युगों-युगों तक याद किये जायेंगे सरदार पटेल, बोले सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. प्रभाष चंद्र मिश्रा
सरदार पटेल ने देश के अंदर विभिन्न रियासतों को मिलाकर एक ऐसा इतिहास लिखा जो इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में उकेरा हुआ है, बोले विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव
सरदार पटेल रिएक्शन में नहीं बल्कि एक्शन में विश्वास रखते थे, बोले उप-परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनोज कुमार
अगर सरदार पटेल की बात मानी जाती तो उसी समय कश्मीर भी भारत का होता अभिन्न हिस्सा और कभी उसे नहीं मिलता धारा 370 का स्टेटस, बोले डॉ. मुकुल बिहारी वर्मा
ल.ना.मि.वि. दरभंगा:- विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव की अध्यक्षता में सरदार पटेल की 149 वीं जयंती के उपलक्ष्य में “सरदार पटेल की नजर में राष्ट्रीय एकीकरण” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। सभी आगत अतिथियों संग विभाग के शिक्षकों ने सरदार पटेल की तैलीय चित्र पर पुष्प अर्पित व कैंडल जलाकर उन्हें नमन करते हुए कार्यक्रम का विधिवत शुरुआत किया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि राजनीति विज्ञान विभाग लौह पुरुष सरदार पटेल की 149 वीं जयंती पूरे हर्षोल्लास के साथ मना रहा है। सरदार पटेल ने देश के अंदर विभिन्न हिस्सों के 562 रियासतों को भारत में मिलाकर एक ऐसा इतिहास लिखा जो इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में उकेरा हुआ है। आगे उन्होंने इस पर विस्तार से प्रकाश डाला। आगे उन्होंने कहा कि आज इस विषय पर विभाग में विद्वान वक्ताओं का व्याख्यान होने जा रहा है, जिसे आप सभी सुने और अपने जीवन में लौहपुरुष के मार्ग पर चलने का संकल्प लें।
बतौर सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. प्रभाष चंद्र मिश्रा ने कहा कि सरदार पटेल को युगों-युगों तक याद किया जायेगा। उनके अदम्य साहस व दृढ़ निश्चय का ही परिणाम था कि आज सारी रियासतों को भारत में एकीकृत किया गया। आगे उन्होंने सरदार पटेल के जीवन व कार्यशैली पर विस्तार से प्रकाश डाला।
अपने स्वागत संबोधन में स्नातकोत्तर विभाग के राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी सह रसायन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सोनू रामशंकर ने कहा कि सरदार पटेल को मैं सबसे पहले नमन करता हूँ।
अपने चतुराई, दूरदर्शिता व राजनीतिक कौशल से जाने जानेवाले सरदार पटेल सिर्फ एक काल खंड के ही नहीं बल्कि आधुनिक भारत के लौह पुरुष थे। अगर सरदार पटेल नहीं होते तो आज 562 रियासत भारत में सम्मिलित नहीं होती। इतिहास गवाह है कि बिना एक बूंद रक्त बहाए 565 में से 562 रियासत को एकीकृत कर भारत में मिलाने वाले एक मात्र राजनेता में सरदार पटेल का नाम शुमार है। सरदार पटेल ने उस दौर में अलग-अलग रियासत को भारत में मिलाने का कार्य किया जिस दौर में भारत की अर्थव्यवस्था अस्थिर था। अगर सरदार पटेल कुछ वर्ष और जीवित रहते तो भारत का भौगोलिक मानचित्र कुछ और होता। बतौर गृहमंत्री सरदार पटेल का कार्य अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय, अतुलनीय व असाधारण था। ऐसे महापुरुष को मैं बारंबार नमन करता हूँ और अपनी श्रद्धांजलि प्रस्तुत करता हूँ। जब तक सूरज-चांद रहेगा। लौहपुरुष सरदार पटेल का नाम रहेगा।
बतौर बीज वक्ता विभाग के वरीय आचार्य डॉ. मुकुल बिहारी वर्मा ने कहा कि सरदार पटेल के जीवन से आज के राजनेताओं को सीख लेना चाहिये। राजनीति विज्ञान विषय के शोधार्थियों को सरदार पटेल के जीवन पर शोध करना चाहिये कि कैसे उन्होंने 565 में से 562 राजघरानों को भारत में मिलाने का कार्य किया। राजनीति में सदैव सरदार पटेल जैसा लौह पुरुष होना चाहिये। बचे हुए तीन रियासतों में जूनागढ़ व भोपाल जो भारत में सम्मिलित हुआ, वो भी कहीं न कहीं सरदार पटेल के दूरदर्शिता का ही परिणाम था। अगर सरदार पटेल पर सब कुछ छोड़ दिया जाता तो उसी समय कश्मीर भी भारत का अभिन्न हिस्सा होता और कभी उसे धारा 370 का स्टेटस नहीं मिलता। ऐसे महामानव को आज उनके 149 वीं जयंती पर मैं श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूँ।
मिथिला विश्वविद्यालय के उप-परीक्षा नियंत्रक (तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा) सह विभागीय आचार्य डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि इतिहास गवाह है कि प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत व आधुनिक भारत में सरदार पटेल सा कोई दूसरा लौह पुरुष पैदा नहीं हुआ। उन्होंने राजाओं को समाप्त किए बिना राजवाडो को समाप्त कर दिया उनके दिल में भारत व मां भारती के प्रति प्रेम था। वो सदैव भारत के लिये जीते थे व सोचते थे। आज वो न होते 565 रियासतों में से 562 रियासतों को भारत में मिलाना असंभव था। सारे भारत को एकीकृत करने में उनका योगदान अमूल्य रहा। वे रिएक्शन में नहीं बल्कि एक्शन में विश्वास रखते थे। वो कभी यह नहीं सोचते थे कि किसी रियासत का रिएक्शन क्या होगा, बल्कि अपने एक्शन होगा तो वो भारत का हिस्सा होगा। यही कारण है पीएम मोदी बतौर सीएम गुजरात ने गुजरात के भरूच के निकट नर्मदा जिले के सरदार सरोवर बांध से 3.2 किलोमीटर की दूरी पर नर्मदा नदी के टापू पर साधु बेट नामक स्थान पर विश्व की सबसे ऊंची 597 फीट की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाकर विश्व को यह संदेश दे दिया है कि क्यों सरदार पटेल औरों से अलग थे। इन्हें मैं अपनी ओर से श्रद्धांजलि व्यक्त करता हूँ।
मंच संचालन विभागीय शोधार्थी अमिनेश कुमार ने जबकि धन्यवाद ज्ञापन नीतू कुमारी ने किया। इस अवसर पर निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन हुआ जिसमें प्रथम स्थान संयुक्त रूप से गुलशन कुमार पंडित व अनीश कुमार, द्वितीय स्थान सुमेधा साहू, तृतीय स्थान इंग्लिश विभाग के पद्मश्री को मिला।