कृत्रिम बुद्धिमत्ता 21वीं सदी में शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान व तकनीक में विशेष कारगर- प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ संतोष कुमार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वर्तमान युग का सबसे बड़ा आविष्कार, जिसके जोखिमों एवं नुकसानों से बचाना बेहद जरूरी- डॉ चौरसिया
दरभंगा (नंदू ठाकुर) :_आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वर्तमान युग का सबसे बड़ा अविष्कार है, जिसके जोखिमों एवं नुकसानों से हमें बचाना बेहद जरूरी है। आज यह काफी सुर्खियों में है, जिससे हमें काफी लाभ हो रहा है और यह हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गया है, पर इसमें निर्णय लेने में भावात्मकता एवं रचनात्मक का अभाव होता है। इसका विवेकपूर्ण एवं संवेदनात्मक प्रयोग मानव के लिए वरदान सिद्ध होगा, अन्यथा अभिशाप। इसको जिम्मेदार ढंग से पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिकता के आधार पर अपनाये जाने की जरूरत है। उक्त बातें जीएमआरडी कॉलेज, मोहनपुर, समस्तीपुर की एनएसएस इकाई द्वारा प्रधानाचार्य डॉ संतोष कुमार की अध्यक्षता में आयोजित “कृत्रिम बुद्धिमत्ता : वरदान या अभिशाप” विषय पर आयोजित ऑनलाइन एवं ऑफलाइन संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया ने कही। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया की परिवर्तनकारी यात्रा में एआई की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, जिससे हम कार्यों को अधिक कुशलता एवं सटीकता से पूरा कर सकते हैं। हम आधिकारिक तौर पर एआई युग में प्रवेश कर चुके हैं। भारत एआई कौशल प्रवेश मामले में दुनिया में अग्रणी स्थान पर है। लोगों के कल्याण के लिए एआई का लाभ उठाने की भारत की प्रतिबद्धता है। लोग अपने जीवन को आसान बनाने के लिए हर दिन एआई का प्रयोग करते हैं, जिससे उत्पादकता एवं कार्यकुशलता में तेजी से सुधार आ रहा है। इस परिवर्तन के शक्तिशाली साधन के रूप में देखा जा रहा है। संगोष्ठी का आयोजन प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ संतोष कुमार, संयोजक डॉ लक्ष्मण यादव एवं सभी शिक्षकों के दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया अध्यक्षीय सम्बोधन में डॉ कुमार ने कहा- कृत्रिम बुद्धिमता 21वीं सदी में शिक्षण, परीक्षण, अनुसन्धान व तकनीक में विशेष कारगर सिद्ध हो रहा है। मानव जीवन को बेहतर बनाने हेतु एआई काफी प्रभावशाली है। रिसोर्स पर्सन के रूप में डॉ इरोस वाजा, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, गुजरात, डॉ विनय कुमार, राजधानी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ बेबी, रामानुजन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ संगीता डोंगरे, डॉ बी.आर.अम्बेडकर विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र व डॉ संजय कुमार, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया ने कहा वर्त्तमान समय में कृत्रिम बुद्धिमता ऐसी मशीन है जो मानव की तरह सोचता है और शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा, विज्ञान व तकनीक, शोध, अनुसन्धान इत्यादि क्षेत्रों में इसकी भूमिका अहम है। साथ ही ये डाटा को ऐसे तरीके से प्रोसेस करती है जो इंसान से पूर्णतः अलग है। ये मशीन लर्निंग, साइबर सुरक्षा, कस्टमर रिलेशन मैनेजमेंट, इंटरनेट सर्च आदि के अनुप्रयोग में सहायक है। इनके नकारात्मक पहलुओं में डाटा की चोरी, बेरोजगारी की समस्या, ऑडियो- वीडियो माध्यम से ध्वनि की नकल कर धोखाघड़ी इत्यादि को बढ़ावा देना है। कॉलेज के शिक्षक- डॉ दीन प्रसाद व डॉ अभय कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। एनएसएस वालंटियर्स राजू कुमार, काजल कुमारी, ख़ुशी कुमारी, मुस्कान कुमारी, सुहानी कुमारी व रणधीर कुमार ने भी इसके वरदान व अभिशाप पर प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन डॉ सूर्य प्रताप ने किया। इस मौके पर विभिन्न कॉलेजों के शिक्षक व कार्यक्रम पदाधिकारी, स्वयंसेवकों व डॉ सुनील कुमार पासवान, डॉ सुनील कुमार पंडित, डॉ चंदन कुमार सिन्हा, डॉ डॉ शैलेश कुमार सुमन, डॉ महेश्वर प्रसाद चौधरी, डॉ मुमताज़ जहाँ, राघवेंद्र, चन्दन, संजय, ब्रिजेश इत्यादि शिक्षकेतर कर्मचारी के साथ सैकड़ों छात्र- छात्राएं उपस्थित रहें।