1857 के साझी संस्कृति – साझी विराशत और गंगा जमूनी तहजींब के नायक बाबू कूवर सिंह,पीर अली के विराशत से देश को मजबूती:_माले

 

भाजपा – आर एस एस कूंवर सिंह – पीर अली की साझी शहादत – साझी विराशत – साझी संस्कृति को खत्म कर रही है:_माले

 

मोदी सरकार भारत की साम्राज्यवाद विरोधी नीतियों को ताखपर रखकर अमेंरिका के सामनें घुटना टेक दिया है

बेतिया:_भाकपा माले ने भगत सिंह – अम्बेड़कर रिसर्च सेंटर, बुद्धा कॉलोनी आइ टी आइ , में बाबू कूंवर सिंह विजयोत्सव दिवस के अवसर पर गोष्टी आयोजित किया ।उक्त अवसर पर पहलगांव (कश्मिर) मे हुए आतंकवादी हमले मे मृत परिवारों के प्रति संवेदना एक मिनट का शोक व्यक्त् करते हुए श्रद्धांजली देकर कार्यक्रम की शुरूवात किया गया । उक्त अवसर पर गोष्ठी को संबोधित करते हुए भाकपा(माले)नेता सुनील कुमार राव ने कहा कि 1857 में अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर कदम बढ़ाया। बिहार की दानापुर रेजिमेंट, बंगाल के बैरकपुर और रामगढ़ के सिपाहियों ने बगावत कर दी। मेरठ, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, झांसी और दिल्ली में भी आग भड़क उठी। ऐसे हालात में आरा के जगदीशपुर के जागीरदार बाबू वीर कुंवर सिंह ने अपने सेनापति मैकु सिंह तथा पीर अली के साथमिलकर भारतीय सैनिकों का नेतृत्व किया। और देखते देखते 27 अप्रैल 1857 को आरा नगर पर बाबू वीर कुंवर सिंह ने कब्जा कर लिया। भारतीय इतिहास मे यह घटना साझी संस्कृति और साझी विराशत का नमुना है।अब भाजपा और आर एस एस हमारे उस साझी विराशत और साझी संस्कृति को तोड़ रही है। और अमेरिकी साम्राज्यवाद के साथ घुटना टेक दिया है जिस वजह से अमेरिका हमारे नागरिकों को बेड़ियों मे जकड़ कर भेज रही है। अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वैंस हमारे खेती,शिक्षा आदि पर कब्जा करने का दबाव बना रहा है और मोदी सरकार उसके सामने घुटना टेक दिया है । माले नेता सुनील यादव ने कहा भाजपा हमारे आजादी के नायकों को जातीय,धार्मिक आवरण मे समेटनी की कोशिश मे है ताकि हमारी साम्राज्यवाद विरोधी साझी सभ्यता संस्कृति और गंगा जमुनी तहजीब को खत्म किया जा सके। ऐसे मे बाबूवीर कूंवर सिंह,पीर अली और जुल्फीकार अली जैसे नायकों के विराशत को आगे बढ़ाने की जरुरत है।

इंकलाबी नौजवान सभा के जिला अध्यक्ष फरहान राजा ने कहा बाबू कूंवर सिंह के भाई अमर सिंह अंग्रेजों से छापामार लड़ाई लड़ते रहे और बाबू कुंवर सिंह रामगढ़ के बहादुर सिपाहियों के साथ बांदा, रीवां, आजमगढ़, बनारस, बलिया, गाजीपुर एवं गोरखपुर में विप्लव के नगाड़े बजाते रहे। किसान महासभा के राज्य परिषद के सदस्य बिनोद यादव ने कहा ब्रिटिश इतिहासकार होम्स ने उनके बारे में लिखा है, ‘उस बूढ़े राजपूत ने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध अद्भुत वीरता और आन-बान के साथ लड़ाई लड़ी। यह गनीमत थी कि युद्ध के समय कुंवर सिंह की उम्र अस्सी के करीब थी। अगर वह जवान होते तो शायद अंग्रेजों को 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ता। कार्यक्रम को बिनोद यादव,सुरेंद्र यादव,मुन्ना सिंह,नीरज सिंह,महमद सानू,केदार साह,महमद सलामत ,अनुज सिंह,अरूण तिवारी,जितेंद्र राय,उपेंद्र यादव और रामा शंकर राम आदि।

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