प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जिले के सभी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की हुई प्रसव पूर्व जांच 

 

शत प्रतिशत प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित करने से मातृ शिशु मृत्यु दर को किया जाएगा नियंत्रित : जिलाधिकारी

-गर्भधारण के तीसरे महीने से नोवें महीने तक चार प्रसव पूर्व जांच माँ और नवजात शिशु के बेहतर स्वास्थ के लिए आवश्यक : सिविल सर्जन

-आवश्यक जांच और संस्थागत प्रसव से मातृ मृत्यु दर किया जाएगा नियंत्रित : डीपीएम

 

कटिहार (ब्रजभूषण कुमार) :_गर्भवती महिलाओं और होने वाले बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जिले के सभी अस्पतालों में सोमवार को गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच किया गया। अभियान के तहत अस्पताल में उपलब्ध सभी गर्भवती महिलाओं की आवश्यक जांच करते हुए संबंधित महिलाओं को उपचार व्यवस्था उपलब्ध कराई गई। इस अभियान का उद्देश्य मातृ एवं नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करते हुए माँ और बच्चे को सुरक्षित रखना है। इसके तहत प्रसव पूर्व जांच के लिए अस्पताल में उपस्थित गर्भवती महिलाओं का चिकित्सकों द्वारा ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन, यूरिन टेस्ट, वजन, गर्भ में बच्चे की बढ़त आदि जांच करते हुए गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य और सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक दवाई उपलब्ध कराई जाती है जिसका उपस्थित लाभार्थियों द्वारा लाभ उठाया जाता है। जिलाधिकारी मनेश कुमार मीणा ने कहा कि सभी गर्भवती महिलाओं का शत प्रतिशत प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित करने के लिए जिला एवं प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिया गया है जिससे कि माँ और नवजात शिशु बिल्कुल सुरक्षित रह सकें और मातृ शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित रखा जा सके।

 

गर्भधारण के तीसरे महीने से नोवें महीने तक चार प्रसव पूर्व जांच माँ और नवजात शिशु के बेहतर स्वास्थ के लिए आवश्यक : सिविल सर्जन

 

सिविल सर्जन डॉ जितेन्द्र नाथ सिंह ने कहा कि गर्भावस्था या प्रसव के दौरान मां और शिशु की मृत्यु रोकने, उन्हें समय पर उचित इलाज मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर महीने के 09 और 21 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) चलाया जाता है। कोई भी गर्भवती महिला द्वारा नजदीकी सरकारी अस्पताल में अपना पंजीयन कराते हुए गर्भावस्था के दौरान तीसरे महीने से नोवें महीने तक 04 प्रसव पूर्व जांच करवाते हुए चिकित्सकीय सहायता का लाभ उठा सकती हैं। इसके लिए सभी अस्पतालों में सभी जरूरी जांच तथा दवाई बिल्कुल मुफ्त उपलब्ध कराई जाती है। पंजीयन के बाद गर्भवती महिला का प्रसव पूर्व जांच संबंधित कार्ड बन जाता है, जिसे लेकर संबंधित लाभार्थी किसी भी सरकारी अस्पताल या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जाकर जांच व डिलीवरी करा सकती है।गर्भावस्था के दौरान सभी गर्भवती महिलाओं को 04 प्रसव पूर्व जांच जरूर सुनिश्चित करवाना चाहिए ताकि माँ और होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य संबंधी सभी जानकारी चिकित्सकों द्वारा लाभार्थियों और उनके परिजनों को उपलब्ध हो सके। इससे प्रसव के बाद माँ और बच्चा दोनों स्वास्थ और तंदुरुस्त रह सकेंगे। सिविल सर्जन डॉ सिंह ने बताया कि प्रसव पूर्व जांच के दौरान हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की पहचान करते हुए उन्हें अतिरिक्त प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित किया जाता है। इससे प्रसव के दौरान गर्भवती महिला और होने वाला बच्चा बिल्कुल स्वास्थ रह सकता है।

 

आवश्यक जांच और संस्थागत प्रसव से मातृ मृत्यु दर किया जाएगा नियंत्रित : डीपीएम

 

प्रभारी डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान 4 प्रसव पूर्व जांच प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में कमी लाता है। सम्पूर्ण प्रसव पूर्व जांच के अभाव में उच्च जोख़िम गर्भधारण की पहचान नहीं हो पाती। इससे प्रसव के दौरान जटिलता की संभावना बढ़ जाती है। गर्भावस्था में मधुमेह का होना, एचआईवी पॉजिटिव होना(एडस पीड़ित), कम उम्र में गर्भधारण करना, अत्यधिक वजन का कम या अधिक होना, पूर्व में सिजेरियन प्रसव का होना, अन्य जटिल रोग से पीड़ित होना, उच्च रक्तचाप की शिकायत होना इत्यादि उच्च जोखिम गर्भधारण के कारण होते हैं। प्रसव पूर्व जांच करवाते हुए चिकित्सकों से मेडिकल सहायता और परामर्श लेते हुए संस्थागत प्रसव कराने से प्रसव के दौरान मां और शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित रखा जा सकता है और माँ और बच्चे बिल्कुल स्वास्थ्य और सुरक्षित रह सकते हैं।

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