कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर इकाई राष्ट्रीय सेवा योजना के द्वारा भारतीय नव संवत्सर का किया गया आयोजन 

 

दरभंगा (ब्यूरो रिपोर्ट) :  कामेश्वर सिंह दरभंगासंस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर इकाई राष्ट्रीय सेवा योजना के द्वारा भारतीय नव संवत्सर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्नातकोत्तर पभारी प्रोफेसर सुरेश्वर झा द्वारा की गई। कार्यक्रम का प्रारम्भ स्नातकोत्तर वेद विभाग के छात्र जयंत झा ने मंगलाचरण द्वारा किया। वेद विभाग अध्यक्ष डॉ विनय कुमार मिश्रा ने सभी कास्वागत करते हुए संवत्सर का वैदिक महत्त्व बताया। धर्मशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार झा ने विषय प्रवर्तन के दौरान विक्रम- संवत्सर का वैशिष्ट्य बताते हुए कहा कि इसी दिन से ब्रह्मा ने सृष्टि की। राम का राज्याभिषेक , आर्य-समाज की स्थापना आज हुई, इत्यादि। विशेष व्याख्यान में ज्योतिष विभाग के सहायक आचार्य डा. वरुण कुमार झा ने विविध काल गणना बताई, वार क्रम समझाया, मास का नाम पूर्णिमा पर पड़ने वाले नक्षत्र पर पड़ता है, फिर संवत्सर को समझाए।

उत्तर भारत और दक्षिण भारत के अनुसार पड़ने वाले मास में भेद को बताया। चैत्र मास के वैशिष्ट्य को बताते हुए इस संवत्सर के इतिहास को  उन्होंने कहा कि प्रायः सुनने पर लगता है कि ये नाम राजा विक्रमादित्य के नाम पर पड़ा होगा किंतु राजा विक्रमादित्य छठी शताब्दी के थे। एवं ये विक्रम संवत् पूर्व का है। चंद्रगुप्त मौर्य तृतीय का भी नाम विक्रम था। उनके नाम पर है। इसके लिए डा. वरुण कुमार झा ने कई उद्धरण दिए।

अंत में उन्होंने कहा कि ज्योतिष शक. संवत अर्थात् सौर वर्ष को मानता है, उसे मानना उपयुक्त है। कुलसचिव डा. दीनानाथ साह ने कहा कि इस प्रकार आयोजन हर वर्ष होना चाहिए। उन्होंने स्वरचित कविता भी सुनाई। राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक ने कहा कि संस्कृति का संरक्षण से समाज की भी रक्षा होती है। मैं स्नातकोत्तर इकाई के साथ सदैव हूं। स्नातकोत्तर प्रभारी एवं आज के प्रभारी कुलपति प्रो. सुरेश्वर झा द्वारा अपने उद्बोधन में कहा कि हमे अपनी सरणी को अपनाना चाहिए। इतनी सरल है हमारी गणना, जिसमें सभी माह 30 दिन के ही हैं। उसको हमें पालन करना चाहिए। धन्यवाद ज्ञापन दर्शन विभाग के सहायक आचार्य डा. धीरज कुमार पांडेय द्वारा किया गया।

कार्यक्रम का संचालन स्नातकोत्तर व्याकरण विभाग की सहायक आचार्या डा. साधना शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में स्नातकोत्तर व्याकरण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दयानाथ झा , कुलानुशासक प्रो. पुरेंद्र बारीक , दर्शन विभागाध्यक्ष डा. शम्भू शरण तिवारी, भू सम्पदा पदाधिकारी डा. उमेश झा, डा राम निहोरा राय, डा रीतेश चतुर्वेदी, डा माया कुमारी, डा. यदुवीर स्वरूप शास्त्री, डा. राजेश सिंह, डा. आलोक सिंह इत्यादि शिक्षक, राजकुमार तिवारी, ज्योति उपाध्याय एवं अन्य 15 छात्रो ने कार्यक्रम में भाग लिया।

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