मुफस्सिल थाना कांड संख्या 211/23 के सूचक ग्रामीण विकास विभाग क्यों जांच में कर रहे हैं देरी – Darpan24 News
अनियमितता की प्राथमिकी से क्यों रहना चाहते हैं दूर।
बेतिया, पश्चिमी चंपारण ( ब्रजभूषण कुमार ) : ग्रामीण विकास विभाग, बेतिया के द्वारा दर्ज कराए गए मुफस्सिल थाना कांड संख्या 211/23, 01/04/23 की जांच में सूत्रों के अनुसार अधिकारी ही नहीं कर रहे सहयोग, जबकि प्राथमिकी सूचक ग्रामीण विकास विभाग के ही हैं अधिकारी। मिली जानकारी के अनुसार मुफस्सिल थाना में दर्ज कांड के अनुसंधानकर्ता द्वारा बार बार जांच में सहयोग करने के प्रयासों के बावजूद अधिकारी कागजातों को उपलब्ध कराने और गवाही देने से कतराते नजर आ रहे हैं। जिसके कारण अनुसंधानकर्ता ने जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मनरेगा) को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 के तहत नोटिस जारी किया है, जिसमें 21 अगस्त को 12 बजे आवश्यक दस्तावेज और वस्तुओं के साथ उपस्थित होने का निदेश जारी किया गया है।
मांगे गए दस्तावेजों में मास्टर रौल, आरसी, आरसी में भुगतान, वेनडर मेसर्स आजाद हुसैन को वर्ष 2020-2021 में पंचायत पूर्वी करगहिया में मुखिया मद से योजनाओं में कितना भुगतान, 17/01/22 को आयोजित दिशा की बैठक की कार्यवाही एवं अनुपालन प्रतिवेदन, योजना का कार्य किस प्रकार की भूमि पर हुआ उसकी जांच रिपोर्ट, मेसर्स आजाद हुसैन के प्रतिष्ठान का टेगिंग रिपोर्ट और पत्रांक 1334 दिनांक 13/08/21 ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित अन्य किसी भी कागजात यदि उपलब्ध हो आदि उन सभी की सत्यापित प्रतिलिपि की मांग धारा 91 के नोटिस में की गई है। जिस नोटिस को मुफस्सिल थाना के अनुसंधानकर्ता अवर निरीक्षक मदन मांझी ने ग्रामीण विकास विभाग, बेतिया को रिसिभ भी करा दिया है।
ऐसे में कांड को लेकर कई प्रश्नचिन्ह उठ रहे हैं, जिससे विभाग की कार्यशैली संदेह के घेरे में है। यदि अनियमितता और धोखाबाजी को लेकर कांड दर्ज कराया गया तो फिर उस कांड के जांच में आखिर क्यों नहीं सहयोग किया जा रहा ताकि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जा सकें। वहीं यदि कांड दुर्भावना और गलत अभिप्रेरणा से दर्ज कराया गया तो उसके कौन दोषी होंगे और उनकी कांड दर्ज कराने में क्या लालसा रही होगी जो कि अब जांच में स्वयं सहयोग करने से अपने को दूर रखना चाहते हैं। ऐसे तमाम प्रश्नों की भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। बहरहाल 21 अगस्त 2023 को 12 बजे अपराह्न विभाग की उपस्थिति और कागजातों की प्रस्तुति ही सारे मामलों का पटाक्षेप कर सकता है।