दरभंगा (एम न खान) :_बिहार के युवा नेता डॉ. इकबाल हसन (रिशु) ने बिहार सरकार और प्रशासन के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है, जो हाल ही में बीपीएससी अभियार्थियों के साथ अपनाया गया है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उच्च शिक्षा प्राप्त युवा, जो अपनी मेहनत और कड़ी तैयारी के बल पर बिहार के प्रशासनिक तंत्र में योगदान देने का सपना देख रहे हैं, उन्हें दमनकारी नीतियों और अन्यायपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है।
डॉ इकबाल हसन ( रिशु) आज सुबह पटना आंदोलन में छात्रों से मिल के लौटे और बताया कि हाल के दिनों में बीपीएससी परीक्षा से जुड़े विवाद, पेपर लीक, अनियमितता, और पारदर्शिता की कमी ने अभियार्थियों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित किया है। इसके साथ ही, अभियार्थियों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर बलप्रयोग और अनसुनी की गई मांगें लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है।
डॉ. इकबाल हसन रिशु ने सरकार से निम्नलिखित मांगें की हैं:
1. बीपीएससी परीक्षाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
2. अभियार्थियों की जायज़ मांगों को प्राथमिकता के साथ सुना और हल किया जाए।
3. विरोध प्रदर्शन करने वाले अभियार्थियों के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा को रोका जाए।
4. पेपर लीक और अन्य गड़बड़ियों के दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
5. युवा शक्ति को कुचलने के बजाय उन्हें प्रोत्साहन और समर्थन दिया जाए।
डॉ. इकबाल हसन ने यह भी कहा कि बिहार का विकास तभी संभव है जब राज्य अपने युवाओं के भविष्य को प्राथमिकता दे। यदि सरकार अपनी नीति और दृष्टिकोण में सुधार नहीं करती है, तो जनता को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
वहीं दूसरी तरफ डॉ. इकबाल हसन रिशु ने प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है और सरकार की तानाशाही को दर्शाता है। उन्होंने मांग की है कि प्रशांत किशोर को तुरंत रिहा किया जाए और छात्रों की मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाए। इस घटना से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है, और आने वाले दिनों में इसके और प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
डॉ इकबाल हसन (रिशु) यह समय है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी को समझे और शिक्षा एवं रोजगार के क्षेत्र में पारदर्शिता और सुधार के लिए ठोस कदम उठाए।