शोध पत्र लेखन आनंदशाला कार्यक्रम आयोजित
भारतीय शिक्षा मंडल के विशेषज्ञों ने बताई बारीकियां
दरभंगा (नंदू ठाकुर):_कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में भारतीय शिक्षण मंडल युवा आयाम द्वारा आयोजित शोध पत्र लेखन आनंदशाला कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 लक्ष्मी निवास पांडेय ने शनिवार को कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को केंद्रित कर ही देश को विकसित किया जा सकता है । हमसभी भारतीय विचारधारा से जुड़ें और अपनी ज्ञान सम्पदा से इसे सींचें। साथ ही उन्होंने कहा कि जिस दिन पूरा भारत संस्कृत को देव भाषा न कह कर जन भाषा कहना शुरू कर देगा उसी दिन शिक्षा का पूर्ण भारतीयकरण हो जाएगा और भारत विकसित राष्ट्र भी हो जाएगा। नई शिक्षा नीति में संस्कृत की नीतियों को खास तबज्जो दी गयी है जो स्वागत योग्य है। इसके पूर्व की शिक्षा नीति में इसकी उपेक्षा कर दी गयी थी।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य था आज की युवा पीढ़ी में विजन फाॅर विकसित भारत को लेकर नई संकल्पनाओं को आधारभूत ठोस पंख लगाना। साथ ही शिक्षा का उद्देश्य भारत केंद्रित करना भी था। इसी बीच मंचस्थ विद्वज्जनों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ ।वैदिक मंगलाचरण डॉ. ध्रुव मिश्र ने किया। वहीं,भारतीय शिक्षण मंडल उत्तर बिहार प्रांत संपर्क प्रमुख श्री राजदेव ने ध्येय मंत्र , ध्यान श्लोक एवं संगठन गीत का पाठ करवाया । कुल गीत व्याकरण विभाग की सहायक प्राचार्या डॉ0 साधना शर्मा द्वारा गाया गया । विद्वज्जनों का स्वागत स्नातकोत्तर प्रभारी प्रो. सुरेश्वर झा ने किया । तदुपरांत अतिथियों द्वारा शोध लेखन से संबंधित पोस्टर का विमोचन किया गया । भारतीय शिक्षण मंडल, उत्तर बिहार के अध्यक्ष अजीत कुमार ने विजन फाॅर विकसित भारत को केंद्रित करते हुए विषय प्रवर्तन किया । राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. ओम प्रकाश सिंह ने भारतीय शिक्षण मंडल के बारे में विस्तार से परिचय करवाया तथा मंडल के सात मुख्य बिंदुओं से सभी को अवगत करवाया। उन्होंने नव शिक्षा निर्माण तथा भारतीय ज्ञान परंपरा को पुष्ट करने का आह्वान किया । क्षेत्र संयोजिका सुश्री अंबिका आर्यन ने अपने व्याख्यान में तथाकथित कुछ नवउदारवादी बुद्धिजीवियों द्वारा भारत विरोधी नॉरेटिव का भारतीय शिक्षा में समाहित होने का विरोध किया । विश्वविद्यालय विभाग प्रमुख डॉ0 अनिल कुमार जी ने शोध लेखन प्रतियोगिता प्रक्रिया के नियम तथा शोध बिंदुओं पर प्रकाश डाला । वहीं, प्रांत उपाध्यक्ष डॉ0 साकेत रमन ने शोध पत्र लेखन विधि पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षण मंडल “वयम् राष्ट्रे जागृयाम ” अर्थात् हम राष्ट्र को जीवंत एवं जाग्रत बनायें पर कार्य कर रहा है । शोध पत्र लेखन विधि के विविध पक्षों पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि विषय से संबंधित अनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर सहसंबंध तथा तादात्म्य संबंध के द्वारा सैद्धांतिक लेखन ही शोध पत्र लेखन कहलाता है । उन्होंने कहा कि शोध प्रतिवेदन हमेशा व्यवस्थित होता है । इसका उद्देश्य ही प्रकाशन और प्रदर्शन होता है। साथ ही बताया कि शोध में सन्दर्भों की सूची के साथ संकल्पनाएँ भी जरूरी होती हैं। ज्ञान के प्रमाणीकरण के लिए भी सन्दर्भ आवश्यक है। साथ ही कहा कि समय -काल व देश के संदर्भ में शोध की अवधारणाएं बदल जाती हैं। प्रान्त मंत्री नवीन तिवारी ने प्रार्थना मंत्र पढा।
धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. पुरेन्द्र वारीक ने किया । मंच संचालन व्याकरण विभाग में सहायक प्राचार्या डॉ0 एल. सविता आर्या ने किया जबकि कार्यक्रम का कुशल संयोजन डॉ0 यदुवीर स्वरुप शास्त्री ने किया। आज के आनंदशाला कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष , सहायक आचार्य तथा छात्र सम्मिलित हुए।शांति पाठ के उपरांत कार्यक्रम की समाप्ति हुई।