नवादा:_ 21 साल का लंबा अंतराल जैसे कल की बात लगने लगा, जब नवोदय विद्यालय, रेवार नवादा के 1996 बैच के छात्र-छात्राएं अपने पुराने स्कूल परिसर में एल्युमिनी मीट के लिए इकट्ठा हुए। यह मुलाकात भावनाओं और यादों से भरपूर रही, जहां सभी ने अपने बचपन के सुनहरे पलों को फिर से जीया।
स्कूल के हर कोने में वह पुरानी मासूमियत और उत्साह फिर से महसूस हुआ। कक्षाओं, खेल के मैदान और पुराने दोस्तों के साथ बिताए अनमोल पलों ने सभी को एक बार फिर से वही अपनापन महसूस कराया। यह कार्यक्रम सिर्फ पुनर्मिलन नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा अवसर था, जिसने हर किसी को समय के उस पड़ाव पर वापस ला दिया, जब जिंदगी में मासूमियत और सपने दोनों साथ चलते थे।
यादें शब्दों की जुबानी:
रंजीत कुमार ने भावुक होकर कहा, “आज का दिन मेरे लिए सिर्फ एक मुलाकात नहीं, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा है। नवोदय न केवल हमारा स्कूल था, बल्कि यह हमारी पहली दुनिया थी, जहां हमने सपने देखना और उन्हें जीना सीखा। यहां बिताए वो दिन और उसमें ठहरे कुछ मासूम सपने आज फ़िर से जीवंत हो उठे।आज जब इतने सालों बाद इन गलियारों में कदम रखा, तो ऐसा लगा जैसे समय ने अपना चक्र रोक दिया हो। हर कोना, हर दीवार, हर स्मृति जैसे जिंदा हो गई। दोस्तों को देखकर ऐसा लगा जैसे उन दिनों का मासूम बच्चा अब भी हमारे भीतर जिंदा है। यह मिलन मेरे लिए किसी वरदान से कम नहीं। नवोदय ने हमें जो सिखाया, जो रिश्ते दिए, वो जीवनभर की पूंजी हैं।आज इस कार्यक्रम ने हमें यह एहसास कराया कि समय और दूरी कभी भी सच्चे रिश्तों को कमजोर नहीं कर सकते। हमारे बीच की दोस्ती, अपनापन, और जुड़ाव आज भी उतना ही गहरा है। यह मिलन सिर्फ यादें ताजा करने का नहीं, बल्कि हमें यह सिखाने का पल है कि सच्चे रिश्ते जीवनभर संजोए जाते हैं।”
‘वो मासूम उम्र, वो बचपन के साए,
दोस्ती की छांव में दिन-रात बीत जाए।
वो स्कूल के आंगन, वो सपनों के फूल,
जहां ख्वाबों ने पाया था पहला उसूल।
आज फिर से वही हंसी, वही यादें आईं,
वक्त ने ज्यों पलों की किताब दोबारा सजाई।
नवोदय के रिश्ते, चिराग की लौ जैसे,
कभी ना मुरझाए, ये दिल में बसे जैसे।
दोस्ती के ये धागे, ना कभी टूटेंगे,
ये अहसास, ये अपनापन, सदा दिल में गूंजेंगे।’
अजय कुमार ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “नवोदय का हर पल मेरे लिए अनमोल है। यह स्कूल सिर्फ हमारी शिक्षा का केंद्र नहीं था, बल्कि यह वह जगह थी, जिसने हमें जीवन के मूल्य सिखाए। यहां आकर मैंने महसूस किया कि हम सब आज भी उसी जुड़ाव को साझा करते हैं। इतने सालों बाद भी, हमारे रिश्ते उतने ही सच्चे और मजबूत हैं। इस मिलन ने मुझे न केवल पुरानी यादें ताजा करने का मौका दिया, बल्कि मुझे यह भी याद दिलाया कि हमारी जड़ें कितनी गहरी हैं।”
तरुण कुमार ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “स्कूल के दिन किसी सपने की तरह थे, और आज यह मिलन उस सपने को फिर से जीने जैसा था। यहां आकर हर बात ताजा हो गई। दोस्तों के साथ बिताया हर पल अनमोल था, और आज भी वही अपनापन और प्यार महसूस होता है। इस आयोजन ने हमें न केवल पुराने दिनों की याद दिलाई, बल्कि हमें भविष्य में भी साथ बने रहने का संकल्प दिया।”
दिव्या कुमारी ने कहा, “यहां आना ऐसा लगा, जैसे हम अपनी खोई हुई मासूमियत और खुशी को फिर से पा रहे हैं। स्कूल का हर कोना हमारी कहानियों और हमारी यादों से भरा हुआ है। 21 साल बाद यहां आकर ऐसा महसूस हुआ जैसे मैं अपने परिवार से मिल रही हूं। यह आयोजन सिर्फ यादों का पुल नहीं था, बल्कि यह हमें फिर से जोड़ने का जरिया था।”
ज्योति कुमारी ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “नवोदय हमारा दूसरा घर था। यहां के शिक्षक, हमारे दोस्त और यह माहौल, सबने मिलकर हमें वह बनाया जो हम आज हैं। आज जब हम सबने अपनी-अपनी जिंदगी के अनुभव साझा किए, तो मैंने महसूस किया कि नवोदय ने हम सबको मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया है। यह दिन मेरे लिए हमेशा खास रहेगा।
राकेश निराला ने कहा, “नवोदय ने हमें जिंदगी के सबसे खूबसूरत पल दिए। यहां आकर ऐसा लगा जैसे मैं अपने परिवार से मिल रहा हूं। इस आयोजन ने पुराने रिश्तों को फिर से मजबूत कर दिया और हमें यह सिखाया कि दोस्ती समय की मोहताज नहीं होती।”
राकेश कुमार ने कहा, “स्कूल के दिन हमारी जिंदगी की नींव हैं। यहां आकर उन पलों को फिर से महसूस करना एक अनमोल अनुभव था। इस मिलन ने मुझे एहसास कराया कि दोस्त और यादें कभी नहीं मिटतीं।”
जितेंद्र ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, “यहां आना ऐसा लगा जैसे मैं अपने पुराने दिनों में लौट आया हूं। दोस्ती और अपनापन नवोदय की आत्मा है, और आज भी वह आत्मा उतनी ही जिंदा और ताजगीभरी है।”
अमित कुमार ने कहा, “इस एल्युमिनी मीट ने मुझे वह खुशी दी, जो शब्दों में बयां करना मुश्किल है। इतने सालों बाद पुराने दोस्तों से मिलना और उन्हीं पलों को फिर से जीना, एक सपने के सच होने जैसा था।”
मनोज कुमार बोले, “नवोदय ने हमें सिर्फ पढ़ाई नहीं सिखाई, बल्कि जिंदगी जीने का तरीका सिखाया। यहां आकर मैंने महसूस किया कि हम सब अभी भी एक परिवार की तरह जुड़े हुए हैं।”
अनूप कुमार ने कहा, “यह मुलाकात एक ऐसा पल है, जिसे मैं हमेशा अपने दिल में सहेजकर रखूंगा। यह कार्यक्रम हमें याद दिलाता है कि हमारी दोस्ती और हमारे रिश्ते कितने गहरे हैं।”
राजेश कुमार ने कहा, “नवोदय हमारे जीवन का आधार था, और आज इतने सालों बाद दोस्तों से मिलकर ऐसा लगा जैसे हम फिर से अपने बचपन में लौट आए हैं। यह मिलन हमें उन अनमोल पलों को फिर से जीने का मौका दे गया।”
सविता कुमारी ने भावुक होकर कहा, “यहां आकर ऐसा महसूस हुआ जैसे वक्त ने हमें हमारे बचपन के सबसे खूबसूरत पलों में लौटा दिया है। नवोदय से मिली यह दोस्ती और अपनापन जीवनभर हमारे साथ रहेगा।”
संजीव कुमार ने कहा, “यहां आकर ऐसा लगा जैसे जिंदगी को एक नई ताजगी मिली है। पुराने दोस्तों से मिलना और स्कूल के दिनों को फिर से जीना, मेरे लिए किसी वरदान से कम नहीं।”
प्रियंका ने कहा, “यह मिलन हमारी पुरानी यादों को ताजा करने का एक खूबसूरत अवसर था। हर मुस्कान और हर किस्सा यह साबित करता है कि हमारी दोस्ती और हमारा नवोदय का रिश्ता कितना खास है। इतने सालों बाद भी, यह अपनापन और यह जुड़ाव वैसा ही है जैसा पहले था।”
स्वाति सुमन ने कहा, “नवोदय ने हमें सिर्फ शिक्षा नहीं दी, बल्कि जिंदगी के हर पहलू को समझने और उसे जीने का तरीका सिखाया। यहां आकर ऐसा लगा जैसे जीवन के सारे तनाव गायब हो गए। इस मुलाकात ने मुझे फिर से यह एहसास कराया कि जिंदगी में रिश्तों का महत्व सबसे ज्यादा है।”
कार्यक्रम के दौरान सभी ने अपनी-अपनी कहानियां साझा कीं। बचपन की यादों को ताजा करते हुए सभी ने अपने हॉस्टल एवं कमरे भी देखें। सांस्कृतिक कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों ने माहौल को और भी उत्साहपूर्ण बना दिया।
यह एल्युमिनी मीट सिर्फ एक समारोह नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा एहसास था, जिसने सभी को यह यकीन दिलाया कि नवोदय का बंधन समय और दूरी से परे है। यह मिलन सभी के दिलों में एक खास जगह बना गया और यह पल हमेशा के लिए यादगार रहेगा।