मधुबनी (ब्यूरो रिपोर्ट) : जिले के नगर भवन में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के 68वें परिनिर्वाण दिवस पर *”भारतीय संविधान, नागरिक, स्वतंत्रता और विकास”* विषय पर एक दिवसीय गोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव ने की।
गोष्ठी की शुरुआत बाबा साहेब की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित करके की गई। इस अवसर पर प्रो. मुनेश्वर यादव ने अपने संबोधन में कहा, “डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जो संविधान हमें दिया है, वह हमारे लोकतंत्र की नींव है। संविधान न केवल भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और धर्मनिरपेक्षता के आदर्शों को भी मजबूती प्रदान करता है। आज जरूरत है कि हम इस संविधान की मूल भावना को समझें और इसे सशक्त बनाए रखने के लिए एकजुट हों।”
प्रो. यादव ने वर्तमान समय में संविधान की रक्षा को अत्यावश्यक बताते हुए कहा कि, “जो ताकतें संविधान को कमजोर करना चाहती हैं, वे केवल संविधान पर ही नहीं, बल्कि हमारी लोकतांत्रिक विरासत पर भी हमला कर रही हैं। ऐसे में हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपनी भूमिका निभाए।”
चर्चित राजनीति विश्लेषक प्रो. योगेंद्र यादव ने अपने विचार रखते हुए कहा कि, “डॉ. अंबेडकर द्वारा निर्मित भारतीय संविधान हमारे लोकतंत्र की आत्मा है। इसकी रक्षा करना न केवल हमारे देश को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि सत्ता पर काबिज फासीवादी ताकतों को परास्त करने का प्रभावी माध्यम भी है।”
उन्होंने संविधान को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि, “25 नवंबर को संविधान दिवस से पहले सुप्रीम कोर्ट ने संविधान से ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्षता’ जैसे शब्द हटाने की याचिका को खारिज कर संविधान विरोधी ताकतों के मंसूबों पर पानी फेर दिया।”
गोष्ठी में उपस्थित शिक्षकों, समाजसेवियों, शोधकर्ताओं और अन्य प्रतिभागियों ने बाबा साहेब की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने संविधान को बचाने और सामाजिक न्याय के आदर्शों को सुदृढ़ करने की दिशा में योगदान देने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम का समापन संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक वाचन और डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुआ।