विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन

मेडिकल कॉलेज से एएनएम छात्रों द्वारा निकाली गई जागरूकता रैली

-युवतियों के मासिक धर्म शुरू होने की औसत आयु है 12 से 14 वर्ष

-युवतियों के शरीर के गर्भावस्था के लिए तैयार होने और गर्भावस्था न होने पर होती है माहवारी : सिविल सर्जन

-स्वच्छ माहवारी के लिए स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देना जरूरी

-माहवारी स्वच्छता के लिए सैनेटरी नैपकिन का उपयोग आवश्यक

-जागरूकता से खत्म होगा मासिक धर्म के बारे में मिथक और गलतफहमी

 

पूर्णिया (ब्रजभूषण कुमार):_बढ़ते समय के साथ हर कोई बच्चा से बड़ा होता है। इस दौरान सभी के शरीर के कुछ हिस्से परिपक्व होते हैं, और समय के साथ काम करना शुरू करते हैं। यौनवस्था आने के बाद हर युवतियों के मासिक धर्म की शुरूआत हो जाती है जिस दौरान उन्हें विभिन्न सुविधाओं के साथ स्वच्छता और चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता होती है। इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल 28 मई को विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान लोगों को मासिक धर्म के दौरान बिना हिचक चिकित्सकीय सहायता लेने और स्वच्छ माहवारी के लिए स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए जागरूक किया जाता है। इसके लिए जिला स्वास्थ्य समिति, पूर्णिया द्वारा राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल से एएनएम छात्राओं के साथ जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। इस दौरान छात्राओं ने नारा लगाते हुए मासिक धर्म की जानकारी बिना हिचक परिजनों और चिकित्सकों से साझा करते हुए इससे स्वस्थ रहने के लिए मुख्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिए जागरूक किया गया। इसके साथ ही प्रखंड स्तर पर लोगों को माहवारी स्वच्छता के लिए जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में सभी प्रखंडों के बीसीएम, चिन्हित एएनएम और आशा फेसिलेटर के साथ जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिस दौरान उन्हें मासिक धर्म के दौरान युवतियों को होने वाले विभिन्न समस्याओं के निराकरण की जानकारी दी गई। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ ओ पी साहा, डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास, डीसीएम संजय कुमार दिनकर, डीसीक्यूए डॉ अनिल शर्मा, यूनिसेफ जिला समन्यवक शिवशेखर आनंद, इंटर्न अर्पिता हलदार, यूनिसेफ पोषण समन्यवक निधि भारती, एएनएम स्कूल मेडिकल अधिकारी रजनीकांत, पिरामल फाउंडेशन प्रोग्राम समन्यवक सनत गुहा सहित सभी प्रखंड के बीसीएम, एएनएम, आशा फेसिलेटर उपस्थित रहे।

 

युवतियों के शरीर के गर्भावस्था के लिए तैयार होने और गर्भावस्था न होने पर होती है माहवारी : सिविल सर्जन

 

सिविल सर्जन डॉ ओ पी साहा ने बताया कि प्यूबर्टी यानी यौनवस्था आने के बाद हर युवती की मासिक धर्म की शुरुआत हो जाती है। इसकी औसत आयु 12 से 14 वर्ष होती है। इसके बाद युवती का शरीर हर महीने गर्भावस्था के लिए तैयार हो जाता है लेकिन गर्भावस्था न होने के कारण गर्भाशय अनफोर्टिलाइज्ड अंडों और गर्भाशय के टिश्यू को योनि से रक्तस्राव के जरिये बाहर निकलने लगता है। युवतियों के इसी प्रक्रिया को मासिक धर्म कहते हैं। मासिक धर्म में होने वाले रक्तस्राव में आधी मात्रा रक्त और आधे गर्भाशय के टिश्यू होते हैं। सामान्यतः एक अवधि के दौरान 30-40 मिली लीटर रक्तस्राव होता है। यह सामान्य प्रक्रिया है और ऐसा हर महिला के साथ होता है। इसलिए किसी को इससे शर्माने और घबराने की जरूरत नहीं है। इसमें किसी तरह की समस्या होने पर चिकित्सक से सम्पर्क करने की जरूरत है जिससे कि उन्हें आवश्यक चिकित्सकीय सहायता प्रदान किया जा सके। उन्होंने कहा कि विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस के अवसर पर जिले के सभी प्रखंडों में आगामी एक सप्ताह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिस दौरान सभी लोगों को माहवारी स्वच्छता के दौरान युवतियों के बिना हिचक सभी आवश्यक सुविधाओं का लाभ लेने और किसी तरह की समस्या होने पर चिकित्सक लाभ लेने के लिए जागरूक किया जा सके।

 

स्वच्छ माहवारी के लिए स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देना जरूरी :

 

डीपीएम स्वास्थ्य सोरेंद्र कुमार दास ने कहा कि माहवारी मानव अस्तित्व के लिए आवश्यक है। स्वच्छ माहवारी के लिए लोगों के स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने की जरूरत है। इसके लिए लोगों को जागरूक करने से मासिक धर्म के दौरान युवतियों को चिकित्सकीय सहायता लेने और आवश्यक सुविधाओं का लाभ लेने के लिए संकोच नहीं करना पड़ेगा। माहवारी के दौरान महिलाओं को बेहतर स्वास्थ के लिए आवश्यक पोषण के साथ साथ शारीरिक गतिविधियों में इजाफा करने की जरूरत है। माहवारी के दर्द और खोए हुए रक्त को पाने के लिए सभी महिलाओं को आयरन युक्त भोजन और पर्याप्त जल का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा उन्हें माहवारी के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखने के लिए नहाने, व्यायाम करने और पर्याप्त आराम करना आवश्यक है। जिन लड़कियों को माहवारी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, दर्द या योनि संक्रमण होता है उन्हें बिना किसी हिचक के अपने परिजनों से समस्या साझा करना चाहिए और उनके सहयोग से चिकित्सकीय सहायता लेना चाहिए।

 

माहवारी स्वच्छता के लिए सैनेटरी नैपकिन का उपयोग आवश्यक :

 

डीसीएम संजय कुमार दिनकर ने बताया कि माहवारी में योनि से रक्तस्राव मुख्य लक्षण हैं। इसके अलावा पेट व पेल्विक एरिया में दर्द और ऐंठन होना, निचली पीठ और कमर में दर्द, पेट फूलना, संवेदनशील स्तन, फूड क्रेविंग, मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन होना, सिर दर्द और थकान होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। महिलाओं के मासिक धर्म की शुरुआत 12 से 14 वर्ष की आयु में शुरू होती है और 40 से 50 वर्ष तक कि आयु तक महिलाओं को हर माह मासिक धर्म से गुजरना पड़ता है। मासिक धर्म की अवधि 02 से 07 दिन तक की होती है। इस दौरान महिलाओं को सामान्य स्वच्छता बनाए रखना आवश्यक है। इसके लिए महिलाओं को डिस्पोजेबल या पुनः प्रयोज्य सैनिटरी नैपकिन उपयोग करने के लिए सुविधाजनक और सुरक्षित है। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को हर छः घंटे में नैपकिन को बदलते रहना चाहिए। बहुत लंबे समय तक इस्तेमाल किये गए नैपकिन पहने रहने से संक्रमण हो सकता है। नैपकिन का उपयोग करने के साथ ही महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सामान्य स्वच्छता भी बनाये रखना चाहिए। शरीर और प्राइवेट पार्ट को रोजाना धोना जरूरी है। सैनेटरी नैपकिन को साफ और सुखी जगह पर रखना चाहिए।

 

जागरूकता से खत्म होगा मासिक धर्म के बारे में मिथक और गलतफहमी :

 

यूनिसेफ जिला समन्यवक शिवशेखर आनंद ने कहा कि मासिक धर्म के बारे में लोगों में बहुत सी मिथक और गलतफहमी है जिसे दूर करने की जरूरत है। पीरियड्स के दौरान लड़कियों को अशुद्ध माना जाता है और पवित्र स्थानों पर जाने से रोका जाता है जबकि पीरियड्स लड़कियों के बड़ी होने और गर्भावस्था के लिए तैयार होने की सूचना है न कि उनके अशुद्ध होने की जानकारी है। पीरियड्स के लिए लड़कियों को सैनिटरी नैपकिन को निजी रखने की आवश्यकता नहीं है बल्कि यह व्यक्तिगत स्वच्छता उत्पाद है जिसके इस्तेमाल को कलंकित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। पीरियड्स के दौरान लड़कियों को पौधों को छूने या उनके पास जाने पर पौधों के मर जाने की मिथ्या हैं जो बिल्कुल गलत है। पौधे भेदभाव नहीं करते बल्कि अच्छी देखभाल करने पर पनपते हैं। मासिक धर्म कोई संक्रमण नहीं है जिस दौरान लड़कियों को अलग बेड या अलग कमरे में सोने की जरूरत है। साथ रहने से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुँचता है। मासिक धर्म के दौरान कोई भी शारीरिक गतिविधि मासिक धर्म के प्रवाह को परेशान नहीं करता है बल्कि व्यायाम और खेल खेलना वास्तव में दर्द को दूर करने में मदद करता है। बहुत से लोगों में यह मिथ्या है कि मासिक धर्म का रक्त अशुद्ध और अस्वास्थ्यकर है लेकिन मासिक धर्म का रक्त अशुद्ध नहीं होता है। एंडोमेट्रियल अस्तर, गर्भाशय ग्रीवा स्राव आदि के अतिरिक्त होने के कारण मासिक धर्म रक्त के रंग में अंतर होता है। पीरियड्स पूरी तरह नेचुरल फेनोम है और इससे किसी को शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है।

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