तत्कालीन गौनाहा बाल विकास परियोजना पदाधिकारी की बर्खास्तगी बरकरार

 

संयुक्त सचिव पत्र से हुआ खुलासा, 

 

बेतिया, पश्चिमी चंपारण (ब्रजभूषण कुमार) : कुसुम कुमारी, तत्कालीन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, गौनाहा, पश्चिम चम्पारण (सम्प्रति सेवा से बर्खास्त) के विरूद्ध बाल विकास परियोजना कार्यालय, गौनाहा में छापेमारी के दौरान आलमीरा से आँगनबाडी केन्द्रों से अवैध रूप से वसूली गयी राशि 43,750/- रूपये के साथ वसूली गयी राशि की सूची बरामद होने पर श्रीमती कुमारी को विभागीय अधिसूचना सं0-1985 दिनांक-03.07. 2009 द्वारा निलंबित करते हुए उनके विरूद्ध आरोप पत्र प्रपत्र ‘क’ गठित कर विभागीय संकल्प सं०-2003 दिनांक 06.07.2009 एवं संकल्प सं0-324 दिनांक 20.01.2012 द्वारा द्वारा विभागीय कार्यवाही संचालित की गयी। संचालन पदाधिकारी के पत्रांक-3801 दिनांक-22.08.2014 से प्राप्त जाँच प्रतिवेदन में श्रीमती कुमारी के विरूद्ध लगाये गये आरोपों को प्रमाणित बताये जाने पर प्रमाणित आरोपों के लिए आरोपी पदाधिकारी से विभागीय पत्रांक-4117,दिनांक-05.09.2014 द्वारा द्वितीय कारण पृच्छा की माँग करते हुए प्राप्त द्वितीय कारण पृच्छा के समीक्षोपरांत अनुशासनिक प्राधिकार द्वारा श्रीमती कुमारी को सेवा से बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया।उक्त निर्णित शास्ति प्रस्ताव पर विभागीय पत्रांक-5516 दिनांक-17.11.2017 द्वारा बिहार लोक सेवा आयोग, पटना से परामर्श की मांग किये जाने पर आयोग के पत्रांक-2650 दिनांक-01.02.2018 द्वारा सहमति व्यक्त की गयी।

बिहार लोक सेवा आयोग, पटना से परामर्श प्राप्त होने के उपरांत निर्णित शास्ति का संलेख ज्ञापांक-1560 दिनांक 14.03.2018 के द्वारा मंत्रिपरिषद को भेजी गई। दिनांक-20.03.2018 को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक के मद सं०-22 पर स्वीकृति प्राप्त होने के उपरान्त विभागीय अधिसूचना सं०-1851,दिनांक-26.03.2018 द्वारा बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली-2005 के नियम-14(xi) के तहत श्रीमती कुमारी को “सेवा से बर्खास्त करने की शास्ति अधिरोपित एवं संसूचित की गई। उक्त दण्डादेश के विरूद्ध श्रीमती कुमारी द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, पटना में CWJC No-8257/2018 दायर किया गया। उक्त वाद में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 30.04. 2024 को पारित न्यायादेश का कार्यकारी अंश निम्नवत है:-“पक्षों द्वारा दिए गए निवेदन के आलोक में, इस न्यायालय का विचार है कि याचिकाकर्ता को सीसीए नियम, 2005 के नियम 24(2) के तहत अपील करनी चाहिए।

इस प्रकार, सीसीए नियम, 2005 के नियम 24(2) में उल्लिखित अपीलकर्ता प्राधिकारी को निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता द्वारा दो सप्ताह की अवधि के भीतर इस आदेश की एक प्रति के साथ स्मारक/समीक्षा प्रस्तुत करने पर, वह 90 दिनों के भीतर स्मारक/समीक्षा में किए गए सभी बिंदुओं पर विचार करने के बाद एक तर्कसंगत और स्पष्ट आदेश पारित करेगा। चूंकि सामान्य चूंकि वर्ष 2024 में लोकसभा का चुनाव हो रहा है, इसलिए 90 दिनों की अवधि चुनाव की अंतिम तिथि से गिनी जाएगी। हालांकि, याचिकाकर्ता को इस न्यायालय के समक्ष इसे चुनौती देने की स्वतंत्रता होगी।

और जब अवसर आएगा। उपर्युक्त टिप्पणियों और निर्देशों के साथ, रिट याचिका का निपटारा किया जाता है माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित उक्त न्यायादेश के आलोक में श्रीमती कुमारी द्वारा अपने पत्रांक-शून्य दिनांक-10.05.2024 के माध्यम से पुनर्विलोकन आवेदन विभाग को समर्पित किया गया, जिसमें मुख्य रूप से इन्दु कुमारी, शिकायकर्ता-सह-प्रखण्ड विकास पदाधिकारी को बिना किसी शिकायत अथवा सक्षम प्राधिकार के अनुमति के उनके कार्यालय का निरीक्षण करने का क्षेत्राधिकार नहीं होने, उनके गौनाहा के अतिरिक्त प्रभार में होने तथा उनके मामले में दर्ज FIR में इन्दु देवी द्वारा जिस लिस्ट का जिक्र किया गया है वह लिस्ट गौनाहा थाना काण्ड सं0-23/09 के सिजर लिस्ट में अंकित नहीं होने आदि का सज्ञान शास्ति अधिरोपित करते समय नहीं लिये जाने की बात कही गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि जो राशि प्रखण्ड विकास पदाधिकारी द्वारा उनके कार्यालय से बरामद की गई वह राशि ऑफिस फंड की राशि थी जो कार्यालय में रखी गई थी तथा विभागीय कार्यवाही के दौरान जब कथित लिस्ट की सेविकाओं से पूछ-ताछ की गई तो उसमें से किसी ने भी उनके विरूद्ध गवाही नहीं दी है, का भी संज्ञान नहीं लिया गया है।श्रीमती कुमारी से प्राप्त पुनर्विलोकन आवेदन की समीक्षा सक्षम प्राधिकार द्वारा की गई। समीक्षोपरांत पाया गया कि श्रीमती कुमारी द्वारा अपने पुनर्विलोकन आवेदन में लगभग उन्हीं तथ्यों का उल्लेख करते हुए शास्ति पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया है जिन तथ्यों को उन्होंने विभागीय कार्यवाही में संचालन पदाधिकारी के समक्ष एवं अपने द्वितीय कारण पृच्छा में उठाया गया था। संचालन पदाधिकारी द्वारा इन सभी तथ्यों पर विचारोपरांत ही अपने मंतव्य में आरोपों को प्रमाणित माना गया है तथा अनुशासनिक प्राधिकार द्वारा इनके द्वितीय कारण पृच्छा के तथ्यों की समीक्षा के उपरांत उसमें कोई नया तथ्य नहीं पाते हुए शास्ति अधिरोपित करने का निर्णय लिया गया है। श्रीमती कुमारी से प्राप्त पुनर्विलोकन आवेदन पर कंडिका-7 में की गई समीक्षा तथा श्रीमती कुमारी के द्वारा अपने पुनर्विचार आवेदन में उठाये गये तथ्यों पर पूर्व में ही संचालन पदाधिकारी एवं अनुशासनिक प्राधिकार द्वारा विचारण किये जाने के दृष्टिगत पुनर्विचार आवेदन में कोई नया तथ्य प्रस्तुत नहीं होने से इनके पुनर्विलोकन आवेदन को अस्वीकृत करने का निर्णय लिया गया है।उक्त विनिश्चित निर्णय पर मंत्रिपरिषद की स्वीकृति हेतु ज्ञापांक-4018 दिनांक 23.08.2024 द्वारा संलेख प्रस्ताव मंत्रिपरिषद के विचारार्थ भेजे जाने पर दिनाक 10.09.2024 को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक के मद संख्या 15 पर श्रीमती कुमारी से प्राप्त पुनर्विलोकन अर्जी को अस्वीकृत करने” की स्वीकृति प्रदान की गई है।उक्त परिप्रेक्ष्य में श्रीमती कुसुम कुमारी, तत्कालीन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, गौनाहा, पश्चिम चम्पारण (सम्प्रति सेवा से बर्खास्त) से प्राप्त पुनर्विलोकन आवेदन को अस्वीकृत किया जाता है।

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