मेयर अवैध रूप से निगम के बाहर मुक्ति घाट के निर्माण का बना रही हैं दबाव और महाराजा पुस्तकालय का निर्माण कराना भी है अवैध – नगर आयुक्त

मेयर अवैध रूप से निगम के बाहर मुक्ति घाट के निर्माण का बना रही हैं दबाव और महाराजा पुस्तकालय का निर्माण कराना भी है अवैध – नगर आयुक्त- Darpan24 News

 

पत्रकारों को पेड पत्रकार कहकर उसके परिभाषा पूछे जाने पर प्रेस कांफ्रेंस से निकल कर भागे

जाते जाते गूगल सर्च कर पूछने की देते गए राय

सशक्त स्थायी समिति की बैठक में बिना कहें अवैध रूप से मेयर पर लगाया फोटो और विडियो बनवाने का आरोप

मेयर पर निगम की गोपनीयता भंग करने का लगाया आरोप

कई सवालों पर अटकें आयुक्त, सीटी मैनेजर ने आयुक्त के जगह पर दिया जवाब

विदित हो कि पश्चिम चम्पारण के सांसद ने भी निगम के भ्रष्टाचार पर उठाया था सवाल

 

बेतिया  (ब्रज भूषण कुमार) :  नगर निगम की मेयर मुक्ति घाट एवं महाराजा पुस्तकालय की निर्माण कराने के लिए अवैद्य रुप से निर्माण करने हेतु दबाव बना रही है, जबकि मुक्ति घाट निगम क्षेत्र से बाहर है।

उक्त बातें मीडिया कर्मियों को संबोधित करते हुए नगर आयुक्त शंभू कुमार ने कही। पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर की नगर निगम अखंड भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है, इस पर आपको क्या कहना है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि नगर निगम में कोई भ्रष्टाचार नहीं है। मेयर अनावश्यक रूप से मनगढ़ंत आरोप लगा रही है। जिसका उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है। उन्होंने कहा कि सशक्त कमेटी की बैठक में मेरे बातों को प्रोसोडिंग बुक में दर्ज नहीं किया जाता है। आयुक्त ने निगम में कार्यरत पाथ्या कंपनी को क्लीन चीट देते हुए कहा कि पाथ्या कंपनी में कोई भ्रष्टाचार या गड़बड़ी नहीं है। उन्होंने कहा कि 52 लाख की डस्टबिन की जो खरीद हुई है, वह नियम संगत की गई है। यह मेरा अधिकार है। निगम की कई फाइलें अनुमोदन हेतु मेयर के पास भेजी गई है जो अब तक उनके पास लंबित है। मेयर द्वारा कूड़ा बेचने का जो आरोप लगाया गया वह बिल्कुल निराधार है।

इस बीच आयुक्त द्वारा बार-बार मीडिया कर्मियों को नोटिस जारी करने का धमकी भी दिया जाता रहा। इस पर मीडिया कर्मियों ने कहा कि मेयर द्वारा जारी विज्ञप्ति और फोटो का ही हम लोग प्रकाशन करते हैं। इस बावत आयुक्त ने कहा कि जब आप लोग फोटो नहीं खींचते हैं सशक्त कमेटी की बैठक में जब मीडिया कर्मियों को प्रवेश ही नहीं दिया जाता तो इस परिस्थिति में मेरा फोटो या वीडियो कैसे प्रकाशित होता है। इसके जवाब में मीडिया कर्मियों ने एक स्वर में हमला करते हुए कहा कि यह तो आप बताएंगे कि बैठक में कौन वीडियो या फोटो बनाता है? हम लोगों के पास कैसे आता है?

वहीं जहाँ मीडिया कर्मियों के प्रश्न पर जब आयुक्त फंसते और घिरते, तो इस परिस्थिति में सिटी मैनेजर अरविंद कुमार जबाब देते। जो कि कई बातों पर प्रश्न चिन्ह उत्पन्न करता है। निगम चुनाव के पूर्व, बतौर प्रशासक के रूप में नगर आयुक्त ने बताया कि जो भी खर्च और टेंडर एजेंसियों को दिया है, वो पूरी निगम के नियम संगत है। हालांकि बिना बोर्ड के ही पाथ्या को 3 साल तक कूड़ा उठाव और संतोषजनक कार्य होने पर 2 साल सेवा वृद्धि करना कई मायनों में प्रश्नवाचक है। वैसे ही स्पैरो को भी अत्यधिक दर पर टैक्स कलेक्शन को भी बोर्ड के पूर्व ही 3 साल के लिए देना, संदेहास्पद बना हुआ है।

नगर आयुक्त शंभू कुमार अपने प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से मेयर के द्वारा शपथ ग्रहण और गोपनीयता को भंग करने का आरोप लगाकर मीडिया और सोशल मीडिया में सार्वजनिक करने का निगम का उल्लंघन बताया। 21 करोड के ट्रैक्टर ट्रेलर, डीप फ्रीजर आदि खरीदने को लेकर मेयर पर बिना बोर्ड से पास कराए ही खरीदने का आरोप लगाया। बोर्ड की बैठक जातीय जनगणना के बढ़ाए जाने को लेकर को भी मेयर ने कोई कारण अंकित नहीं होने का विज्ञप्ति दिया।। पम्पसेट खरीदने के लिए अनुमोदन हेतु मेयर को भेजा गया, किंतु संचिका लौटा दिया गया। विभागीय योजनाओं की स्वीकृति मेयर द्वारा नहीं दिया गया। ऐसे 14 बिन्दुओं का उल्लेख करते हुए मेयर को पत्र लिखने के बाद आयुक्त ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मेयर पर सवाल खड़ा करने की कोशिश की।

वहीं जब आयुक्त के आरोपों पर मेयर गरिमा देवी सिकारिया से बात की गई तो उन्होंने आयुक्त की सभी बिन्दु को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भी प्रत्येक कैबिनेट की बैठक के बाद प्रेस रिलीज जारी करते है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। एंबुलेंस, ट्रैक्टर, ड्रिप फ्रीजर इत्यादि सशक्त एवं बोर्ड दोनों से पारित है। ऐसे में बिना प्रस्ताव व बिना पारित होने की बात आयुक्त का गलत कथन है। अखबारों में मेरा यह बयान आया है कि आपके बैठक को बढ़ाने का कारण उचित नहीं लगा, ऐसा नहीं लिखा गया है कि कोई कारण अंकित नहीं है। आयुक्त का यह बिन्दु पर भी बयान गलत है। सशक्त स्थाई समिति की जांच के बाद वित्तीय अनियमितता को देखते हुए एजेंसी के भुगतान पर रोक लगाया गया। मीडिया खुद आकर बयान ले गई थी। मीडिया से इतनी बड़ी अनियमितता छुपाना गलत है। बोर्ड द्वारा पंप खरीदने के पत्र का अनुमोदन नहीं किया गया था क्योंकि बोर्ड के रोकने के बाद मैं किस प्रकार इसका अनुमोदन करती। विभागीय योजना जैसा आवश्यक विषय कराने हेतु उनके द्वारा बताया जा रहा है कि व्हाट्सएप पर सूचना दिया गया था, जो कि व्हाट्सएप लायक नहीं है। वह बड़े वित्तीय खर्चे से जुड़ा हुआ है उसको व्हाट्सएप पर सहमति या असहमति नहीं दी जा सकती।

उन्होंने बताया कि बोर्ड के किसी भी प्रोसिडिंग में विभागीय कार्य कराने का जिक्र नहीं है। बिना बोर्ड से पास किए हुए विभागीय कार्य कैसे होगा? 145 योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति सशक्त स्थाई समिति द्वारा 20 अप्रैल 2023 को ही दे दी गई थी, जिसके आधार पर आयुक्त ने उसका टेंडर भी किया था। फिर किस प्रोसिडिंग की बात वह आठवें महीने में कर रहे हैं। 20 अप्रैल के बाद टेंडर संबंधी कोई भी प्रोसिडिंग नहीं है। जब 20 अप्रैल की प्रोसिडिंग के आधार पर 145 योजनाओं का टेंडर किया गया, तो पुनः आठवें महीने उसकी मांग के आधार पर देरी दिखाना गलत है।

नगर आयुक्त के प्रेस कांफ्रेंस खत्म होते ही नगर निगम कार्यालय परिसर में बिहार के नगर विकास व आवास विभाग के अपर सचिव मनोज कुमार भी पटना से पहुंचे। स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्षदों और मेयर के लिखित शिकायतों के बाद नगर विकास व आवास विभाग पटना भी पूरे मामलों को लेकर जांच का आदेश दे चुका है, जिसके आलोक में उप विकास आयुक्त, पश्चिम चम्पारण के नेतृत्व में एक जांच टीम भी गठित की गई है। उसी को लेकर अपर सचिव मनोज कुमार भी बेतिया नगर निगम में पूरे मामले की जांच में आने की संभावना सूत्रों द्वारा प्रकट की गई है।

प्रेस कांफ्रेंस में सबसे आश्चर्यजनक यह देखने को मिला कि नगर आयुक्त और निगम के अन्य अधिकारियों के साथ सिर्फ मीडिया कर्मियों की उपस्थिति होनी थी, उस दौरान नगर आयुक्त के समर्थक भी प्रेस कांफ्रेंस हाॅल में एकत्र हो गए थे। ऐसे में नगर आयुक्त का प्रेस कांफ्रेंस भी सवालों के घेरे में है कि जिस गोपनीयता की बात थोड़ी देर पहले वो बोल रहे थे, उस बात का वो स्वयं उल्लंघन कर क्यों मीडिया और निगम के अधिकारियों के बीच की बात को सार्वजनिक रखना चाहते थे।

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