छात्रों को चाहिए बहुविषयक जानकारी :_वीसी

पदाधिकारियों की बैठक में दिया संदेश

कहा – परीक्षा व रिजल्ट समय पर हो

 

दरभंगा (नंदू ठाकुर):_कार्यालयीय कक्ष में शनिवार को पदाधिकारियों की औपचारिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 लक्ष्मी निवास पांडेय ने कहा कि नई शिक्षा नीति के आने से शैक्षणिक व्यवस्था में व्यापक बदलाव हुआ है। इसलिए बदलते परिवेश में अब छात्रों को बहुविषयक जानकारी हमलोगों को देनी होगी। इसके लिए कुलपति ने कुछ सुझाव भी दिए और कहा कि विभागों समेत कालेजों में पढ़ाई हर हाल में गुणवत्तापूर्ण होनी चाहिए।

उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि कुलपति ने साफ कहा कि छात्रों की संख्या बढ़ाने का प्रयास तो जारी रखनी ही है लेकिन फिलहाल जो बच्चे नामांकित हुए हैं उसे संस्कृत के अलावा अंग्रेजी का भी ज्ञान देना बेहद जरुरी है। इससे संस्कृत की पकड़ और मजबूत होगी तथा इसकी व्यापकता में भी इजाफा होगा। कुलपति ने कहा कि इसके साथ साथ बच्चों को कम्प्यूटर शिक्षा भी देनी है। ताकि डिजिटाइजेशन के जमाने मे वे अन्य छात्रों से पिछड़े नहीं। इसके साथ साथ ही शास्त्रों व मूल विषयों की पढ़ाई होगी। उन्होंने खुलासा किया कि पढ़ाने का माध्यम हरहाल में संस्कृत ही रहेगी। संस्कृत सम्भाषण को जरूरी बताते हुए कुलपति ने आगे कहा कि जहां कहीं शिक्षकों की कमी है , उसे दूर किया जाएगा। कर्मियों की बकाये राशि का भी नियमानुकूल जल्द भुगतान होगा। इस ओर प्रयास जारी है।

इसी क्रम में उन्होंने कहा कि परीक्षा से लेकर रिजल्ट तक सभी समय पर सम्पन्न किया जाना है। इसके लिए उन्होंने परीक्षा विभाग को कई निर्देश भी दिए। हाल ही में सम्पन्न सीनेट की बैठक में लिए गए निर्णयों पर राजभवन की मुहर लगने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कुलपति ने सभी पदाधिकारियों व कर्मियों को धन्यवाद दिया और कहा कि इसी तरह हमलोगों को समन्वय बैठकर आगे भी कार्य करने की जरुरत है।

बैठक में बजट पदाधिकारी डॉ पवन कुमार झा, डीएसडब्ल्यू डॉ शिवलोचन झा, सीसीडीसी डॉ दिनेश झा, डीआर डॉ दीनानाथ साह, पेंशन पदाधिकारी डॉ दिनेश्वर यादव, भूसंपदा पदाधिकारी डॉ उमेश झा,एनएसएस पदाधिकारी डॉ सुधीर कुमार झा, प्रॉक्टर डॉ पुरेन्द्र वारीक, सूचना वैज्ञानिक डॉ नरोत्तम मिश्र, विधि पदाधिकारी डॉ कृष्णानन्द झा, विशेष पदाधिकारी डॉ तेजनारायण झा, वित्त पदाधिकारी डॉ जयकिशोर चौधरी मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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