बाबा साहब की दूरदर्शी सोच से ही सामाजिक स्तर पर विषमताओं को खत्म कर भारत बनेगा 2047 तक विकसित राष्ट्र:- उप-परीक्षा नियंत्रक, डॉ. मनोज कुमार

बाबा अम्बेडकर चेयर के तत्वाधान में संविधान निर्माता बाबासाहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर “बाबासाहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों में सामाजिक न्याय” विषय पर आयोजित हुआ व्याख्यान

ल.ना.मि.वि. दरभंगा:- राजनीति विज्ञान विभाग में डॉ बी आर अंबेडकर चेयर के तत्वाधान में संविधान निर्माता बाबासाहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर “बाबासाहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों में सामाजिक न्याय” विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन हुआ।

इस अवसर पर अपने उद्बोधन में विश्वविद्यालय के उप-परीक्षा नियंत्रक (तकनीकी व व्यवसायिक शिक्षा) डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि आज बाबा साहब का महापरिनिर्वाण दिवस है। मैं अपनी ओर से बाबा साहब को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। बाबा साहब सिर्फ एक मानव नहीं बल्कि महामानव थे। संविधान निर्माण में उनकी अहम भूमिका रही। उनके बिना भारतीय संविधान के निर्माण की कल्पना करना मुश्किल था। आजादी के बाद भारत के लिये अपना संविधान निर्माण करना सबसे बड़ा चुनौती था। नेहरू जी उस दौर में भी एक विदेशी अफसर को इसकी जिम्मेदारी देने का मन बना चुके थे। यह बात जब लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को पता चला तो उन्होंने फौरन नेहरू जी से मिलकर बाबा साहब के नाम की पेशकश की। नेहरू जी ने कहा कि आप बाबा साहब से इसके लिये बात करिये, अगर वो तैयार होते हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। फिर बाबा साहब को बुलाया गया। बाबा साहब ने लौह पुरुष के पेशकश को सहर्ष स्वीकार किया। बाबा साहब द्वारा लिखित संविधान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जैसे हंस मिश्रित दूध और पानी में से दूध को पी जाता है और पानी को छोड़ देता है ठीक उसी प्रकार बाबा साहब विश्व के अलग-अलग देशों के संविधानों में अहम व उपयोगी कानून को अपने संविधान में समाहित किया। उस दौर में सामाजिक स्तर पर काफी विषमताएं थी, इसीलिए सामाजिक स्तर पर विषमताओं को खत्म करने के लिये उन्होंने संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया जो कि सामाजिक स्तर पर विषमताओं को खत्म कर विकसित भारत @2047 के दिशा में अपना कदम बढ़ा चुका है, जो कि बाबा साहब के दूरदर्शी सोच से ही संभव हो रहा है। आगे उन्होंने इस पर विस्तार से प्रकाश डाला।

विभागीय शिक्षिका नीतू कुमारी ने कहा कि बाबा साहब दूरदर्शी सोच के व्यक्ति थे। उनके विचारों में समाज का अंतिम व्यक्ति भी महत्वपूर्ण था। वे जानते थे कि विकसित भारत बनाने के लिये समाज के अगड़ी, पिछड़ी, शोषित, वंचित व दलित समाज के बीच की खाई को पाटना होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने संविधान का निर्माण किया और सामाजिक न्याय की दिशा में अपना अहम भूमिका निभाया। आज बाबा साहब की ही देन है कि पिछड़ा, वंचित, शोषित व दलित समाज भी मुख्य धारा से जुड़कर विकसित भारत @2047 की दिशा में अपना अहम योगदान दे रहा है। हम बाबा साहब को अपनी ओर से श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं।

धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी शालिनी ने किया। इस अवसर पर विभिन्न सेमेस्टरों के दर्जनों छात्र-छात्रा व शोधार्थी उपस्थित थे।

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