मिथिला के पुरास्थलों का वैज्ञानिक उत्खनन अति आवश्यक: डॉ. शंकर सुमन

 

दरभंगा (ब्यूरो रिपोर्ट) : म. अ. रमेश्वरलता संस्कृत महाविद्यालय, दरभंगा के सभागार में पोथीघर फाउंडेशन और महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित द्वादश व्याख्यानमाला के अंतर्गत “मिथिलाक पुरातत्त्व आ मृण्मूर्तिक काल निर्धारण” विषय पर द्वितीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह व्याख्यान चंद्रधारी संग्रहालय, दरभंगा के संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. शंकर सुमन ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. दिनेश झा ने की।


कार्यक्रम की शुरुआत मैथिल परंपरा के अनुसार सम्मान समारोह से हुई। वनस्पति विशेषज्ञ प्रो. विद्यानाथ झा ने वक्ता और डॉ. सत्येंद्र कुमार झा, पूर्व संरक्षण पदाधिकारी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, बिहार ने अध्यक्ष महोदय को सम्मानित किया।

अपने व्याख्यान में डॉ. शंकर सुमन ने मिथिला के प्राचीन पुरास्थलों और उनकी सांस्कृतिक महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि बलिराजगढ़ जैसे ऐतिहासिक स्थल मिथिला की प्राचीन राजधानी होने का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने बताया कि बलिराजगढ़ के उत्खनन से इसकी प्राचीनता 3000 वर्ष पूर्व तक मानी गई है। इस स्थल पर पाँच चरणों में उत्खनन कार्य हुए, जिसमें उत्तर कृष्ण मृद्भांड काल, शुंग-कुषाण काल, गुप्त और उत्तर गुप्त काल, तथा पाल काल की सभ्यताएँ सामने आईं। यहाँ से मानव और पशु मृणमूर्तियाँ, टेराकोटा के मनके, धातु निर्मित पुरावशेष आदि प्राप्त हुए हैं।
डॉ. सुमन ने बताया कि मृणमूर्तियों का निर्माण प्राचीन भारतीय कला में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उन्होंने टेराकोटा निर्माण की तकनीकी प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि सिंधु सभ्यता से लेकर शुंग और मौर्यकाल तक इस कला में कई नवाचार हुए। उन्होंने यह भी कहा कि मिथिला के हजारों पुरास्थलों का वैज्ञानिक उत्खनन आज भी आवश्यक है। कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तरी सत्र में प्रतिभागियों ने विषय से संबंधित सवाल पूछे, जिनका वक्ता ने विस्तार से उत्तर दिया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. दिनेश झा ने कहा कि मिथिला की पुरातात्त्विक विविधता हमारे इतिहास का अमूल्य धरोहर है। इस विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला सराहनीय पहल है। इस अवसर पर पोथीघर फाउंडेशन की अध्यक्षा श्रीमती गुड़िया झा ने वक्ता को पुस्तक भेंट की। आर.एस. एजुकेशनल फाउंडेशन, दरभंगा चैप्टर के समन्वयक डॉ. मो. जमील हसन अंसारी ने अध्यक्ष महोदय को पुस्तक उपहार में दी।
कार्यक्रम का संचालन श्री आशुतोष मिश्र ने किया और धन्यवाद ज्ञापन पोथीघर फाउंडेशन के सचिव श्री आनंद मोहन झा ने किया। कार्यक्रम में प्रो. विद्यानाथ झा, डॉ. अवनींद्र कुमार झा, डॉ. अखिलेश कुमार विभु, डॉ. पवन कुमार झा, डॉ. मैथिली कुमारी, डॉ. मुकेश प्रसाद, डॉ. मुकेश कुमार, मुरारी कुमार झा, राहुल चौधरी, शिवांशी कुमारी, सुमित श्री, पूर्णिमा कुमारी सहित कई प्रोफेसर, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे।

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