मोदी सरकार द्वारा पीएफ अंशदान जमा नहीं करने पर कॉर्पोरेट को दंड में भारी कमी के खिलाफ ऐक्टू का देशव्यापी प्रतिवाद 24 जून को

 

 

कॉर्पोरेट को खुली लूट की अनुमति श्रमिकों की मेहनत और गाढ़ी कमाई के साथ धोखा : ऐक्टू, 

मोदी सरकार खुद कॉर्पोरेट को अपने कानूनों का उल्लंघन करने के लिए आमंत्रित कर रही है : ऐक्टू, 

 

दरभंगा (आई ए खान) : श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 14 जून, 2024 को एक नई अधिसूचना जारी की, जिसके तहत उसने ईपीएफ (EPF), कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) और कर्मचारी जमा-लिंक्ड बीमा योजना (EDLIS) अंशदान जमा करने में देरी के लिए दंडात्मक शुल्क में भारी कमी की है, जिसमें श्रमिकों का अंशदान भी शामिल है। इसके खिलाफ मजदूरों ने ऐक्टू के नेतृत्व में प्रतिवाद मार्च डीएमसीएच परिसर से चलकर बच्चा वार्ड, डीएमसी प्रधानाचार्य कार्यलय, महिला छात्रावास होते हुए कर्पूरी चौक पहुंचकर सभा मे तब्दील हो गया।

मार्च का नेतृत्व ऐक्टू के जिला सचिव डॉ उमेश प्रसाद साह, सत्यनारायण पासवान उर्फ भोला जी, 102 ऐम्बुलेंस कर्मी संघ के जिलाध्यक्ष भोगेन्द्र मिश्र, रामाशीष महतो, महासंघ(गोपगुट) के नेता योगेंद्र राम, शिवजी कमती ने नेतृत्व किया।

इस अवसर पर खेग्रामस के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य देवेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि ऐक्टू मोदी 3.0 सरकार के इस कॉर्पोरेट परस्त, श्रमिक विरोधी कदम का पुरजोर विरोध करता है। मोदी सरकार अवैधताओं को वैध बना रही है और वैधानिक दायित्वों के उल्लंघन को वैध बना रही है, क्योंकि वह कॉर्पोरेट वर्ग को श्रमिकों के पीएफ अंशदान पर भी कॉर्पोरेट धोखाधड़ी करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार खुद कॉर्पोरेट को अपने कानूनों का उल्लंघन करने के लिए आमंत्रित कर रही है।

ईपीएफओ अधिनियम 1952 दंड के तहत ईपीएफओ विलम्ब को हतोत्साहित करने व भविष्य निधि में समय पर राशि जमा करना सुनिश्चित करने के लिए दंड लगाकर चूक की गई राशि वसूलने की शक्ति देता है। अब चूककर्ताओं पर प्रति माह केवल 1% का जुर्माना लगाया जाएगा, जिसका अर्थ है कि ईपीएफ के तहत बकाया योगदान के लिए प्रति वर्ष 12% का जुर्माना लगाया जाएगा। यह 6 महीने या उससे अधिक समय के चूक के लिए 25% के पिछले अधिकतम जुर्माने से काफी कम है।

कॉर्पोरेट द्वारा पीएफ अंशदान जमा नहीं करने पर दंड में भारी कमी के मोदी सरकार के निर्णय को मजदूर विरोधी व कॉर्पोरेटपरस्त निर्णय मानता है व इसका जोरदार मुखालफत करता है साथ ही देश के करोड़ों मजदूर वर्ग की गाढ़ी कमाई की खुली लूट मानता है। ऐक्टू सरकार से इस अधिसूचना को तुरंत वापस लेने की मांग करता है और देश के मजदूर वर्ग से 24 जून को सड़क पर उतर मोदी-एनडीए सरकार के इस मजदूर विरोधी व कॉर्पोरेटपरस्त निर्णय का देशव्यापी पुरजोर विरोध करने का आह्वान करता है।

सभा को अन्यलोगों के अलावा विक्रम पासवान, महासुन्दर ठाकुर, सावित्री देवी, मंजू देवी, सुनीता देवी, प्रवीण कुमार, तपेश्वर यादव, जसिमुल हक आदि ने सम्बोधित किया।

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