कांग्रेस और उसके गठबंधन की नजर अब आपकी कमाई और संपत्ति पर

 

बेतिया , पश्चिमी चंपारण (ब्रजभूषण कुमार) : 60 के दशक से कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति को चुनाव जीतने का हथियार बनाया। हम वर्षों से इसके खिलाफ लड़ रहे थे। 2014 से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकास का एजेंडा देश में सेट किया जिसके बाद कांग्रेस लगातार पराजित हो रही है। अब कांग्रेस फिर से एक बार तुष्टिकरण के आधार पर आगे बढ़ना चाहती है। उक्त बातें रेणु देवी,मत्स्य सह पशुपालन मंत्री बिहार सरकार ने जिला चुनाव कार्यालय भाजपा में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कही। आगे उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस और इंडी गठबंधन की नजर अब आपकी कमाई पर है। आपकी संपत्ति पर है। आपकी संपत्ति पर कांग्रेस अपना पंजा मारना चाहती है। किसके पास कितनी प्रॉपर्टी है, किसके पास कितना धन है, किसके पास कितने मकान हैं, कांग्रेस सरकार उसकी जांच कराएगी। यह जो संपत्ति है उनको सरकार अपने कब्जे में लेकर सभी को बांट देगी। आगे उन्होंने कहा कि अब आप लोग सोचिए, हमारी माता-बहनों के पास सोना होता है। वह पवित्र माना जाता है। कानून भी उसकी सुरक्षा करता है। अब इनकी नजर इस पर भी है। माता-बहनों का सोना चुराने के लिए यह सर्वे कराना चाहते हैं। माताओं-बहनों का मंगलसूत्र अब सलामत नहीं रहेगा। यही कांग्रेस ने कहा है।

इन परिवारवादी लोगों ने देश को लूटकर अपना इतना साम्राज्य बना लिया है कि देश को कुछ नहीं दिया है। जनता के धन को लूटना, देश को लूटना ही कांग्रेस अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझती है। आगे श्रीमती देवीने कहा कि नौकरी पेशा वाले लोगों ने अपने बच्चों के भविष्य के लिए जो एफडी करवाई है। कांग्रेस वाले उसकी भी जांच कराने की बात कर रहे हैं। कांग्रेस इसका सर्वे कराएगी। फिर कांग्रेस ऐसे ही सरकार के नाम पर कब्जा करेगी। यह आपकी संपत्ति को छीनकर बांटने की बात कर रही है।

कांग्रेस यहां तक जाएगी कि आपके गांव में पैतृक घर है, तो यह लोग उसे दो घर बताकर छीन लेंगे। कांग्रेस के लोग कहेंगे कि आपके पास गांव में तो एक घर पहले से ही है। इनकी यह सोच माओवादियों और कम्युनिस्टो जैसी है। कांग्रेस और इंडी गठबंधन इसे भारत में लागू करना चाहती है।
प्रधानमंत्री ने सही ही कहा है। यही कांग्रेस की नीति और उनके नियमितीकरण घोषणापत्र का हिडेन एजेंडा है।

कांग्रेस का घोषणापत्र 2024 स्पष्ट है। इसमें विशेष रूप से कहा गया है कि कांग्रेस जातियों और उप-जातियों और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की गणना करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना आयोजित करेगी। आंकड़ों के आधार पर सकारात्मक कार्रवाई के एजेंडे को मजबूत किया जाएगा।
कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में कहा है कि देश में बहुसंख्यकवाद की कोई जगह नहीं है।कांग्रेस के घोषणा पत्र में यह कहा गया है कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बैंक बिना किसी भेद भाव के अल्पसंख्यकों को संस्थागत ऋण प्रदान करें। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सार्वजनिक रोजगार, सार्वजनिक कार्य अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में बिना किसी भेदभाव के अवसरों का उचित हिस्सा मिले।

कांग्रेस ने अपने manifesto में लिखा है कि एससी, एसटी और ओबीसी रिजर्वेशन की 50% की सीमा को ख़त्म किया जाएगा और इसे बढ़ाया जाएगा। मतलब ये बढ़ा हुआ आरक्षण किसको देंगे क्योंकि कांग्रेस ने अपने manifesto के लगभग हर section में अल्पसंख्यकों की बात कही है। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में लिखा है कि कांग्रेस नीतियों में उपयुक्त बदलाव करके धन और आय के मामले में बढ़ती असमानता का समाधान करेगी।

05 अप्रैल को घोषणापत्र जारी करते समय राहुल गाँधी ने कहा था कि हिंदुस्तान में 50% आबादी पिछड़े वर्ग की है, 15% आबादी दलितों की है, 8% आबाद आदिवासियों की है, 15% आबादी माइनॉरिटी की है और 5% आबादी गरीब जनरल कास्ट की है। अगर आप इन सबको मिला दें तो 90% से ज्यादा आबादी इन लोगों की बनती है मगर आप, अगर हिंदुस्तान की संस्थाओं को देखो, इंस्टीट्यूशन्स को देखो, बड़ी-बड़ी कंपनियों को देखो, तो इनमें से आपको कोई भी उन कंपनियों में, उन इंस्टीट्यूशन में, उन संस्थाओं में नहीं दिखाई देता। इसलिए हमने वादा किया है कि जैसे ही हमारी सरकार आएगी, जाति जनगणना को हम पूरे देश में इम्प्लिमेंट कर देंगे। देश का एक्सरे कर देंगे, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। इसके बाद हम फाइनेंशियल और इंस्टीट्यूशनल सर्वे करेंगे। ये पता लगाएंगे कि हिंदुस्तान का धन किसके हाथों में है। कौन से वर्ग के हाथ में है और इस ऐतिहासिक कदम के बाद हम क्रांतिकारी काम शुरू करेंगे। जो आपका हक बनता है, वो हम आपके लिए आपको देने का काम करेंगे।

आगे मंत्री ने कहा कि कांग्रेस का ये एजेंडा भले ही 05 अप्रैल को सामने आया लेकिन इससे पहले ही कांग्रेस इसकी पटकथा लिख चुकी थी। राहुल गांधी ने भी महाराष्ट्र में हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम (16 मार्च 2024) में कहा कि किसके पास कितनी संपत्ति है, इसके लिए एक व्यापक आर्थिक, वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण किया जाएगा।
इसके बाद फिर राहुल गांधी ने (6 अप्रैल 2014) तेलंगाना में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पार्टी के जितनी आबादी उतना हक’ नारे का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो यह पता लगाने के लिए एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण कराएगी कि देश की अधिकतर संपत्ति पर किसका नियंत्रण है। राहुल गांधी ने कहा कि इसके लिए राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना के अलावा वेल्थ सर्वे (संपत्ति के बंटवारे का सर्वेक्षण) कराया जाएगा, यह हमारा वादा है।

*कांग्रेस घोषणापत्र 2024*

1.कांग्रेस राष्ट्रव्यापी सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रम आयोजित करेगी

और जातियों की गणना करने के लिए जाति जनगणना और उपजातियां और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आंकड़ों के आधार पर हम एजेंडा को मजबूत करेंगे।

5. अल्पसंख्यकों का आर्थिक सशक्तिकरण है a

भारत को अपनी पूरी क्षमता का एहसास कराने के लिए आवश्यक कदम। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि बैंक संस्थागत ऋण प्रदान करेंगे

बिना किसी भेदभाव के अल्पसंख्यक।

6. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सार्वजनिक क्षेत्र में अवसरों का पूरा हिस्सा मिले रोजगार, लोक निर्माण अनुबंध, कौशल विकास,

बिना किसी भेदभाव के खेल और सांस्कृतिक गतिविधियाँ

यह दिन के उजाले की तरह स्पष्ट है कि कांग्रेस हमारी संपत्ति, गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों, एससी, एसटी की संपत्ति, महिलाओं की बचत को छीनना चाहती है और इसे विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के बीच पुनर्वितरित करना चाहती है, जैसा कि कांग्रेस यूपीए चाहती थी। अब जब उन्हें बुलाया गया है तो वे अपने वादों से भाग नहीं सकते।

कांग्रेस ने पहले भी ऐसा किया है। कांग्रेस की सरकारों ने 1960 और 1970 के दशक में कानून पास करके भारतीयों को इस बात के लिए विवश किया था कि वह अपनी कमाई का एक हिस्सा सरकार के पास जमा कर दें।

जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गाँधी की अगुवाई वाली कॉन्ग्रेस सरकारों ने लोगों की कमाई जब्त करने वाले ऐसे ही कानून 1963 और 1974 में पास किए थे। इनका नाम कम्पलसरी डिपाजिट स्कीम एक्ट था। इसके अंतर्गत सभी करदाताओ, सम्पत्ति धारकों और सरकारी कर्मचारियों को अपनी कमाई का 18% सरकार के पास जमा करना होता था। जमा की धनराशि 3-5 वर्ष तक के लिए सरकारी खजाने में रहती थी। हैरानी की बात यह है कि जब 1974 में यह कानून लाया गया था, तब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुख्य आर्थिक सलाहकार हुआ करते थे।

जहाँ आज की सरकार लोगों की कमाई बढ़ा कर देश को सशक्त करना चाहती है, वहीं कांग्रेस सरकारें लोगों की कमाई जब्त करके देश का विकास करना चाहती थीं। इन कानूनों के तहत सरकार को यह ताकत भी थी कि वह इस बात पर निर्णय ले कि किसका पैसा कितने दिन रखा जाए किसको कब पैसा वापस दिया जाए।

राहुल गांधी की धन पुनर्वितरण योजना कैसे काम कर सकती है?

क्या होगा अगर राहुल गांधी जाति जनगणना के बाद जमीनों को और आवास योजना के मकानों को एक धर्म के लोगों से दूसरे धर्म के लोगों में, या एक जाति से दूसरे में स्थानांतरित करना शुरू कर दें? विभाजन याद है, जब धार्मिक आधार पर विभाजन के कारण लोगों को सब कुछ छोड़कर भागना पड़ा था? राहुल गांधी जाति के आधार पर ऐसा चाहते हैं।

राहुल गाँधी ने निजी एवं सार्वजानिक कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों में अल्पसंख्यकों के समावेशन को ‘मापने, निगरानी करने और बढ़ावा देने’ के लिए एक diversity commission बनाने की बात कही है। साथ ही, यह भी कहा कि जो कंपनियां मानदंडों को फॉलो नहीं करेगी तो उन्हें दण्डित किया जाएगा। इसलिए, इस संभावना को ख़ारिज न करें कि राज्य आपको बताएगा कि अपने व्यवसाय के लिए कैसे और किसको नौकरी

पर रखना है अन्यथा अधिक कर का भुगतान करें।

राहुल गाँधी एक निश्चित सीमा से ऊपर नकदी प्रवाह वाले व्यक्तियों या खातों की संपत्ति को जब्त करने वाले कानून की वकालत करते हैं। इसके बाद सरकार पुनर्वितरण योजना शुरू करती है। कल्पना कीजिए यदि राज्य आपका दूसरा घर या कोई अवकाश या सेवानिवृत्ति गृह जब्त कर ले।

मुसलमानों का देश के संसाधनों पर पहला हक वाला मनमोहन सिंह का बयान अचानक नहीं आया था. ठीक इसी दौरान कोशिश हो रही थी किः

शिड्यूल कास्ट की लिस्ट में मुसलमानों को भी घुसाया जाए

मुसलमानों को सरकारी नौकरियों में अलग से 15% आरक्षण दिया जाए

ओबीसी आरक्षण को धर्म के आधार पर बांट कर मुसलमानों को 6% अलग दिया जाए

धर्म परिवर्तन करने पर भी एससी का दर्जा सुरक्षित रहे

मुसलमानों को संसाधनों पर पहला हक देना सिर्फ बयान (दिसंबर, 2006, दिल्ली) नहीं था। इसकी प्रक्रिया

बहुत पहले से चल रही थी। रिटायर्ड चीफ जस्टिस और कांग्रेसी नेता सांसद रंगनाथ मिश्रा इसी दौरान अपनी रिपोर्ट में लिख रहे थे कि मुसलमानों में भी जाति है, इसलिए उनमें भी एससी माना जाए और एससी लिस्ट में उनको भी आरक्षण दिया जाए। ये भी सिफारिश की गई कि कोई एससी अगर धर्म बदल कर मुसलमान या ईसाई बनता है तो भी उसका एससी दर्जा बना रहे। रंगनाथ कमीशन ने मुसलमानों को नौकरियों में 15% आरक्षण देने की सिफारिश की थी। ओबीसी के 27%से 6% काटकर मुसलमानों को देने की सिफारिश भी कांग्रेस द्वारा गठित इस आयोग में है।मनमोहन सिंह के बयान से ठीक एक महीना पहले सच्चर कमेटी की रिपोर्ट आई थी, जिसने ये गलत बयानी की थी कि मुसलमानों की हालत दलितों से भी खराब है।

यह विचार कि भारत के संसाधनों पर मुसलमानों का पहला अधिकार है और गरीबों और हाशिए पर रहने वाले, एससी, एसटी और महिलाओं की छोटी बचत सहित भारतीयों की संपत्ति को अल्पसंख्यकों के बीच पुनर्वितरित किया जाना चाहिए, कांग्रेस में गहराई से व्याप्त है। इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष रुपक श्रीवास्तव,धन रंजन कुशवाहा आदि मौजूद रहे।

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