भाकपा माले ने किया संविधान बचाओ, फासीवाद मिटाओ मार्च
बेतिया (ब्रजभूषण कुमार) : भाकपा माले ने बेतिया शहीद पार्क में संविधान निर्माता डाॅ. भीमराव आंबेडकर साहब के स्मृति दिवस पर संविधान की रक्षा का संकल्प लिया और संविधान बचाओ, फासीवाद मिटाओ मार्च कर समाहरणालय गेट पर स्थित अम्बेडकर साहब के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया, भाकपा माले जिला कमिटी सदस्य सह किसान महासभा जिला अध्यक्ष सुनील कुमार राव ने कहा कि भाजपा और आर एस एस ने संविधान पर सबसे पहले और बड़ा हमला आज ही के दिन बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर किया था, आज हम देख रहे हैं कि उसी समय से लगतार भाजपा और आरएसएस द्वारा संविधान संविधान को कुचलने, उसकी मुल भावना को कमजोर करने में लगी है, संविधान प्रदत्त अधिकारों पर हमला हो रहा है। हम देख रहे हैं कि यूपी में मोदी-शाह-योगी शासनकाल में उत्तर प्रदेश अत्याचार और दमन का केंद्र बन गया है और फासीवादी प्रयोगशाला के रूप में उभरा है. यहां भीड़ हिंसा, राज्य प्रायोजित हिंसा, बुलडोजरों का गैरकानूनी इस्तेमाल और फर्जी मुठभेड़ें आम हो गई हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भाजपा के ‘बुलडोजर मॉडल’ का असली चेहरा उजागर कर दिया है. भाकपा माले राज्य कमिटी सदस्य सुनील यादव ने कहा कि बिहार में भी यूपी की तरह भाजपा नितीश कुमार के कंघे पर हथियार रख कर गरीबों पर हमला कर रहीं हैं। आगे कहा कि संविधान की शपथ खाने वाले जदयू- भाजपा सरकार इसी शीतकालीन सत्र में अंग्रेजों से भी कठोर काला कानून बेतिया राज की जमीन अधिग्रहण करने के लिए बनाया है।
पचासों हजार परिवार की जीवनभर की कमाई से बने घर को अवैध करार कर दिया गया है, घरो को गिराने के लिए कानून बनकर तैयार है, संविधान में दर्ज नागरिकों के आश्रय और जीवन के मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है. नया कानून में कहा गया है कि भले आपके घर तोड़ दिया जाए आप न्यायालय के शरणं में नहीं जा सकते यह न्याय के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। माले नेता ने आगे कहा कि भाजपा भारत के संविधान की धर्मनिरपेक्ष, न्यायालय और लोकतांत्रिक नींव को कमजोर कर रहीं है. माले के सभी कार्यकर्ताओं ने सामुहिक रूप से संविधान के प्रस्तावना का
पाठ किया और संविधान में परिकल्पित धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को कायम रखने का संकल्प लिया इस मौके पर संजय यादव, सुरेन्द्र चौधरी, योगेन्द्र चौधरी,पलक मियां, सिंघासन ठाकुर, रवीन्द्र राम, रामचन्द्र यादव, जितेन्द्र राम, ठग राम, हरेन्द्र राम, प्रकाश माझी, अरूण तिवारी, विनोद कुशवाहा, मुजमिल मियां सुकई राम, ठगई राम, ठाकुर पटेल, रामचन्द्र साहनी आदि नेताओं ने भी अपना विचार व्यक्त किया।