बेतिया (ब्राजभूषण कुमार): अखिल भारतीय गन्ना किसान महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव नंदकिशोर शुक्ला तथा बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के महासचिव प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि बिहार के गन्ना किसानों के साथ बिहार सरकार की रवैया निश्चित रूप से ही निराशाजनक है ।आज गन्ना किसान घाटे की खेती कर रहे हैं। पिछले एक दशक से किसानों को राज्य सरकार द्वारा राज्य समर्थित मूल्य नहीं दिया गया और काफी उम्मीदें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बिहार के गन्ना किसानों को थी कि राज्य सरकार द्वारा समर्थित मूल्य सम्मानजनक होगा और गन्ना किसानों को लाभ पहुंचाएगा ।
लेकिन 23 दिसंबर को बिहार के गन्ना उत्पादन का हब पश्चिम चंपारण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा गन्ना के दाम में 20 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ोतरी की घोषणा बिहार के किसानों में आक्रोश पैदा किया है।
नेता द्वय ने कहा कि बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है और कृषि आधारित उद्योग के रूप में बिहार में 29 चीनी मील थे।लेकिन आज मात्र 10 चीनी मीलें चल रही हैं।19 चीनी मील बंद पड़ी हुई हैं। उसमें से 15 चीनी मील बिहार राज्य गन्ना विकास निगम के अधीन है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बंद पड़े सभी चीनी मिलों को चालू करके बिहार के विकास को आगे बढ़ाना चाहिए। क्योंकि चीनी मिलों के चालू हो जाने से बिहार में बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा ।बिहार के किसानों को गन्ना जैसे नगदी फसल का लाभ मिलेगा और गन्ना से चीनी निकालने के बाद इसके बायो प्रोडक्ट के रूप में बिजली ,खाद ,इथनॉल जैसे कीमती सामानों का उत्पादन बढ़ेगा।जिसके मुनाफे का आधा हिस्सा किसानों को भी दिया जाय।
नेता द्वय ने मांग किया कि पंजाब की सरकार 401 रुपए प्रति क्विंटल गन्ना का दाम दे रही है। तो बिहार सरकार बिहार के पलायन तथा किसानों के घाटे को रोकने के लिए बिहार के किसानों को 401 रुपए क्यों नहीं दे रही है।
नेता द्वय ने कहा कि अखिल भारतीय गन्ना उत्पादक किसान महासंघ तथा बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ लगातार आंदोलन कर रही है कि गन्ना का दाम 550 रुपए प्रति क्विंटल किया जाए। चीनी मिलों द्वारा की जा रही घटतौली पर रोक लगाई जाए।गन्ना तौल के लिए पर्ची सभी कटेगरी के गन्ना के लिए सामान्य रूप से निर्गत किया जाय।