गन्ना का मूल्य 5 सौ रुपए प्रति क्विंटल देना होगा : प्रभुराज नारायण राव -Darpan24 News
बेतिया (ब्रजभूषण कुमार) : बिहार राज्य ईंख उत्पादक संघ के महासचिव तथा अखिल भारतीय गन्ना किसान महासंघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य प्रभुराज नारायण राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा बिहार सरकार से मांग किया है कि 2023 –24 के गन्ना गन्ना पेराई सत्र में गन्ना का मूल्य 500 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया जाए ।
उन्होंने बताया कि पिछले 9 जुलाई को बिहार राज्य ईंख उत्पादक संघ के मोतिहारी राज्य सम्मेलन में बिहार के सभी जिलों के गन्ना उत्पादक किसान प्रतिनिधि शामिल हुए थे और गन्ने की खेती को घाटे की खेती बताया । साथ ही इसे लाभकारी मूल्य देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से मांग किया । सम्मेलन ने कहा कि बिहार में मात्र नव चीनी मिल चल रही हैं । बाकी 20 चीनी मिल बंद पड़ी हुई है । बिहार कृषि आधारित राज्य है और यहां कृषि आधारित उद्योग से ही बिहार का विकास किया जा सकता है । लेकिन दुर्भाग्य है कि 29 चीनी मिल जो बिहार में है । उस में से बन्द 20 चीनी मिलों को चालू नहीं किया जा रहा है । अगर यह चीनी मील चालू हो जाती है तो पूरे बिहार के किसानों को नगदी फसल के रूप में गन्ना , बेरोजगार नौजवानों को रोजगार , ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को तात्कालिक रोजगार , चीनी मिलों द्वारा लगाये जा रहे तौल केंद्रों पर रोजगार तथा गन्ना से चीनी मिलों द्वारा उत्पादित चीनी के अलावा बिजली , इथेनॉल , खाद , कागज आदि अनेक प्रकार के उत्पादन से बिहार का विकास तेजी से बढ़ेगा ।
लेकिन बिहार सरकार की इच्छा शक्ति में कमी के चलते ऐसा नहीं किया जा रहा है।उल्टे बिहार जैसे प्राकृतिक आपदाओं के शिकार बाढ़ और सुखाड़ से ग्रसित बिहार में अलग से एथेनॉल प्लांट लगाने की केंद्र सरकार की योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। जो बिहार के लिए घातक है । इसे अभी से बंद कर देना चाहिए । क्योंकि हमें ज्ञात है कि इथेनॉल प्लांट में खाने के अनाज से ही इथनौल बनता है । बिहार में खाने की अनाज की सर्वथा कमी है । उन्होंने बताया कि आज बिहार के किसान यह उम्मीद कर रहा है कि केंद्र सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देगी । लेकिन केंद्र सरकार की जो किसान विरोधी रवैया है । वह उजागर हो चुका है । मोदी सरकार नहीं चाहती कि किसानों को लाभकारी मूल्य मिले । यही कारण है कि मोदी सरकार की पिछले साढ़े 9 साल में एक लाख से ज्यादा किसान देश में आत्महत्या कर चुके हैं ।
मोदी सरकार ने पिछले दिनों जून में 10 रुपए एफआरपी दिया। जो ऊंट के मुंह में जीरा का फोरन के समान है और किसानो की बदहाली पर नमक छिड़कना है । हमारा बिहार राज्य सम्मेलन कड़े शब्दों में मोदी सरकार के इस एफआरपी का विरोध किया था । हम कहना चाहते हैं कि 2023– 24 की गन्ना पेराई प्रारंभ होने के पहले मोदी सरकार गन्ना का दर 500 रुपए प्रति क्विंटल घोषित करें । स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसाओं के आधार पर सी 2 + 50% किसानों को दे । साथ ही चीनी मिलों द्वारा लगातार किए जा रहे किसानों का शोषण , गन्ना की तौल में घट तौली और गन्ना से चीनी निकालने के बाद उसके बायो प्रोडक्ट के रूप में उत्पादित बिजली , इथेनॉल , खाद आदि के मुनाफे का आधा हिस्सा किसानों को दिया जाए । उन्होंने यह भी मांग किया कि बिहार सरकार एस ए पी द्वारा गन्ने के मूल्य में राज्य समर्थित मूल्य देकर गन्ने की खेती को विकसित बनाने में किसानों को प्रोत्साहित करें । अगर ऐसा नहीं किया जाता तो 2023 –24 पेराई सत्र में किसानों के लिए घाटे का सत्र होगा और किसान बदहाली के शिकार होगें।