टीबी से ग्रसित 26 मरीजों में पोषण सामग्री और कंबल वितरित
चिकित्सक डॉ देवी राम ने अपने जन्मदिन पर 11 टीबी मरीजों को लिया गोद
समय पर जांच और निरंतर इलाज से टीबी मुक्त हो सकते हैं लोग : सीडीओ
पूर्णिया (ब्यूरो रिर्पोट) : टीबी (यक्ष्मा) एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जो माइक्रो बैक्टेरिया के कारण होती है। समय पर जांच करते हुए इलाज कराने पर लोग इससे स्वस्थ हो सकते हैं। अगर इसमें लापरवाही बरती गई तो इससे लोगों की जान को भी खतरा होता है। टीबी मुक्त भारत के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा निक्षय योजना चलाया जाता है जिसके तहत टीबी से ग्रसित मरीजों को समय- समय पर दवाई उपलब्ध कराने के साथ ही बेहतर पोषण उपलब्ध कराया जाता। टीबी मरीजों को बेहतर पोषण उपलब्ध कराने में सहयोग करने के लिए निक्षय मित्र की भूमिका अहम है। इसके तहत कोई भी योग्य व्यक्ति टीबी से ग्रसित मरीजों को गोद लेकर उनके स्वस्थ होने तक उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी उठा सकते हैं। निक्षय मित्र की इस जिम्मेदारी को शहर के जानेमाने चिकित्सक डॉ देवी राम द्वारा भी सहयोग किया जा रहा है। इनके द्वारा गुरुवार को राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के जिला यक्ष्मा कार्यालय में 26 टीबी ग्रसित मरीजों को पोषण के लिए आवश्यक सामग्री का वितरण किया गया। गुरुवार को अपने जन्मदिन के मौके पर डॉ देवी राम द्वारा 11 नए टीबी ग्रसित मरीजों को गोद लिया गया है। उन्होंने पहले से भी 10 टीबी मरीजों को गोद लिया है। 05 टीबी ग्रसित मरीज जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा द्वारा भी गोद लिया गया है। जिन्हें गुरुवार को अपने जन्मदिन के मौके पर डॉ देवी राम द्वारा पोषण सामग्री दी गयी। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी, जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा, राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल के अस्पताल अधीक्षक डॉ संजय कुमार, चिकित्सक डॉ सुधांशु कुमार, एपिडेमियोलॉजिस्ट नीरज कुमार निराला, डीपीएस राजेश कुमार, एसटीएस राकेश कुमार, एसटीएलएस प्रिया कुमारी, टीबी हेल्थ विजिटर राजनाथ झा, प्रशांत कुमार, अमित कुमार, रीच इंडिया डीसी चंदन कुमार, वर्ल्ड विजन डीसी अभय श्रीवास्तव, डीएस अजय अकेला, केएचपीटी डीसी अरुणेंदु झा सहित टीबी मुक्त अभियान के टीबी चैंपियन और अस्पताल कर्मी उपस्थित रहे।
मरीजों की सेवा मेरी प्राथमिकता :
निक्षय मित्र बने चिकित्सक डॉ देवी राम ने टीबी मरीजों को पोषण सामग्री देते हुए कहा कि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा मदद कर सकूं ये मेरी प्राथमिकता में है। टीबी ग्रसित होने पर मरीजों को इलाज के साथ बेहतर पोषण की जरूरत होती है। इसलिए मेरे द्वारा उन्हें स्वस्थ होने तक पोषण सहायता प्रदान की जाती है। आज मेरे जन्मदिन के अवसर पर कुल 26 टीबी ग्रसित मरीजों को पौष्टिक आहार के सेवन के लिए पोषण सामग्री उपलब्ध कराई गई है। इसके साथ ही बदलते मौसम को देखते हुए सभी मरीजों को कंबल भी वितरित किया गया। उन्होंने कहा कि आज सशस्त्र सेना सेवा दिवस भी है। ऐसे में देश के लिए सेवा देने वाले ऐसे सेना कर्मी जो विकलांग हो गए हैं या शहीद हुए सेना के परिजनों को भी पोषण में सहयोग की आवश्यकता है। इसमें सहयोग के लिए हमारे तरफ से स्वास्थ्य विभाग को 01 लाख की चेक दी जा रही है। इसके साथ ही उन्होंने किसी भी तरह के विकलांग लोगों और घर से बेघर वृद्ध लोगों को जरूरत होने पर सहयोग के लिए संपर्क करने की जानकारी दी।
टीबी मुक्त समाज बनाने में लोगों को करना चाहिए सहयोग : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने कहा कि टीबी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जिसे समय रहते जांच करने और सही तरीके से इलाज करने पर ठीक किया जा सकता है। इसके लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। टीबी के लक्षण दिखाई देने पर इसकी तत्काल स्थानीय अस्पताल में जांच करवानी चाहिए। टीबी की पहचान होने पर जिला यक्ष्मा कार्यालय से स्वस्थ होने के लिए आवश्यक दवाइयों का लाभ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों को स्वस्थ होने के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लोग जो सक्षम हैं उन्हें स्थानीय टीबी ग्रसित मरीजों को गोद लेना चाहिए और उन्हें स्वस्थ होने तक पोषण सहायता प्रदान करते हुए टीबी मुक्त समाज बनाने में सहयोग करना चाहिए।
समय पर जांच और निरंतर इलाज से टीबी मुक्त हो सकते हैं लोग : सीडीओ
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा ने बताया कि टीबी के लक्षण दिखाई देने पर लोगों द्वारा समय पर इसकी जांच कराने और निरंतर इलाज कराने पर लोग टीबी बीमारी से मुक्त हो सकते हैं। यक्ष्मा रोग आमतौर पर फेफड़ों पर आघात करता है लेकिन यह शरीर के अन्य भागों में भी आघात कर सकता है। दो हफ्ते से अधिक खांसी, भूख न लगना, रात में ज्यादा पसीना आना, वजन में लगातार गिरावट आना आदि टीबी होने के लक्षण हैं। ऐसा होने पर उन्हें तत्काल अस्पताल में जांच करवानी चाहिए। जांच में टीबी की पहचान होने पर मरीजों को निरंतर स्वस्थ होने तक आवश्यक दवाओं का सेवन करना चाहिए। अगर मरीज बिना अवरोध किए नियमित इलाज कराते हैं तो वे टीबी मुक्त हो सकते हैं।