– कुलपति, प्राध्यापक सहित दर्जनों छात्र हुए शामिल
– संस्कृत प्रचार मंच के तत्वावधान में आयोजित हुआ कार्यक्रम
फोटो – अखंड गीता का पाठ करते कुलपति, प्राध्यापक व छात्रगण।
दरभंगा:_भगवद्गीता का ज्ञान किसी एक धर्म या संप्रदाय के लिए सीमित नहीं है। यह जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन करता है और बताता है कि जीवन में कर्तव्य निभाते हुए किस तरह मानसिक शांति और मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। संस्कृत प्रचार मंच के तत्वावधान में विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में गीता जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो.लक्ष्मीनिवास पाण्डेय ने बुधवार को उक्त बातें कही। उन्होंने श्रीकृष्ण एवं अर्जुन संवाद को छात्रों के सामने विभिन्न उदाहरण के माध्यम से समझाया और गहनता पूर्वक गीता अध्याय करने पर बल दिया। साथ ही कुलपति ने शिक्षाशास्त्र के निदेशक डॉ घनश्याम मिश्र को निदेशित किया कि वे प्रत्येक छात्रों को गीता के कम से कम सात श्लोकों को अपनी शैक्षणिक परियोजना में शामिल करने को अनिवार्य करें।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि सर्वप्रथम कुलपति प्रो.पाण्डेय , डीन डॉ.शिवलोचन झा, शिक्षाशास्त्र निर्देशक डॉ. मिश्र ने दीप जलाकर गीता जयंती उत्सव का विधिवत उद्घाटन किया। भारत माता के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित करने के बाद कुलपति के नेतृत्व में प्रथम अध्याय से अठारह अध्याय पर्यन्त सस्वर श्रीमद्भगवद्गीता का सम्पूर्ण पारायण किया गया। घंटों तक छात्र -छात्राएं एवं प्राध्यापकों द्वारा उच्चारित गीता के मंत्र से आसपास के वातावरण अनुगुंजित होता रहा। वहीं अध्यक्ष छात्र कल्याण डा.शिवलोचन झा ने दैनिक जीवन में गीता की महत्ता को रेखांकित किया। कार्यक्रम संस्कृत प्रचार मंच के संयोजक डॉ.रामसेवक झा के संचालन तथा इस मंच के अध्यक्ष शिक्षाशास्त्र निदेशक डॉ.घनश्याम मिश्र के मार्गनिर्देश में सम्पन्न हुआ। गीता पारायण समारोह में व्याकरण विभागाध्यक्ष प्रो.दयानाथ झा, सीसीडीसी डॉ.दिनेश झा, भू सम्पदा पदाधिकारी डॉ.उमेश झा,एनएसएस समन्वयक डॉ.सुधीर कुमार झा, डॉ.सविता आर्या, डॉ.साधना शर्मा, डॉ.अवधेश श्रोत्रिय, डॉ.रामनंदन झा,डॉ.प्रीति रानी , पवन सहनी, संजीव कुमार झा सहित दर्जनों छात्र -छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। शान्तिपाठ से कार्यक्रम की समाप्ति हुई।