विद्यापति सेवा संस्थान ने बिस्फी के विधायक के बयान की निंदा की

 

उनके बयान को भ्रामक बताते हुए पृथक मिथिला राज्य के गठन की मांग को जायज ठहराया

 

 

मिथिला राज्य के पृथक गठन के मुद्दे पर बिस्फी के विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल द्वारा दिए गये विवादास्पद बयान के बाद उनके बयान की कड़ी निंदा के साथ पृथक मिथिला राज्य के गठन की मांग एक बार फिर से जोर पकड़ने लगी है। विद्यापति सेवा संस्थान ने शनिवार को बचौल के बयान को भ्रामक बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की और इस मुद्दे पर सभी मिथिला एवं मैथिली सेवी संस्थानों को एक मंच पर आकर आंदोलन को तेज करने का आह्वान किया।

संस्थान की ओर से निंदा प्रस्ताव पारित करते हुए महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि बिस्फी के विधायक को समझना चाहिए कि मिथिला के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, शैक्षणिक, साहित्यिक और भाषा के क्षेत्र में समग्र विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य का गठन निहायत जरूरी है। क्योंकि सांस्कृतिक संपन्नता के लिए दुनिया भर में विख्यात मिथिला आज सरकारी अपेक्षाओं के कारण लगातार आर्थिक पिछड़ेपन का शिकार होने को मजबूर हो रहा है।

उन्होंने हरिभूषण ठाकुर के बयान को भ्रामक बताते कहा कि भाषा, लिपि, क्षेत्र, जनसंख्या और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सरीखे हर मानक पर खरा उतरते हुए मिथिला पूर्ण राज्य बनने का अधिकार रखता है और यह समय की मांग भी है। इसलिए उन्हें अपने इस बयान पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगना चाहिए।

मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमला कांत झा ने बचौल के बयान को बचकाना बताते कहा कि मिथिला कभी देश था और आज ओछी राजनीति का शिकार होकर राज्य का दर्जा हासिल करने में भी वर्षों से पिछड़ रहा है। मैथिली भाषा-साहित्य का विकास संरक्षण के अभाव में प्रभावित हो रहा है। मिथिला की अपनी सबसे पुरानी मैथिली भाषा है जिसकी अपनी लिपि मिथिलाक्षर आज भी जीवित है। बावजूद इसके मैथिली के प्रति सरकारी स्तर पर चल रहे षडयंत्र के कारण यह संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद भी राजकाज और प्राथमिक शिक्षा की भाषा बनने से वंचित है।

जीवकांत मिश्र ने बिस्फी के विधायक के बयान को दिवालिया मानसिकता की उपज बताते कहा कि उनके जैसे लोगों को जोश में होश गंवाने से परहेज करना चाहिए और मिथिला मैथिली के सर्वांगीण विकास के लिए कदम से कदम मिलाकर साथ चलना चाहिए। गलत बयानवाजी करने की बजाय रोजगार के अभाव का दंश झेलते मिथिला के मजदूर आज भी पलायन करने को विवश हो रहे हैं, यह दर्द उन्हें समझना चाहिए।

डा महेंद्र नारायण राम ने कहा कि अपने उम्र का भी लिहाज करते हुए बिस्फी के विधायक को मिथिला में स्थापित चीनी मिल, पेपर मिल, जूट मिल आदि आज क्यों यहां कबार का ढेर मात्र बने हुए हैं, इसके बारे में सोचना चाहिए।

मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने विधायक बचौल के बयान की निंदा करते कहा कि मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य के गठन की मांग समय समय सापेक्ष है। कोरोना संकट की घड़ी में सरकारी उपेक्षाओं के कारण लगातार आर्थिक पिछड़ेपन का शिकार होने को मजबूर हो रहे इस क्षेत्र के लोगों के घरमुँहा पलायन ने सबकी पोल खोलकर रख दी है। उनके बयान की विनोद कुमार झा, डा गणेश कांत झा, मणिभूषण राजू, पुरुषोत्तम वत्स, श्याम किशोर राम, जय नारायण साह, दुर्गा नन्द झा, गिरधारी झा आदि ने भी तीव्र निंदा की।

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