परिसीमन सुधार के संकल्प को हम पूरा करके ही दम लेंगेः_माधव आनन्द

रालोमो जिलाध्यक्ष लक्ष्मी पासवान की अध्यक्षता में सर्किट हाउस में हुई प्रेस कांफ्रेंस

दरभंगा:_राष्ट्रीय लोक मोर्चा के जिलाध्यक्ष लक्ष्मी पासवान की अध्यक्षता में सर्किट हाउस में प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया।संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव माधव आनन्द ने कहा कि भारत में 2026 में परिसीमन होना है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 82 देश में हर जनगणना के बाद परिसीमन आयोग का गठन कर लोकसभा सीटों का फिर से निर्धारण करने का अधिकार देता है। वहीं, अनुच्छेद 170 राज्यों में विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा और संख्या तय करने का अधिकार देता है। अभी तक देश में 1951, 1961, 1971 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन कर लोकसभा की सीटों को निर्धारित किया गया है।

परिसीमन का उद्देश्य राज्यों के लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या आबादी के अनुसार निर्धारण करना है। देश में परिसीमन 1973 तक आबादी के अनुसार तय होता रहा, किन्तु 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी जी ने परिसीमन को 25 वर्षों के लिए फ्रीज कर दिया।

गौरतलब है कि 1951, 1961 और 1971 में किए गए परिसीमन के अनुसार सीटों की संख्या को क्रमशः 494, 522 और 543 किया गया। तब हर सीट पर औसतन आबादी क्रमशः 7.3 लाख, 8.4 लाख और 10.1 लाख थी। परिसीमन का उद्देष्य ही था पूरे भारतवर्ष में एक समान आबादी के आधार पर सीटों का निर्धारण करना, लेकिन मौजूदा समय में यह उद्देश्य पूरी तरह से खारिज हो चुका है। इस व्यवस्था की वजह से बिहार सहित उत्तर भारत के लगभग सभी राज्यों को लोकसभा सीटों के मामले में बहुत नुकसान हो रहा है। आज दक्षिण भारत में लगभग 21 लाख आबादी पर एक लोकसभा सीट है वहीं, उत्तर भारत में लगभग 31 लाख की आबादी पर एक लोकसभा सीट है। यह व्यवस्था बिहार सहित तमाम उत्तर भारतीय राज्यों का देश की संसद में हमारे प्रतिनिधित्व को कम करता है या कह सकते हैं कि संविधान की मूल भावना 1 व्यक्ति 1 वोट 1 मूल्य के साथ छलावा है। मौजूदा आबादी के आधार पर परिसीमन नहीं होने के कारण हम पिछले 50 वर्षों से अपने इस अधिकार से वंचित हैं।

यह हमारे राजनैतिक अधिकारों के साथ धोखा तो है ही, साथ में क्षेत्र के विकास कार्यों को भी प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए अभी हर सांसद को सलाना 5 करोड़ रुपए की सांसद निधि

मिलती है। दक्षिण भारत में यही फंड 1 संसद सदस्य को 21 लाख आबादी के लिए मिल रहा है, वहीं उत्तर भारत के संसद सदस्य को लगभग 31 लाख लोगों पर वही फंड मिलता है। बिहार में लोकसभा की सीटों की संख्या 40 से बढ़कर लगभग 60 सीटें होनी चाहिए। लेकिन जब कभी भी इस देश में आबादी के आधार पर परिसीमन की बात होती है तब दक्षिण के राज्य इसका खुलकर विरोध करते हैं

उन्होंने कहा कि हमें “संवैधानिक अधिकार, परिसीमन सुधार” की लड़ाई के लिए तैयार होना होगा। हमारे साथ जो छल किया गया उसका खामियाजा बिहार को भुगतना पड़ रहा है। अगर यह काम कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार नहीं करती तो अब बिहार को कम से कम और 20 सांसदों का लाभमिलता। अब चूंकि 2026 में परिसीमन किया जाना है और आबादी के आधार पर सीटों का निर्धारण किया जा सकता है। निश्चित ही हमें इस दिशा में ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है ताकि हम बिहार के लिए सम्मानजनक हिस्सेदारी हासिल कर सकें।इस दिशा में राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा जी का ध्येय एकदम स्पष्ट है कि वह बिहार समेत उत्तर भारत के राज्यों के साथ इस बार धोखा नहीं होने देंगे। हमारी पार्टी इस लड़ाई को बिहार के घर घर तक ले जाएगी ताकि बिहार समेत उत्तर भारत की जनता अपने राजनैतिक अधिकार को हासिल कर सके। परिसीमन नहीं होने से अनुसूचित जाति, जनजाति व 33 फीसदी प्रस्तावित महिला आरक्षण के साथ भी धोखा होगा।राष्ट्रीय प्रधान महासचिव ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कुशवाहा ने पार्टी के 3 दिवसीय राजनैतिक मंथन शिविर में इसे जनआंदोलन के रूप में खड़ा करने का निर्णय लिया।राष्ट्रीय लोक मोर्चा बिहार की जनता से अपील करता है कि इस लड़ाई में हमारी पार्टी और हमारे नेता उपेंद्र कुशवाहा के हाथों को मजबूत करें ताकि बिहार समेत उत्तर भारत के लोगों को उचित राजनैतिक प्रतिनिधित्व मिल सके।

इसी सिलसिले में अगामी 25 मई को रोहतास जिले के विक्रमगंज और 08 जून को मुजफ्फरपुर में राष्ट्रीय लोक मोर्चा की ओर से “संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार महारैली का आयोजन किया गया है।प्रेस वार्ता के इस मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष सह जिला प्रभारी अनंत कुशवाहा,प्रदेश महासचिव रामशंकर हरि उर्फ डॉ सौरभ, जिला महासचिव परवेज आलम,राजा पासवान, मिठ्ठू कुमार ठाकुर, आशीष साह समेत अन्य नेता भी उपस्थित थे।

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