विश्वविद्यालय संस्कृत में नव नामांकित 54 छात्र- छात्राओं के इंडक्शन प्रोग्राम में दी गई सिलेबस, परीक्षा-पद्धति एवं उपलब्धियां की जानकारी

 

 

दीप प्रज्वलन से प्रारंभ दीक्षारंभ कार्यक्रम में डॉ घनश्याम, डॉ चौरसिया, डॉ मोना, अमित झा तथा रीतु कुमारी आदि में रखे महत्वपूर्ण विचार

75% वर्गोंपस्थिति अनिवार्य, शिक्षकों से पढ़ाई के साथ ही छात्र समुचित मार्गदर्शन, सुविधा एवं सहयोग भी प्राप्त करें- डॉ घनश्याम

 

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग में स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर, सत्र 2024- 26 में नवनामांकित 54 छात्र- छात्राओं का इंडक्शन कार्यक्रम विभागाध्यक्ष डॉ घनश्याम महतो की अध्यक्षता में आयोजित किया गया, जिसमें विभागीय प्राध्यापक डॉ आर एन चौरसिया, डॉ मोना शर्मा, संस्कृत अध्ययन केन्द्र के शिक्षक अमित कुमार झा तथा जेआरएफ एवं शोधार्थी रीतु कुमारी तथा मनी पुष्पक घोष आदि ने महत्वपूर्ण विचार रखे। कार्यक्रम में उद्घाटन सत्र के साथ ही परिचय एवं प्रश्नोत्तर सत्र का भी आयोजन किया गया, जिसमें दीपेश, मनोज, गोविंद, सींटू, अनुभव, अंकुश, प्रियंका, कृष्णा, ब्यूटी, आदर्श, ज्योति, हेमा, सुभाष, विकास, सुजीत, फूलो, रंजन, खुशबू, सुजीत, श्रवण, गुड़िया, अनीशा, चंदन, दिगंबर, रामसेवक, अभिषेक, बबलू, अमृत, अनुपम, काजल, अभिलाषा, प्रीति, मनीष, कोमल, विद्या सागर, मंजू, योगेन्द्र तथा उदय आदि उपस्थित थे।

विषय प्रवेशक डॉ आर एन चौरसिया ने छात्र-छात्राओं का स्वागत करते हुए स्नातकोत्तर अध्ययन की महत्ता, रोजी- रोजगार की संभावनाएं, पुस्तकालय, छात्रावास, विभागीय एवं विश्वविद्यालयीय सुविधाओं तथा उपलब्धियों की विस्तृत जानकारी देते हुए छात्रों को वर्ग में उपस्थित होने के साथ ही विभाग में स्थापित संस्कृत अध्ययन केन्द्र, नागार्जुन चेयर तथा मंडन मिश्र चेयर आदि के कार्यक्रमों में भी भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय से बीएन मंडल यूनिवर्सिटी, मधेपुरा के अलग होने के बाद पहली बार पीजी संस्कृत में इतनी अधिक संख्या में छात्रों का नामांकन लेना प्रसन्नता की बात है। उन्होंने संस्कृत अध्ययन की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व का पूर्ण विकास, दायित्व बोध, मानवीय मूल्यों का विकास तथा सुदृढ़ राष्ट्र की नींव रखना संभव है।

वहीं संस्कृत प्राध्यापिका डॉ मोना शर्मा ने पीजी प्रथम सेमेस्टर के सिलेबस एवं परीक्षा प्रणाली की विस्तृत जानकारी देते हुए छात्रों को नेट/जेआरएफ की रूपरेखा, महत्व एवं तैयारी के टिप्स दिये। संस्कृत अध्ययन केन्द्र के शिक्षक अमित कुमार झा ने संस्कृत अध्ययन की महत्ता को बताते हुए विभाग में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा संचालित सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्स में नामांकन की अंतिम तिथि 10 नवंबर, 2024 की जानकारी देते हुए कोर्सों के महत्व, स्वरूप, नामांकन प्रक्रिया तथा परीक्षा आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोई भी दसवीं पास व्यक्ति इसमें मात्र 12 सौ रुपए में नामांकन लेकर संस्कृत भाषा तथा संभाषण सीख कर प्रमाण पत्र भी ले सकते हैं।

अध्यक्षीय संबोधन में डॉ घनश्याम महतो ने कहा कि 75% वर्गोंपस्थिति अनिवार्य है। छात्र शिक्षकों से पढ़ाई के साथ ही समुचित मार्गदर्शन, विभागीय सुविधा एवं सहयोग प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बनाएं। छात्र अनुशासित होकर ससमय वर्ग आएं और ज्ञान एवं अनुभव प्राप्त करें।संक्षिप्त परिचय सत्र में शिक्षकों, शिक्षकेत्तर कर्मियों, शोधार्थियों, एवं छात्र- छात्राओं का एक- दूसरे से परिचय हुआ। वहीं प्रश्नोत्तर सत्र में सुनील ठाकुर, ज्योति, श्रवण झा, हेमा, सुभाष, प्रियंका, केशव, सिन्टू, गुड़िया तथा मनोज कुमार आदि ने विभिन्न प्रश्न पूछे, जिनका सही उत्तर डॉ चौरसिया, डॉ मोना शर्मा, अमित कुमार झा तथा रीतु कुमारी ने दिया। दीप प्रज्वलन से प्रारंभ इंडक्शन प्रोग्राम में मंगलाचरण- सुभाष कुमार, स्वस्तिवाचन- श्रवण कुमार झा, शिक्षागान- गोविंद कुमार, संस्कृतगान- प्रियंका कुमारी तथा स्वागतगान- हेमा कुमारी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन जेआरएफ एवं सुधार्थी रितु कुमारी ने किया।

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