भाजपा की मोदी सरकार बना रही है भारत को अमेरिका का गुलाम : प्रभुराज नारायण राव- Darpan24 News
बेतिया (ब्रजभूषण कुमार) : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भारतीय जनता पार्टी भारत को अमेरिका का गुलाम बनाने के दौर में लगातार आगे बढ़ रही है । आज अमेरिका के दबाव में मोदी सरकार इतनी कमजोर हो गई है कि विश्व बैंक और आईएमएफ से पैसे लेने के लिए अमेरिका के इशारे पर कुछ भी करने को मजबूर है । हमारा भारत दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता था । हम दुनिया का बाजार या यू कहें की गुलाम बनाने वाला अमेरिकी साम्राज्यवाद के पराधीन नहीं रहना चाहते थे। तो दूसरी तरफ हमारे देश की सीमा पर लगातार हमले करने वाले चीन से भी दो-दो हाथ करने को तैयार थे । इस दौर में हम दुनिया के एक बड़े मुकाम को हासिल कर चुके थे और वह था गुट निरपेक्ष राष्ट्रों की , तीसरी दुनिया के राष्ट्रों का हमारा देश राष्ट्र अध्यक्ष था । हमारी अहमियत दुनिया समझती थी ।
जब हमारे देश में 1964 में अकाल पड़ा था । तो तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अमेरिका से गेहूं की मांग की थी । अमेरिका ने गेहूं देने की बदले में हमसे भारत का सबसे कीमती चीज यूरेनियम की मांग की थी । हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने देश को आह्वान किया था कि प्रति सोमवार की रात्रि हमारा देश उपवास रखेगा और इस अकाल का मुकाबला हम करेंगे । हमारा शत्रु देश पाकिस्तान को हमेशा अमेरिका का सहयोग मिलता रहा था ।वह अमेरिका के सहारे परमाणु बम बनाने तक पहुंच गया और हमेशा बम का भारत पर इस्तेमाल करने का धमकी भी देता रहा ।
लेकिन , जब इस देश में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की पहली सरकार बनी , तो अमेरिका से नजदीकी रिश्ते बनाने की ठान ली । जब वह इराक के सद्दाम हुसैन पर हमले किया । तो मित्र देशों की सेना के नाम पर हमारी सेना अमेरिका के पक्ष में लड़ने के लिए भेजी गई । जिसमें हजारों सैनिक हमारे मारे गए थे । हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने सद्दाम हुसैन के खिलाफ लड़ने के लिए अमेरिका को अपना एयरवेस देने का आमंत्रण । लेकिन पाकिस्तान जो उसके पैसे पर पल रहा था । उसी को अपना आधार बनाकर अमेरिका हवाई हमले करता रहा ।
जब देश के प्रधानमंत्री दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र मोदी बने , तो फिर देश को अमेरिका के पीछे लगाने में एड़ी चोटी एक कर दिया । अमेरिका में जाकर हमारे भारतीय लोग जो एनआरआई के रूप में अमेरिका में रह रहे हैं । जिसका भारी हिस्सा गुजरात से आता है । उनको अमेरिका के कोने-कोने से एक जगह बुलाकर भारतीय एनआरआई की सभाओं को आयोजित करते रहे और हर तरह का सहयोग अमेरिका को देने का आश्वासन देते रहे । जब अमेरिका में चुनाव का दौर आया और पूरी दुनिया में कोरोना का कहर चल रहा था । जब भारत में करोना से लड़ने की जरूरत थी । जिस समय एक तरफ ऑक्सीजन की कमी से लोग मरते रहे । रेमदेसीविर की कमी से लोग मरते रहे। उस समय अमेरिका से तमाम एनआरआई को भारी पैसे खर्च कर गुजरात बुलाया गया और देश के कोने-कोने से लोगों को गुजरात के अहमदाबाद में जमा कर नमस्ते ट्रंप किया गया । नतीजा यह हुआ कि देश में कोरोना भारी संख्या में बढ़ गया । लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसकी परवाह नहीं थी । उन्हें तो अमेरिका से नजदीकी कर पैसे लेने की थी ।
आज स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है । हमारा बगल का पड़ोसी देश पाकिस्तान जो कल तक अमेरिका का चाटुकार था। आज उससे अमेरिकी रिश्ते कम पड़ गए हैं और हमारा भारत पाकिस्तान का स्थान ले लिया है। आज हमारा विदेश नीति इस मुकाम पर पहुंच गया है कि अमेरिका का पूरी दुनिया में जो शत्रु है । भारत भी उसे अपना शत्रु मानने को मजबूर है। हमारा देश फिलिस्तीन के लोगों का लगातार समर्थन करता रहा है। हम उनके संप्रभुता का लगातार समर्थन करते रहे हैं । हम उन्हें मुक्ति की लड़ाई में सहयोग भी करते रहे और दुनिया के मुक्ति की लड़ाई करने वाले देशों का हमेशा हमारा देश समर्थक रहा है । चाहे वह दक्षिण अफ्रीका में गोरे और काले यानी रंगभेद के खिलाफ संघर्ष करने वाले नेल्सन मंडेला के साथ खड़े हों । चाहे वह नामीबिया की आजादी के लिए लड़ने वाले शामनियोमा हों या बगल के बांग्लादेश के लोगों द्वारा आजादी की लड़ाई का समर्थन हो , हमारा देश किया है और हमने अपनी संप्रभुता की पहचान किसी भी मुल्क को गुलाम बनाने वाले देश के खिलाफ बना कर रखे थे ।
लेकिन आज नरेंद्र मोदी की सरकार ने हमारी विदेश नीति को दुनिया के लुटेरों की नीति के साथ जोड़ लिया है । उनके पीछे चलने को देश को मजबूर कर दिया है और कहा यह जा रहा है कि इस नीति से भारत दुनिया में लगातार आगे बढ़ रहा है। जब ट्रंप ने हमारे प्रधानमंत्री का पीठ थपथपाया तब हमारे देश को आगे बढ़ने का ढिढोरा पीटा गया और आज जब जो वाईडेन ने हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पीठ थपथपा रहे हैं।तो भारत को दुनिया में जबरदस्त ख्याति मिलने का डिडोरा पीटा जा रहा है । हम यह बात भूल जाते हैं कि जब भी कोई शोषक देश किसी के पीठ पर हाथ रखता है । तो उसे उसमें अपना स्वार्थ दिखता है । तभी वह ऐसा करता करता है। आज अमेरिका इस मुकाम पर पहुंच गया है कि वह अपने शत्रु देश चीन से युद्ध करने के लिए दक्षिण एशिया में भारत को सबसे उपयुक्त और सुरक्षित देश मान रहा है । इसी उद्देश्य से हमारे देश में वह काम कर रहा है। दूसरी तरफ चीन इन सारी चीजों को समझ रहा है और वह हमारे सीमा पर अपने सेना की तैनाती और कारवाइयां कर रहा है ।हमें यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि हमारे देश की आजादी के 2 साल बाद चीन को आजादी मिली थी । नेहरू और चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई हिंदी, चीनी भाई-भाई के नारे लग रहे थे । दोनों पड़ोसी देश संघर्ष के बल पर गुलामी से निकले थे और दोनों विकास की तलाश में थे । लेकिन जब अमेरिकी साम्राज्यवाद से नेहरू जी ने संबंध बनाया , तो उसने चीन के खिलाफ भारत का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया ।अपने वैज्ञानिकों को भेज कर हिमालय के नंदा देवी पर्वत पर चीन की गतिविधियों का पता करने के लिए एक रडार बैठा दिया । जब इसकी जानकारी चीन को मिलने लगी तो भारत के प्रधानमंत्री नेहरू जी को उस रडार को हटाने के लिए कहा था और वही रडार दोनों देश के बीच दुश्मनी का कारण बना । फिर क्या था अमेरिका भारत के सहयोग में उतर गया और 1962 की लड़ाई दोनों पड़ोसी स्वतंत्र देश जो विकास की तलाश में थे । एक बार फिर विनाश की दौड़ से गुजरने लगे ।
आज हमारी देश की नीतियां दुनिया के निगाह में अमेरिका की पक्षधर , नाटो की पक्षधर नजर आ रही है और हम लगातार अमेरिका के पीछे खड़े नजर आ रहे है । फिलिस्तीन और इजराइल युद्ध में हमारे टी वी चैनल 24 घंटे इजराइल के भोंपू के रूप में नजर आ रहा है। जो किसी भी रूप में हमारे 140 करोड़ की संख्या वाली देश के लिए सही नहीं है । क्योंकि साम्राज्यवाद हमेशा हमारे देश को बड़े बाजार के रूप में देखा है । उसकी निगाह गिद्द जैसी है । इसलिए हमें अपने देश की अखंडता , संप्रभुता , अनेकता में एकता , स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता की रास्ता को नहीं भूलना चाहिए । जो हमें उच्च शिखर तक पहुंचाएगा और हमारे देश को समृद्धि बनाएगा।