनकी विरासत को सहेज रखी थी।
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि भारत, जर्मनी और फ्रांस की रिकॉर्डिंग कंपनियों द्वारा सहेजी गई ध्रुपद, धमार, ठुमरी और भजन की उनकी प्रस्तुतियां आने वाली पीढ़ी के लिए पथ प्रदर्शक का काम करेगी। शोक जताने वाले अन्य लोगों में डा महानंद ठाकुर, दुर्गा नन्द झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई, विनोद कुमार झा, प्रो विजय कांत झा, डा सुषमा झा, डा ममता ठाकुर, आशीष चौधरी, मणिभूषण राजू, पुरुषोत्तम वत्स आदि शामिल थे।

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