दरभंगा में आशा के हड़ताल के 19 दिन निकला आक्रोश मार्च, हड़ताल जारी

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दरभंगा में आशा के हड़ताल के 19वें दिन निकाला आक्रोश मार्च, हड़ताल जारी

पटना हाईकोर्ट ने कोरोना काल मे आशा की भूमिका की सराहना की, सरकार मानदेय दे-डॉ उमेश

ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था के सकल खर्च का न्यूनतम राशि भी आशा-फैसिलिटेटर पर सरकार खर्च नही करती-देवेन्द्र

मांग पूरा नही होने पर 3 अगस्त को बिहार की 90 हजार आशा राजधानी पहुंचकर घेरेंगे सरकार को

दरभंगा 30 जुलाई 2023

पारितोषिक नहीं-मानदेय दो, एक हजार नहीं – दस हजार दो, कोरोना काल सहित अन्य सभी कार्य के बकाया का भुगतान करो सहित सभी 9 सूत्री मांगों की पूर्ति को लेकर 12 जुलाई से बिहार की एक लाख आशा और आशा फैसिलिटेटर ने आज 19 वें दिन भी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखा। सरकार की सम्मानजनक वार्ता नही करने से गुस्साई आशाओं ने आक्रोपूर्ण मार्च लहेरियासराय पोलो मैदान से चलकर पानी टंकी, प्रमंडलीय आयुक्त, कार्यालय, समाहरणालय होते हुए लहेरियासराय टावर पर पहुंच कर आक्रोपूर्ण मार्च सभा मे बदल गया। आक्रोश मार्च का नेतृत्व आशा संघ की संयोगिता चौधरी, सविता कुमारी, अनवरी बानो, गीता देवी, चमन आरा, अंजू कुमारी, अनिता देवी, विजयलक्ष्मी देवी, बेबी देवी और ऐक्टू के जिला प्रभारी डॉ उमेश प्रसाद साह ने किया। वही आशा संघ(गोपगुट) के सिंघवारा प्रखंड की नेत्री गीता देवी की अध्यक्षता में आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए ऐक्टू के जिला प्रभारी डॉ उमेश प्रसाद साह ने कहा कि सरकार को पारितोषिक हटाकर मानदेय और आशा को अवकाशप्राप्त के बाद पेंशन नीति लागू करना चाहिए क्योंकि पटना हाईकोर्ट ने कोरोना काल मे आशा की भूमिका की सराहना की है। यह आशा की जायज मांग है। मांग पूरा नही होने पर 3 अगस्त को बिहार की 90 हजार आशा राजधानी पहुंचेगी और सरकार को घेरेंगी। सभा को सम्बोधित करते हुए खेग्रामस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह आंदोलन के नेता देवेन्द्र कुमार ने कहा कि खुद राज्य सरकार टीकाकरण,संस्थागत प्रसव और जच्चा बच्चा मृत्यु दर में उल्लेखनीय प्रगति के संदर्भ में इनकी केंद्रीय भूमिका को स्वीकृति दी है।ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था के सकल खर्च का एक न्यूनतम राशि भी आशा-आशा फैसिलिटेटर पर सरकार खर्च नहीं करती!राज्य सरकार महज 1हजार रुपए मासिक देती है वो भी 6कामों के लिए,जिससे इनका टेंपो_ई रिक्शा का भी खर्च नहीं निकलता है।बिहार सरकार अन्य राज्यों की तुलना में आशाओं को नहीं के बराबर पारिश्रमिक देती है।गैर भाजपा सरकारें जितना देती हैं,उतना ही बिहार सरकार दे तो हड़ताल खुशी खुशी आशाएं खत्म कर देंगी। लेकिन बिहार सरकार जनता की बात सुनने के बदले नौकरशाही की बात पर अमल करती है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है!हड़ताली आशा बहनें सरकार की किसी धमकी से डरने वाली नही है हड़ताल पर डटी रहेगी,बिहार के न्याय पसंद, लोकतंत्र पसन्द आवाज आंदोलन के साथ एकजुट होकर आंदोलन को और मजबूत करेंगे। सभा को अन्य लोगों के अलावा आशा नेत्री सुमन कुमारी, नीलू कुमारी, आशा देवी, नीलम कुमारी, ललिता देवी, विना देवी, भावति झा, गीता देवी और सुधीरा देवी आदि ने सम्बोधित किया।

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