मलेरिया मरीजों की पहचान और इलाज सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सभी प्रखंड के आशा कर्मियों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण

 

आशा कर्मियों को मलेरिया के लक्षण और अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की दी जा रही है जानकारी
-जनवरी से नवंबर 2024 तक जिले में मलेरिया से ग्रसित पाए गए हैं 31 मरीज
-मलेरिया से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाता है सिंथेटिक पाराथ्राइड (एसपी) का छिड़काव

 

पूर्णिया (ब्रजभूषण कुमार) : जिले में मलेरिया बीमारी से ग्रसित मरीजों की समय पर पहचान करते हुए नजदीकी अस्पताल में इलाज सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी प्रखंड के आशा कर्मियों को दो अलग-अलग बैच बनाते हुए एकदिवसीय प्रशिक्षण राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (जीएमसीएच), पूर्णिया में दिया जा रहा है। इस दौरान सभी आशा कर्मियों को संबंधित क्षेत्र में लक्षण के अनुसार मलेरिया ग्रसित मरीजों की पहचान करते हुए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों से जांच और इलाज सुविधा उपलब्ध कराने की जानकारी दी जा रही है।

 

प्रशिक्षण के दौरान भीडीसीओ रवि नंदन सिंह, भीडीसीओ सोनू कुमार, मलेरिया स्वास्थ्य केंद्र लिपिक रामकृष्ण परमहंस, पिरामल स्वास्थ्य प्रोग्राम लीड अवधेश कुमार सहित जिला मलेरिया स्वास्थ्य विभाग के सभी स्वास्थ्य कर्मी और सभी आशा कर्मी उपस्थित रहे।

प्रशिक्षण में आशा कर्मियों को मलेरिया के लक्षण और अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की दी गई है जानकारी :

जिला भेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल ने बताया कि प्लाज्मोडियम नामक परजीवी से संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होने वाले बीमारी को मलेरिया कहते हैं। यह एक प्रकार का बुखार है जिसमें संक्रमित व्यक्ति को प्रतिदिन, एक दिन के अंतराल पर या हर 3-4 दिन के अंतराल पर बुखार होने

लगता है। मलेरिया बुखार किसी भी उम्र के व्यक्ति, महिला या बच्चों को कभी भी हो सकता है। मलेरिया ग्रसित होने पर संबंधित व्यक्ति को कंपकपी के साथ तेज बुखार (103°F से 105°F तक) होने लगता है। ग्रसित मरीजों को बहुत दिनों तक लगातार बुखार होना, कुछ घंटों के बाद पसीनों के साथ बुखार का उतर जाना पुनः कुछ अंतराल के बाद उन्ही लक्षणों के साथ बुखार का आना मलेरिया ग्रसित होने के लक्षण हैं। ऐसा लक्षण दिखाई देने पर स्थानीय आशा कर्मियों द्वारा संबंधित मरीज को नजदीकी अस्पताल पहुँचाते हुए खून की जांच करवाना सुनिश्चित करना चाहिए। जांच में संबंधित व्यक्ति मलेरिया ग्रसित पाए जाने पर चिकित्सकों द्वारा संबंधित मरीज को आवश्यक दवाई उपलब्ध कराई जाती है। मरीजों को मलेरिया से सुरक्षा के लिए चिकित्सकों द्वारा निर्धारित दवा का पूरा उपयोग करना सुनिश्चित करना चाहिए। प्रशिक्षण के दौरान सभी आशा कर्मियों को अपने क्षेत्र में मलेरिया बुखार से ग्रसित ऐसे मरीजों की पहचान होने पर तत्काल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराते हुए लोगों को मलेरिया से सुरक्षित रखने की जानकारी दी जा रही है। सही समय पर जांच और पूर्ण इलाज से संबंधित मरीज मलेरिया बुखार ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं।

जनवरी से नवंबर 2024 तक जिले में मलेरिया से ग्रसित पाए गए हैं 31 मरीज :

भीडीसीओ रवि नंदन सिंह ने बताया कि वर्ष 2024 में जनवरी से नवंबर तक पूर्णिया जिले में मलेरिया बुखार से ग्रसित होने के 30 मरीज पाए गए हैं। इसमें सबसे अधिक मलेरिया ग्रसित मरीज पूर्णिया पूर्व प्रखंड के शहरी क्षेत्रों में दर्ज हुए हैं। जनवरी से नवंबर 2024 तक पूर्णिया शहरी क्षेत्र में 22 मरीज मलेरिया ग्रसित पाए गए हैं जिन्हें अस्पताल से चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराते हुए सुरक्षित किया गया है। इसके अलावा 2024 में पूर्णिया पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में 03 मरीज, डगरुआ प्रखंड में 02 मरीज, बायसी प्रखंड में 01 मरीज, धमदाहा प्रखंड में 01 मरीज, भवानीपुर प्रखंड में 01 मरीज और रुपौली प्रखंड में 01 मरीज मलेरिया बीमारी से ग्रसित पाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी मरीजों को नजदीकी अस्पताल द्वारा चिकित्सकीय सहायता प्रदान करते हुए स्वास्थ और सुरक्षित किया गया है। भीडीसीओ ने बताया कि वर्ष 2024 में पूर्णिया जिले के शेष 08 प्रखंड में कोई व्यक्ति मलेरिया बुखार से ग्रसित नहीं पाए गए हैं। सभी आशा कर्मियों को प्रशिक्षण के दौरान अपने क्षेत्र के लोगों को मलेरिया से सुरक्षा के लिए जागरूक करते हुए अन्य सभी प्रखंड को भी मलेरिया बीमारी से सुरक्षित रखने की जानकारी दी जा रही है।

मलेरिया से सुरक्षा के लिए किया जाता है सिंथेटिक पाराथ्राइड (एसपी) का छिड़काव :

भीडीसीओ रवि नंदन सिंह ने बताया कि मलेरिया से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी प्रखंडों में हर छह महीने के अंतराल पर सिंथेटिक पाराथ्राइड (एसपी) का छिड़काव किया जाता है। इस दौरान आशा कर्मियों द्वारा क्षेत्र के लोगों को मलेरिया से सुरक्षा के लिए अपने घरों में सिंथेटिक पाराथ्राइड छिड़काव कराने के लिए जागरूक किया जाता है। छिड़काव के दौरान आशा कर्मियों द्वारा छिड़काव कर्मियों से लोगों के घर के सभी कमरों के अंतर तथा किवाड़ों के पिछले भाग में छिड़काव कराना सुनिश्चित किया जाता है। आशा कर्मियों द्वारा छिड़काव से पहले क्षेत्र के लोगों को जानकारी देते हुए छिड़काव के दौरान घर के सभी सामान एक जगह एकत्रित करते हुए ढकने या घर से बाहर निकालने की सलाह देना सुनिश्चित किया जाता है। आशा द्वारा गृहस्वामी को छिड़काव के बाद तीन महीने तक घर की लिपाई-पोताही नहीं कराने की सलाह दी जाती है जिससे कि घर में उपलब्ध मलेरिया कीटाणु सम्पूर्ण नष्ट हो सके और लोग मलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रख सकें।

मलेरिया के सुरक्षा के लिए लोग ध्यान रखें कि :

-सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
-पूरे बदन को ढकने वाले कपड़ों का उपयोग करें।
-घर के आसपास बने जल जमाव वाले जगहों को मिट्टी से पाट दें।
-जल जमे स्थानों पर पानी में मिट्टी का तेल या डीजल डाल कर मलेरिया मच्छर को होने से रोकें।
-घर के आसपास बहने वाले नाली की बराबर साफ सफाई करें ताकि पानी का बहाव निरंतर बना रहे।

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