आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी शिक्षा, स्वास्थ्य व रोज़गार की राजनीति क्यों?:__ डॉ0 शोएब अहमद खान

 

दरभंगा :_ ग़ुलामी से आज़ाद हुए हमें 78 वर्ष हो चुके लेकिन ये हैरान कर देने वाली बात है और ये चिंता का विषय भी होना चाहिए कि हम अभी तक शिक्षा, स्वास्थ्य व रोज़गार की राजनीति ही कर रहे हैं। अब तक तो हमें बहुत आगे निकल जाना चाहिए था। जिस देश की जनता आज़ादी के 78 साल बाद भी 5 किलो राशन के लिए लाइन में लगे तो ये एक तरह की ग़ुलामी ही है। आपको जानना चाहिए की भुखमरी के मामले में भारत की स्थिति ख़राब होती जा रही है। इसका असर निश्चित तौर पर बिहार में भी पड़ा है। बिहार की स्थिति पहले से ही दयनीय है अब और दयनीय हो जाएगी। 5 किलो राशन के लिए लाइन में लगने वाली बिहार की जनता को इससे कोई मतलब नहीं कि GDP क्या होती है। जनता को बस 5 किलो राशन चाहिए जो सरकार उन्हें दे रही है। जनता अगर ईमानदार और नीति बनाने वाले नेताओं का चुनाव करती और मुद्दों के लिए वोट करती तो उसे 5 किलो राशन के लिए लाइन में लगने की ज़रूरत भी नहीं पड़ती। विकास का ढ़ोल फट चुका है, स्थिति विस्फोटक हो चुकी है। बिहार में सरकारी स्कूल हर जगह है क्या इसे आधुनिक स्तर का नहीं बनाया जा सकता? फिर किस बात की राजनीति शिक्षा के लिए? ढांचा तो पहले से ही मौजूद है उसपर काम किस तरह से किया जाए रणनीति तो ये बनानी चाहिए। इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में मुद्दों के लिए वोट दीजिये। ईमानदार प्रत्याशी का चयन कीजिये और उससे गुज़ारिश कीजिये की आप चुनाव में खड़े हो जाइए हम आपको वोट देंगे। जो वोट की भीख मांगने आये उसे वोट मत दीजिये उसके पास कोई विज़न नहीं है आपके भविष्य का। बिहार के भविष्य को संवारने के लिए इस बार जात पात और धर्म से ऊपर उठकर ईमानदार राजनीति के लिए वोट कीजिये। जात पात के लिए वोट मत दीजिये, धर्म के लिए भी वोट मत दीजिये बल्कि मुद्दे के लिए वोट दीजिये। वरना आप दशकों से छलाते आ रहे हैं, हर बार आपको नए नए तरह से छला जा रहा है।

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