




दरभंगा:_वर्तमान समय में उद्योग एक नयी क्रांति से गुजर रहा है इसे 4.0 कहा जाता है। इसमें 3डी प्रिंटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक और वस्तुओं के बीच के इंटरनेट (आईओटी) का सामंजस्य है। मीटवाई (MeitY) की राष्ट्रीय क्षमता निर्माण पहल के तहत दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज में 3डी प्रिंटिंग एवं एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी पर फिनिशिंग स्कूल कार्यक्रम के प्रथम प्रशिक्षण सत्र का भव्य उद्घाटन प्रख्यात चिकित्सक डॉक्टर ओम प्रकाश एवं महिंद्रा के स्थानीय इकाई के सीईओ एवं एम डी श्री मिथिलेश महासेठ ने दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ संदीप तिवारी, परियोजना के प्रधान अन्वेषक कोलकाता से आए डॉक्टर असित कुमार सिंह एवं संचालक प्रोफेसर प्रफुल्ल चंद्र के साथ इंजीनियरिंग कॉलेज के सेमिनार रूप में संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। प्राचार्य डॉक्टर तिवारी ने बताया की दरभंगा कॉलेज आफ इंजीनियरिंग को बिहार के प्रमुख नोडल केंद्रो में एक के रूप में चयनित किया गया है। यहां आने वाले 5 वर्षों में 2000 छात्रों को पूर्ण कालिक प्रशिक्षण एवं 500 छात्रों को बूट कैंप के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। यह कार्यक्रम इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित तथा सी डेक कोलकाता द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है, जो पश्चिम बंगाल और बिहार के इंजीनियरिंग छात्रों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कौशल विकास पहल का हिस्सा है।
इस अवसर पर डॉक्टर ओम प्रकाश ने अपने जीवन की कठिनाइयां एवं संघर्षों की प्रेरणादायक कहानी साझा करते हुए छात्रों से आत्मविश्वास और निरंतर प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने संचार कौशल और सॉफ्टवेयर ज्ञान के साथ स्किल डेवलपमेंट एवं टीम भावना पर जोर दिया। श्री मिथिलेश महासेठ ने कहा कि उन्होंने शुन्य से शुरू कर 1000 से अधिक लोगों के रोजगार के लिए कार्य किया है। उन्होंने छात्रों को कौशल अर्जन की सलाह दी और उन्होंने कहा अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों को उनकी कंपनी में इंटर्नशिप के अवसर प्रदान किए जाएंगे। प्राचार्य डॉक्टर तिवारी एवं श्री महासेठ के बीच सहमति बनी कि वह भविष्य में एक एम ओ यू पर हस्ताक्षर करेंगे इसके तहत इंजीनियरिंग कॉलेज उनकी कंपनी के लिए इंजीनियर तैयार करने के लिए तत्पर रहेगा और उन्हें महासेठ अपनी कंपनी में रोजगार देगें। यह दोनों के लिए जीत की स्थिति होगी।

परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉक्टर असित कुमार सिंह ने 3 डी प्रिंटिंग और एचडी मैन्युफैक्चरिंग जैसे उन्नत तकनीक की भविष्य में बढ़ती उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया कि सी-डीएसी (सी डैक) इस केंद्र और छात्रों को हर स्तर पर पूर्ण सहयोग प्रदान करेगा। ज्ञातव्य हो सीडैक भारत में सुपर कंप्यूटर के प्रथम निर्माण के लिए जाना जाता है। यह नव अन्वेषण का भारत का अग्रणी केंद्र है।

केंद्र संचालक प्रोफेसर प्रफुल्ल चंद्र ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की संरचना समय सारणी मूल्यांकन प्रक्रिया एवं अनुशासनात्मक दिशा निर्देशों के बारे में जानकारी दी।
समारोह के उपरांत डॉ ओम प्रकाश ने रिबन काटकर प्रयोगशाला का उद्घाटन किया। सभी अतिथियों एवं छात्रों ने नव स्थापित 3 डी प्रिंटिंग एवं एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग प्रयोगशाला का भ्रमण किया जहां लाइव डेमो एवं तकनीकी प्रदर्शन के माध्यम से छात्रों को वास्तविक अनुभव प्रदान किया गया।
संस्थान के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह विश्वास व्यक्त किया गया है कि यह कार्यक्रम उन्नत डिजिटल डिजाइन, प्रोटोटाइप निर्माण एवं मैन्युफैक्चरिंग स्कील के विकास में योगदान एवं उद्योग अनुरूप प्रशिक्षण एवं रोजगारोंन्मुखी शिक्षा प्रदान करेगा। साथ ही बिहार और मिथिला के क्षेत्र में तकनीकी नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देगा।

