आंगनबाड़ी केंद्रों से अतिकुपोषित बच्चों को चिन्हित कर भेजा जा रहा पोषण पुनर्वास केंद्र

 

पोषण पुनर्वास केंद्र में चिकित्सक और पोषण विशेषज्ञ द्वारा होता है बच्चों का इलाज, 

-उम्र के साथ वजन, लंबाई और ऊँचाई के आधार पर चिन्हित किया जाता है कुपोषित बच्चा, 

-समय पर पर्याप्त इलाज नहीं होने से कुपोषित बच्चों के मृत्यु की होती है संभावना, 

 

 

कटिहार (ब्रजभूषण कुमार) : समय के साथ बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास नहीं होने पर उन्हें कुपोषित बच्चों की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे बच्चों की शुरुआत में ही पहचान करते हुए चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए समेकित बाल विकास परियोजना (आईसीडीएस) विभाग द्वारा तत्पर रहता है। जिले में ऐसे कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों को सही समय से चिन्हित करते हुए आवश्यक इलाज करवाने में तेजी लाने के लिए जिलाधिकारी मनेश कुमार मीणा द्वारा आईसीडीएस विभाग को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया गया। जिलाधिकारी से प्राप्त निर्देशों से आईसीडीएस द्वारा ऐसे बच्चों की पहचान करते हुए इलाज के लिए भेजने में और अधिक तेजी लाई जा रही है। विभिन्न प्रखंडों से कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की पहचान करते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) भेजा जा रहा है। वहां शिशु चिकित्सक और पोषण विशेषज्ञ की निगरानी में बच्चों के पोषण स्तर में सुधार करते हुए बच्चों को सामान्य बच्चों की भांति तंदुरुस्त बनाया जाएगा। शनिवार तक 14 कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा बेहतर स्वास्थ्य के लिए एनआरसी भेजा गया है। इसमें फलका से 07 बच्चों, बरारी से 02 बच्चों, कटिहार सदर से 01 बच्चा, डंडखोरा से 02 बच्चा और हसनगंज से 02 बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जा चुका है। वहां एक परिजनों के साथ रहकर बच्चों का विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा इलाज उपलब्ध कराई जाएगी।

 

उम्र के साथ वजन, लंबाई और ऊँचाई के आधार पर चिन्हित किया जाता है कुपोषित बच्चा :

आईसीडीएस जिला प्रोगाम पदाधिकारी (डीपीओ) किसलय शर्मा ने बताया कि जन्म के बाद से ही नवजात शिशुओं का सही देखभाल आवश्यक है। ऐसा नहीं होने पर बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। कुपोषित बच्चों की समय पर पहचान कर उन्हें आवश्यक चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए आईसीडीएस आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा ऐसे बच्चों को चिन्हित कर पोषण पुनर्वास केन्द्र भेजा जाता है। इसके लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा नवजात शिशुओं का जन्म के साथ वजन, लंबाई व ऊंचाई के आधार पर उनके पोषण स्थिति की पहचान की जाती है। ऐसे कुपोषित बच्चे जिन्हें केवल शारीरिक कमजोरी है लेकिन चिकित्सकीय समस्या नहीं है उनका इलाज समुदाय स्तर पर संचालित टीकाकरण केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र द्वारा पोषण और चिकित्सकीय सहायता देकर किया जाता है। लेकिन ऐसे बच्चे जिन्हें शारीरिक कमजोरी के साथ मानसिक कमजोरी और निर्बलता है उसे अतिकुपोषित की श्रेणी में रखते हुए बेहतर इलाज के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र भेजते हुए उसे चिकित्सक द्वारा देखरेख कर इलाज कराया जाता है। ऐसे बच्चों को चिह्नित करते हुए उन्हें समय पर इलाज उपलब्ध कराने के लिए सभी आंगनबाड़ी सेविकाओं को आवश्यक निर्देश दिया गया है जिससे कि समय से ऐसे बच्चों की पहचान कर उनका इलाज किया जा सके और उन्हें सुपोषित बनाया जा सके।

समय पर पर्याप्त इलाज नहीं होने से कुपोषित बच्चों के मृत्यु की होती है संभावना :

राष्ट्रीय पोषण अभियान के जिला समन्यवक अनमोल गुप्ता ने बताया कि सामान्य बच्चों की तुलना में गंभीर अतिकुपोषित बच्चों की मृत्यु का खतरा नौ गुना अधिक होता है। 100 में 80-85 प्रतिशत ऐसे कुपोषित बच्चे पाए जाते हैं जिनका चिकित्सकीय सहायता समुदाय स्तर पर किया जा सकता है। 10-15 प्रतिशत बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने की जरूरत होती है। ऐसे बच्चों की समय से पहचान कर उनका इलाज करने से कुपोषण के कारण होने वाले बच्चों की मृत्यु को खत्म किया जा सकता है। इसके लिए सभी आंगनबाड़ी सेविकाओं को जिलाधिकारी के सौजन्य से आवश्यक निर्देश दिया गया है जिससे कि उनके क्षेत्र के कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की पहचान करते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए एनआरसी भेजा जा सके। निर्देश के अनुसार सभी प्रखंडों से आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा ऐसे बच्चों को एनआरसी भेजा जा रहा है जहां बच्चों को पोषण और चिकित्सकीय सहायता प्रदान किया जाएगा। और संवर्धन कार्यक्रम में पंजीकृत कर समुदाय स्तर पर बेहतर देखभाल किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *