मशरूम स्वादिष्ट, पौष्टिक एवं संतुलित भोज्य पदार्थ, जिसे हम अपने भोजन में अवश्य करें शामिल- डॉ सविता वर्मा,
पूरे वर्ष भर उत्पादन होने वाले मशरूमों एवं उनके प्रसंस्करण के क्षेत्र में रोजी- रोजगार की असीम संभावनाएं- डॉ चौरसिया,
मशरूम का अधिक उत्पादन कर स्वयं आत्मनिर्भरता प्राप्त कर समाज को बनाएं स्वस्थ एवं समृद्ध- ललित झा,
दरभंगा (ब्यूरो रिपोर्ट): ज़िला के बहादुरपुर स्थित ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आर- सेटी) के तत्वावधान में स्थानीय बेलादुल्ला में 10 दिवसीय निःशुल्क मशरूम प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा की वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्षा डॉ सविता वर्मा ने कहा कि मशरूम एक स्वादिष्ट, पौष्टिक एवं संतुलित भोज्य पदार्थ है, जिसे हमें अपने भोजन में अवश्य शामिल करना चाहिए। मशरूम को सप्ताह में कम से कम दो बार खाने से अनेक तरह के रोगों से हमारी रक्षा होती है। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण औषधीय उत्पाद है। इसके कई प्रकार हैं, जिसे विभिन्न क्षेत्रों में कई अलग- अलग नामों से जाना जाता है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उद्यमिता के मास्टर ट्रेनर एवं सेवा संस्कृति, जोगियारा, दरभंगा के सचिव ललित कुमार झा ने कहा कि मशरूम का अधिकाधिक उत्पादन कर लोग स्वयं आत्मनिर्भरता प्राप्त कर समाज को भी स्वस्थ एवं समृद्ध बना सकते हैं। उन्होंने उद्यमिता एवं नगदी फसलों को प्रारंभ करने के विभिन्न तौर-तरीकों की विस्तार से जानकारी देते हुए, इनमें राज्य एवं केन्द्र सरकार की आर्थिक सहित अन्य सहायताओं की जानकारी दी।
मुख्य वक्ता के रूप में मशरूम प्रशिक्षण की मास्टर ट्रेनर प्रतिभा झा ने कहा कि इसे बिना खेत के, अल्प पूंजी में कम पढ़े- लिखे कोई भी युवा, महिला या पुरुष इसे आसानी से प्रारंभ कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने बताया कि मशरूम खून की कमी, ब्लड प्रेशर, जोड़ों के दर्द, डायबिटीज, कंस्टिपेशन तथा कैंसर आदि को दूर करता है। विशिष्ट वक्ता के रूप में प्लस टू माध्यमिक विद्यालय, कोयलास्थान, दरभंगा की विज्ञान- शिक्षिका डॉ अंजू कुमारी ने मशरूम में पाए जाने वाले विभिन्न तत्वों की जानकारी देते हुए उनसे अनेकानेक रोगों के निदान की विस्तृत जानकारी दी। सम्मानित अतिथि के रूप में समस्तीपुर के मशरूम प्रशिक्षक कुंदन कुमार झा ने ‘मशरूम उगाएं- गरीबी भगाएं तथा ‘मशरूम खाएं- रोग मिटाएं’ का नारा देते हुए कहा कि यह रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि मशरूम के उत्पादन एवं मशरुम जनित पदार्थों को बाजार में बेचकर लोग बेहतर आय प्राप्त कर सकते हैं।
अध्यक्षीय संबोधन में शिविर के संयोजक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि भारत में मुख्य रूप से 5- 6 प्रकार के मशरूमों का उत्पादन पूरे वर्ष भर किया जाता है। विभिन्न मशरूमों के उत्पादन एवं उसके प्रसंस्करण के क्षेत्र में रोजी- रोजगार की असीम संभावनाएं हैं, क्योंकि मशरूम उत्पादन एवं उसके उत्पादों की बिक्री का विस्तृत क्षेत्र उपलब्ध है। मशरूम के विभिन्न औषधीय गुणों के कारण लोगों इसकी ओर अधिक ध्यान देने लगे हैं।
उद्घाटन शिविर में रीना कुमारी, अपराजिता, विनीता मिश्रा, अमित वत्स, अनिल कुमार चौपाल, शशिकांत सदा, मुकेश झा, मदन कुमार चौधरी, मोहम्मद चांद, प्रकाश झा, मो नदीम सिद्दीकी, सनोवर नसीम, कंचन झा, राजीव कुमार यादव, प्रभात कुमार, प्रणव नारायण, रामाशीष कुमार साहनी आदि ने सक्रिय रूप से भाग लिया। अतिथियों का स्वागत प्रशांत कुमार झा ने किया, जबकि संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन कुंदन कुमार झा ने किया।