- -10 अगस्त को शुरू हुए अभियान को प्रतिकूल प्रभाव के कारण किया था स्थगित, जांच के बाद पुनः शुरू किया गया अभियान
-पहले कसबा और श्रीनगर में चल रहा एमडीए अभियान, प्रशिक्षण के बाद अन्य सभी प्रखंडों में भी खिलायी जाएगी दवा
-2 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को खिलायी जा रही दवा, खाली पेट नहीं खानी है दवा
-प्रतिकूल प्रभाव नियंत्रण के लिए बना है 5 स्वास्थ्य अधिकारियों की रेपिड रेस्पॉन्स टीम
पूर्णिया (ब्यूरो रिपोर्ट) : फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा साल में एक बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए/आईडीए) कार्यक्रम का संचालन घर-घर जाकर चलाया जाता है। पूर्णिया जिले में वर्ष 2024 में एमडीए/आईडीए कार्यक्रम की शुरुआत 10 अगस्त से हुई थी लेकिन प्रथम दिन कुछ लोगों में दवा सेवन से प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देने पर जिलाधिकारी के निर्देश पर स्थगित कर दिया गया था। जिलाधिकारी कुंदन कुमार के निर्देश पर एमडीए/आईडीए कार्यक्रम के लिए जिले में उपलब्ध दवा सैम्पल को लैब में जांच के लिए भेजा गया था। अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी फाइलेरिया द्वारा सभी सैम्पल एवं आपूर्ति किये गए सभी दवाओं का जांच प्रतिवेदन भेजा गया, जो फाइलेरिया उन्मूलन मानक पर बिल्कुल खरा पाया गया। इसके बाद पूर्णिया जिले में पुनः सर्वजन दवा सेवन (एमडीए/आईडीए) कार्यक्रम शुरु करने का निर्देश दिया। 13 सितंबर से पूर्णिया जिले के 2 प्रखंड कसबा और श्रीनगर में स्वास्थ्य कर्मियों के आवश्यक प्रशिक्षण के बाद एमडीए/आईडीए कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इन प्रखंडों में एमडीए/आईडीए कार्यक्रम के तहत दवा सेवन करने से लोगों को मिलने वाले लाभ के बाद इसे जिले के अन्य सभी प्रखंडों में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण देने के बाद चलाया जाएगा। दो प्रखंड में शुरू हुए एमडीए अभियान में दवा सेवन करने से किसी व्यक्ति को कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पाया गया। कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए सभी स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मियों को विशेष निर्देश जारी किया गया है। सभी आशा, आंगनवाड़ी स्वयंसेविका, आशा फेसिलेटर एवं पर्यवेक्षक को विशेष प्रशिक्षण देते हुए आवश्यक निर्देश दिया गया है। स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा सभी सावधानी का पालन करते हुए 2 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को (गर्भवती महिला और गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को छोड़कर) फाइलेरिया से सुरक्षा हेतु दवा सेवन सुनिश्चित किया जाना है। कसबा प्रखंड के वार्ड नम्बर 6 में फाइलेरिया रोग से ग्रसित फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की नेटवर्क मेम्बर हीरा देवी समेत अन्य नेटवर्क सदस्यों द्वारा स्थानीय लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए दवा सेवन करने के लिए जागरूक करते हुए दवा खिलाने में स्वास्थ्य कर्मियों की मदद की जा रही है।
02 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को खिलायी जा रही है डीईसी, एल्बेंडाजोल और आइवेरमेक्टिन की दवा
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल ने बताया कि मादा क्यूलेक्स मच्छर द्वारा फाइलेरिया ग्रसित व्यक्ति को काटने के पश्चात किसी सामान्य व्यक्ति को काटने के दौरान उसमें फाइलेरिया का कीटाणु छोड़ दिया जाता है जिसकी जानकारी संबंधित व्यक्ति को 05-10 साल बाद होती है। फाइलेरिया के कीटाणु से ग्रसित होने पर संबंधित व्यक्ति का हाथ, पैर या दोनों में सूजन होने लगता है। हाथ-पैर के साथ साथ पुरुषों के हाइड्रोसील और महिलाओं के स्तन में भी फाइलेरिया हो सकता है। हाइड्रोसील को छोड़कर अन्य शारीरिक अंग का कोई सम्पूर्ण इलाज नहीं हो पाता है। ऐसी बीमारी को होने से पहले ही रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा साल में एक बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए/आईडीए) कार्यक्रम चलाया जाता है जिसके तहत स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लोगों को घर घर पहुँचकर डीईसी, एल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन की दवा खिलाई जाती है। साल में 1 बार खाने वाले दवा का लगातार तीन साल तक एक-एक बार सेवन करने से संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं। फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए डीईसी व एल्बेंडाजोल की गोली 02 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को जबकि आइवेरमेक्टिन की गोली 05 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को लंबाई के अनुसार स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही सेवन करना है। लंबाई मापने के लिए सभी स्वास्थ्य कर्मियों को किट दिया गया है। गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षा की दवा का सेवन नहीं कराया जाता है।
भोजन करने के बाद 2 घंटे के भीतर खिलाई जा रही फाइलेरिया से सुरक्षा की दवा :
फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए लोगों को डीईसी, एल्बेंडाजोल और आइवेरमेक्टिन की दवा स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही खानी है। लाभार्थी को कोई भी दवा भूखे पेट या भोजन करने के 2 घंटे होने के बाद नहीं खिलाया जा रहा है। यदि कोई व्यक्ति बहुत पहले नाश्ता/खाना खा चुके हैं तो उन्हें दुबारा कुछ नाश्ता या खाना खाने के बाद ही दवा खिलाया जा रहा है। सभी दवा लोगों को स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही खिलाया जा रहा है। सभी लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए तीनों दवाओं को खिलाने के दौरान 05-10 मिनट का अंतराल रखना है। दवा सेवन के बाद लाभार्थियों द्वारा ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करने की जानकारी दी जाती है। प्रतिकूल प्रभाव होने पर तत्काल नजदीकी अस्पताल को सूचित करते हुए चिकित्सकीय सहायता लेने की जानकारी दी जाती है।
जिले में प्रतिकूल प्रभाव नियंत्रण के लिए बनाया गया है 05 स्वास्थ्य अधिकारियों की रेपिड रेस्पॉन्स टीम :
डॉ आर पी मंडल ने बताया कि एमडीए कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए सभी प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मियों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया गया है। दवा लाभार्थियों को उम्र और लंबाई के अनुसार खिलाया जा रहा है। दवा सेवन के बाद प्रतिकूल प्रभाव पाए जाने पर संबंधित लोगों को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में 5 सदस्यीय रेपिड रेस्पॉन्स टीम बनाया गया है। उनके द्वारा प्रतिकूल प्रभाव से ग्रसित व्यक्ति को तत्काल चिकित्सकीय सहायता प्रदान किया जाएगा और लोग सुरक्षित रह सकेंगे।
ध्यान रखने योग्य जानकारी:
– खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है।
– दवा स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही दवा खाना आवश्यक है।
– अल्बेंडाजोल की गोली चबाकर खाना है।
– अपने घरों के आसपास गंदा पानी इकट्ठा नही होने देना चाहिए।
– सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए।