बच्चों को टीबी बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण केंद्रों पर लगाए बीसीजी का टीका

 

-टीकाकरण के बाद भी टीबी से सुरक्षा के लिए सतर्कता का रखें ध्यान
-लगातार खांसी रहने पर तुरंत कराएं जांच, सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है जांच और इलाज सुविधा, 

 

पूर्णिया (विशेष संवाददाता) : बढ़ते ठंड के कारण बच्चों में सर्दी-खांसी और बुखार समेत अन्य बीमारियों के ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है। बड़े लोगों के साथ साथ छोटे बच्चों को बढ़ते ठंड में सावधानी नहीं रखने से बहुत से बीमारियों से ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे सुरक्षित रहने के लिए लोगों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। विशेष रूप से छोटे बच्चों को ऐसे मौसम में मौसम में बच्चों को टीबी ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है। इस बीमारी से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए बच्चों को बीसीजी का टीका जरूरी है। ठंड के मौसम में बच्चों द्वारा पर्याप्त सावधानी नहीं रखने के साथ साथ आवश्यक खानपान नहीं होने पर बच्चे कुपोषण और एनीमिया पीड़ित हो सकते हैं। कुपोषित और एनीमिया पीड़ित बच्चों में टीबी ग्रसित होने की संभावना अधिक होता है। नियमित टीकाकरण में बीसीजी का टीका लगाने से बच्चों को टीबी बीमारी से सुरक्षित रहने की क्षमता का विकास होता है और बच्चे टीबी ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं।

बच्चों को टीबी से सुरक्षा के लिए बीसीजी का टीका बेहतर विकल्प :

जिला संचारी रोग पदाधिकारी (सीडीओ) डॉ कृष्ण मोहन दास ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है और जिससे बच्चों को ग्रसित होने का खतरा अधिक होता है। परिजनों को इससे बचाव के लिए विशेष सजग रहने की जरूरत है।इससे बचाव के लिए हर व्यक्ति  को अपने बच्चे को निश्चित रूप से बीसीजी का टीका लगवाना चाहिए। बच्चों को टीबी से सुरक्षित रखने के लिए बीसीजी का टीका सबसे बेहतर और आसान उपाय है। टीका लगाने से बच्चों के टीबी ग्रसित होने की संभावना कम हो जाती है और बच्चे टीबी से सुरक्षित रह सकते हैं। उन्होंने बताया कि टीबी बीमारी मायकोबैटोरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। क्योंकि हवा के जरिये यह बीमारी एक से दूसरे इंसान के अंदर फैलता है। टीबी मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह, नाक से निकलने वाली बारीक बूंदें से फैलती है। फेफड़ों के अलावा कोई दूसरा टीबी इतना संक्रामक नहीं होता है।

टीबी पीड़ित मरीजों के संपर्क से सामान्य बच्चे को बचाएँ :

सीडीओ डॉ कृष्ण मोहन दास ने बताया कि बदलते मौसम के कारण टीबी ग्रसित हो जाने पर परिजनों द्वारा सामान्य बच्चों को टीबी पीड़ित बच्चे के संपर्क से दूर रखना चाहिए। घर से बाहर जाने की आवश्यकता हो तो पीड़ित बच्चे को मास्क पहनाकर ही बाहर भेजना सुनिश्चित करना चाहिए क्योंकि टीबी संक्रामक बीमारी होती है जिससे आसपास के लोगों को टीबी ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है। परिजनों को इस मौसम में बच्चों को श्वसन संबंधित स्वच्छता रखने के लिए प्रेरित करना चाहिए। विभिन्न बीमारियों से सुरक्षा के लिए बच्चों को पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। बच्चों को खानपान में विटामिन-सी वाले भोज्य पदार्थ का उपयोग करना चाहिए। इससे बच्चे टीबी से सुरक्षित रहते हुए संक्रमित होने पर बहुत जल्द स्वस्थ हो सकते हैं।

लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी अस्पताल में कराएं जांच :

सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने बताया कि सर्दी के मौसम में बच्चों को सर्दी खांसी होने पर टीबी ग्रसित होने की संभावना हो सकती है। लक्षण महसूस होते ही परिजनों को बच्चों की नजदीकी अस्पताल में टीबी ग्रसित होने की जाँच करवानी चाहिए। जिले के सभी अस्पतालों में टीबी ग्रसित मरीजों के लिए जांच और इलाज सुविधा उपलब्ध है। टीबी ग्रसित होने पर संबंधित मरीजों को चिकित्सकीय सहायता के साथ साथ सहयोग राशि भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जाती है जिससे कि टीबी पीड़ित मरीजों को उचित पोषण आहार उपलब्ध हो सके और मरीज निश्चित समय में स्वस्थ हो सकें।

टीबी ग्रसित होने के लक्षण :

•भूख नहीं लगना या कम लगना और वजन का अचानक कम हो जाना।
•बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।
•हलका बुखार रहना।
•खांसी और खांसी में बलगम तथा बगलम के साथ खून का आना।
•कभी कभी अचानक जोर से खून के साथ खांसी का आ जाना।
•गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।
•गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।
•महिलाओं को बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना।
•पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट का फूलना।
•टीबी न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द का होना।

टीबी से सुरक्षा के लिए ध्यान रखें कि :

•1- 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर लोग टीबी ग्रसित हो सकते हैं। नजदीकी अस्पताल में चिकित्सकों जांच कराते हुए ग्रसित होने पर सम्पूर्ण दवा का उपयोग करना सुनिश्चित करें। दवा खत्म होने पर चिकित्सकों से परामर्श के बाद दवा सेवन समाप्त करना चाहिए।
•ग्रसित मरीज द्वारा हमेशा मास्क का उपयोग करना चाहिए। मास्क नहीं उपयोग करने पर हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।
•ग्रसित मरीज द्वारा यहां वहां नहीं थूकना चाहिए। थूकने पर प्लास्टिक बैग का उपयोग करना चाहिए। एकत्रित गंदगी को फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में फेंकना चाहिए।
•ग्रसित मरीजों को पौष्टिक आहार के साथ साथ व्यायाम व योग करना चाहिए।
•बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करना चाहिए।
•भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचना चाहिए।

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